scriptपड़ाव पुल का दर्द : मैं तो एक पांव पर तैयार खड़ा हूं, हर बोझ उठाने को राजी हूं…. | padav railway over bridge inauguration delayed | Patrika News
ग्वालियर

पड़ाव पुल का दर्द : मैं तो एक पांव पर तैयार खड़ा हूं, हर बोझ उठाने को राजी हूं….

नेताओं में श्रेय लेने की राजनीति के चलते अभी तक मुझ पर वन-वे ट्रैफिक ही चल रहा है..

ग्वालियरJul 20, 2019 / 10:19 am

Gaurav Sen

padav railway over bridge inauguration delayed

पड़ाव पुल का दर्द : मैं तो एक पांव पर तैयार खड़ा हूं, हर बोझ उठाने को राजी हूं….

ग्वालियर @ बकलम नरेंद्र कुइया

रोज पढ़-पढकऱ आप मेरे बारे में बहुत कुछ तो आप जान ही चुके होंगे, फिर भी परिचय देना मेरा फर्ज है। मैं हूं अधर में लटका ‘पड़ाव पुल’ जिसका आधिकारिक नाम है पड़ाव आरओबी। शहर को गति देने को मैं एक पांव पर तैयार खड़ा हूं, हर बोझ उठाने को राजी हूं, लांचिंग के लिए मेरा मेकअप भी हो चुका है…राह में रोड़ा बना रही है तो यह सियासत। वे ही नेता रुकावट बन रहे हैं जिन्हें नागरिकों ने शहर विकास की जिम्मेदारी सौंप रखी है।

चलो मैं आपको शुरू से बताता हूं कि मैं यहां तक कैसे पहुंचा। करीब 70 वर्ष तक लश्कर से मुरार को जोडऩे वाले पड़ाव स्थित शास्त्री रेलवे ओवर ब्रिज ने शहर के ट्रैफिक का सारा भार अपने ऊपर ले रखा था। उसका आधा बोझ बंट सके, इसके लिए 2013 में फूलबाग मैदान में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मेरे निर्माण की घोषणा की। वर्ष 2014 में शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने भूमिपूजन किया और 2015 में निर्माण कार्य शुरू हुआ। वैसे तो मुझे 2017 तक पूरा बनाया जाना था क्योंकि डेडलाइन यही थी।

फिर भी मार्च 2018 तक दूसरी डेडलाइन तय की गई, लेकिन काम पूरा नहीं हो सका और दिसंबर में प्रदेश की सरकार बदल गई। मार्च 2019 में लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले मेरा एक हिस्सा तैयार हुआ तो मेरे लोकार्पण के लिए राजनीतिक घमासान शुरू हो गया। 10 मार्च को लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई। फिर भी 14 मार्च 2019 को जब प्रशासन ने मेरे एक हिस्से का ट्रैफिक शुरू किया था तो उसके बाद कांग्रेस और भाजपा के नेताओं ने श्रेय की राजनीति लेने के चलते पैदल मार्च किया। उसके बाद से अभी तक मुझ पर वन-वे ट्रैफिक ही चल रहा है।

कुछ समय बाद दूसरे हिस्से का काम शुरू हुआ, लेकिन पीडब्ल्यूडी सेतु संभाग और रेलवे के बीच पैसे के विवाद के कारण करीब दो माह तक मामला अटका रहा। जैसे-तैसे विवाद निपटा और काम फिर से शुरू हुआ। इसके बाद मेरा दूसरा हिस्सा भी बनकर तैयार हो गया तो 6 जुलाई 2019 को रेलवे ने लिखित में इस पर ट्रैफिक शुरू करने की अनुमति प्रदान कर दी। फिर भी स्थानीय प्रशासन मुझे लेकर कोई निर्णय नहीं ले पाया। इस बीच 14 जुलाई को प्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने घोषणा की कि पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया 17 जुलाई को लोकार्पण करेंगे। यह दिन भी निकल गया और मैं वैसा का वैसा ही खड़ा हूं।

मुझे बनाने में करीब 49 करोड़ रुपए का खर्च हुआ है। इतनी राशि खर्च होने के बाद भी लोकार्पण में देरी हो रही है। कोई अफसर कहता है, मैं पूरी तरह तैयार हूं और कोई कहता है, अभी कुछ ‘बात’ बाकी है। मैं समझ ही नहीं पा रहा हूं कि आखिर ये हो क्या रहा है? मेरा तो बस एक ही सवाल है, ‘मेरा निर्माण लोगों को राहत देने के लिए हुआ है या किसी की राजनीति चमकाने के लिए?’ मेरा कहना है, नेता-अफसर तो यों ही मुझे लटकाते रहेंगे, मैं तो जनता की अदालत में हूं। आप ही फैसला करें और मुझे स्वीकार कर लें।

Hindi News / Gwalior / पड़ाव पुल का दर्द : मैं तो एक पांव पर तैयार खड़ा हूं, हर बोझ उठाने को राजी हूं….

ट्रेंडिंग वीडियो