महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए आरक्षण –
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने त्रि-स्तरीय पंचायतों के लिए चुनी गईं महिला जनप्रतिनिधियों के सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास में महिलाओं की भूमिका को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से ये दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। विभाग ने स्पष्ट किया है कि महिला पदाधिकारियों के स्थान पर ग्राम पंचायत व ग्राम सभा की बैठकों का संचालन उनके पति अथवा परिजनों द्वारा किया जाना वर्जित है।
इसी सिलसिले में कलेक्टर सिंह की ओर से पिछले दिनाें यह आदेश जारी किया गया है। ज्ञात हो त्रि-स्तरीय पंचायत राज संस्थाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से जिला, जनपद व ग्राम पंचायतों में 50 प्रतिशत पद महिलाओं के लिये आरक्षित किए गए हैं।
कलेक्टर सिंह ने पत्र के जरिए सभी जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को ताकीद किया है कि महिला जनप्रतिनिधियों के स्थान पर उनके पतियों द्वारा बैठकों के संचालन संबंधी शिकायतों को गंभीरता से लें। साथ ही समय-सीमा में कार्रवाई करें। उन्होंने इन निर्देशों का कड़ाई से पालन करने की हिदायत दी है।
दरअसल महिला सशक्तीकरण को लेकर सरकार ने पंचायत चुनावों में इनके लिए 50 फीसदी सीट आरक्षित कर दिए हैं, लेकिन अधिकतर जगह महिलाओं की जीत के बाद उनके पति या अन्य रिश्तेदार पंचालत में अपनी धौंस दिखाते हैं। मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव में ऐसे कई वीडियो वायरल भी हुए जब महिला सरपंच या जनप्रतिनिधियों की जगह उनके पतियों ने शपथ ली। इसे ही देखते हुए ग्वालियर क्लेक्टर ने सख्त आदेश जारी किए। ग्वालियर कलेक्टर ने पंचायत के काम काज में महिला सरपंचों के पति व उनके अन्य रिश्तेदारों के भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया है। यदि आदेश को कोई नहीं मानता है, तो संबंधित महिला सरपंच के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।