जेल में बंदियों को समझाया नया कानून
जेल में बंदियों को भी सोमवार को नए कानून का पाठ पढ़ाया गया। बंदियों को बताया गया पुराने अपराधों की सुनवाई पुराने कानून से होगी। एक जुलाई से जो अपराध दर्ज होंगे उनमें नए कानून से कार्रवाई होगी। विविध सेवा प्राधिकरण और केंद्रीय जेल प्रशासन ने बंदियों को नए कानून की जानकारी देने के लिए संयुक्त आयोजन किया था। इसमें बंदियों को बताया गया अपराधों को काबू करने के लिए नए कानून को कड़ा बनाया गया है। इसमें संगठित अपराध, मॉब लिंचिंग, आंतकवाद ,राष्ट्रद्रोह समेत कई अपराधों को जोड़ा गया है। कुछ अपराधों में जुर्माने की रकम को बढ़ाया गया है। इस मौके पर अभिभाषक और जेल अधिकारी मौजूद थे।
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हत्या की वारदातों में धारा 302 के तहत केस दर्ज होता था, अब उसकी जगह 103 (1), हत्या के प्रयास में धारा 307 बदली गई है अब धारा 109 भारतीय न्याय संहिता के तहत केस दर्ज होगा। इसी तरह बलात्कार केस में 376 की जगह 64 (1), छेड़खानी में धारा 354 की जगह धारा 74, लूट में लूट में धारा 395, 399, 400, 412 लगाई जाती थी अब 310 (2), 310 (5), 310 (6), 310 (3) लगेगी। शासकीय कार्य में बाधा में 353, 332, 186, 333 के तहत केस दर्ज होता था अब धारा 132, 121 (1), 221 और 121(2) के तहत अपराध दर्ज होगा।
बढ़ गई यह धाराएं
आतंकवादी हरकत धारा 113, राज्य के खिलाफ अपराध 152 , संगठित अपराध 111, आत्महत्या की कोशिश 226, झपटमारी 302, शादी का झांसा देकर शारीरिक शोषण 69, नाबालिग से कांट्रेक्ट किलिंग 95, छोटे संगठित अपराध 112, मॉब लिचिंग 103 की धाराएं बढ़ीं हैं। इनके अलावा आप्रकृतिक कृत्य धारा 377, आत्महत्या का प्रयास धारा 309 को विलोपित किया गया है। कलेक्ट्रेट में नए कानूनों का स्वागत, वाचन भी किया
भारतीय नागरिकों को संविधान में दिए गए सभी अधिकारों की रक्षा और उन्हें न्याय दिलाने के लिए तीन नए कानून इस दिन से
ग्वालियर जिले में भी लागू हो गए हैं। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी रुचिका चौहान ने नए कानूनों के प्रमुख बिंदुओं का वाचन कर ग्वालियर जिले में इन कानूनों का स्वागत किया।
जिन पुराने अधिनियमों में बदलाव किया गया है, उनमें भारतीय दंड संहिता 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (1898), 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 शामिल हैं। भारतीय दंड संहिता 1860 के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023 को लागू किया गया है। इसी तरह दंड प्रक्रिया संहिता 1898 को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के स्थान पर भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 लागू किया गया है। तीनों नए कानून एक जुलाई से प्रभावशील हो गए हैं।