ये बातें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को कहीं। रविवार रात ग्वालियर में रात्रि विश्राम के बाद सुबह वे 25 साल से बंद पड़ी जयाजीराव कॉटन मिल (जेसी मिल) के निरीक्षण करने पहुंचे थे।
देनदारी भी निपटाई जाएगी
यहां पर उन्होंने कहा, इंदौर की हुकुमचंद और उज्जैन की विनोद विमल मिल के मजदूरों की देनदारी का मामला जिस तरह सरकार की मदद से निपटाया गया, वैसे ही जेसी मिल के 8 हजार मजदूरों की देनदारी भी निपटाई जाएगी। उन्होंने कुछ पूर्व श्रमिकों से भी बात की। उनका दर्द जाना। सीएम ने कहा, श्रमिकों की देनदारी के भुगतान के संबंध में अफसरों को विशेष निर्देश दिए गए हैं। मिल की जमीन व परिसम्पत्तियों का सर्वे हो चुका है। उन्होंने कहा, श्योपुर जिला विकास में बहुत पीछे रह गया। इस बार बड़ा चांस है।
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सीएम ने पत्रकारों से चर्चा में कहा, खाली पड़ी जमीनों के बेहतर इस्तेमाल के लिए अफसरों को निर्देश दिया है। शहर बढ़ रहा है। खाली जमीन पर विकास की नई संभावनाएं तलाशनी होंगी। ग्वालियर में आइटी की बड़ी संभावना है। मजबूरी में युवा ग्वालियर और मप्र छोड़ दूसरे राज्यों में नौकरी करने जा रहे हैं, इसलिए उन्हें यहां मौका मिलना चाहिए। कई ऐसे उद्योग हैं, जो एक छत के नीचे हो सकते हैं। इसलिए हम ऐसे प्रयोग करने वाले हैं, जिससे रोजगार दिलाने में बड़ा रोल अदा करेंगे।
135 करोड़ की बकाया है देनदारी
बता दें कि 1988 में न्यायालय ने जेसी मिल को आधिकारिक रूप से बंद घोषित कर दिया था। उस समय 8037 कर्मचारी मिल में कार्यरत थे। 6000 कर्मचारियों की 135 करोड़ की देनदारी बकाया है।