यह सभी प्लांट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर संचालित किए जाएंगे। नगर निगम ने 196 करोड़ की लागत के इन तीन प्लांट को स्थापित करने की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर ली है। इसे गुरुवार को निगम कमिश्नर अमन वैष्णव ने शासन की स्वीकृति के लिए भेज दिया है।
खर्च होंगे करोड़ो
बता दें कि केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के अंतर्गत शहर को कचरा मुक्त बनाने के लिए नगर निगम द्वारा 196 करोड़ रुपए खर्च कर तीन प्लांट शहर में लगाए जाएंगे। यह कार्य आगामी 2027 तक पूरे करने होंगे और सभी प्रोजेक्ट 2034 तक की आबादी को ध्यान में रखकर तैयार किए जाएंगे। प्लांट के लिए कचरा आसपास के जिलों से मंगाया जाएगा। ये भी पढ़ें: ‘आयुष्मान भारत योजना’ में बड़ा बदलाव, फ्री में करा सकेंगे ‘नॉर्मल डिलिवरी’ वेस्ट टू एनर्जी प्लांट
केदारपुर स्थित चंदोहा खुर्द में लगभग 108 करोड़ की राशि से पांच एकड़ भूमि पर नवीन वेस्ट टू एनर्जी प्लांट यानी बिजली का छह मेगावाट का प्लांट बनाया जाएगा। प्लांट में 50 माइक्रॉन या उससे कम की पालीथीन व सूखे कचरे से बिजली तैयार होगी। इसके लिए भिण्ड, दतिया, मुरैना और ग्वालियर शहर से गील-सूखा कचरा कचरा लाया जाएगा।
बिजली व सीएनजी खुद भी करेगा उपयोग
प्लांट से बनने वाली बिजली से निगम प्लांट का संचालन करने के साथ ही शेष बिजली को विद्युत कंपनी को बेची जाएगी। सीएनजी गैस से निगम अपने वाहन चलाएगा और भविष्य में गैस भी बेचेगा। वहीं खाद को पार्क में प्रयझ्रोग करने के साथ ही किसान को भी बेचा जाएगा।
15 एकड़ में बायो सीएनजी सूखा कचरा प्रोसेस प्लांट
88 करोड़ से 15 एकड़ भूमि पर दो प्लांट केदारपुर के पास लगाए जाएंगे। इसमें बायो सीएनजी प्लांट और सूखा कचरा प्रोसेस प्लांट है। बायो सीएनजी प्लांट में 336 टीपीडी गीला कचरा से 10 टन गैस प्रतिदिन बनाई जाएगी। जबकि सूखा कचरा प्लांट में प्रतिदिन 277 टीपीडी सूखा कचरे का प्रयोग किया जाएगा और इससे खाद तैयार की जाएगी।