एक तरफ जनता है जो सीधे मुद्दों पर बात कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ पार्टियों के कार्यकर्ता और नेता हैं जो अपनी – अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। चुनावी तारीखों का ऐलान हो चुका है। नवंबर की 17 तारीख को मतदान होना है, जिसके नतीजे 3 दिसंबर 2023 को आ जाएंगे। सरगर्मियां बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में पत्रिका.कॉम ने जब ग्वालियर संभाग की हर विधानसभा तक पहुंचकर जमीन की नब्ज टटोली तो मालूम हुआ कि यहां हर जिले की हर विधानसभा की तासीर अलग है। कहीं जातिगत फैक्टर असरदार है तो कहीं प्रत्याशी का चेहरा जीत की गारंटी है तो चलिए जानते हैं इस बार कैसा है ग्वालियर संभाग का चुनावी माहौल।
ग्वालियर संभाग में 5 जिले और 21 विधानसभाएं : जाने उनके नाम
मध्य प्रदेश के ग्वालियर संभाग में पांच जिले हैं। इनमें ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर और दतिया शामिल है। सबसे पहले बात ग्वालियर जिले की तो इसमें 6 विधानसभाएं हैं। इनमें ग्वालियर ग्रामीण, ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, ग्वालियर दक्षिण, भितरवार और डबरा (अ.जा.) विधानसभा शामिल हैं। इसके बाद शिवपुरी जिले में पांच विधानसभाएं हैं। इनमें करैरा, पोहरी, शिवपुरी, पिछोर और कोलारस विधानसभा शामिल हैं। बात करें गुना जिले की तो जिले में 4 विधानसभाएं हैं। इनमें गुना, बमोरी, राघौगढ़ और चाचौड़ा विधानसभा शामिल हैं। इसके बाद संभाग के चौथे जिले अशोकनगर में 3 विधानसभाएं हैं। इनमें अशोकनगर, मुंगावली और चंदेरी विधानसभा शामिल हैं। संभाग के अंतिम जिले दतिया में भी तीन विधानसभाएं हैं। इनमें दतिया, सेवढ़ा और भांडेर विधानसभा आती है। आइये जानें क्या है यहां का जमीनी हालचाल।
एमपी की सियासत का अहम हिस्सा है ग्वालियर जिला
विधानसभावार जमीनी हालात जानने के लिए सबसे पहले बात करते हैं ग्वालियर संभाग के जबसे ज्यादा विधानसभाओं वाले जिले ग्वालियर की। अपने एतिहासिक महत्व के लिए देशभर में जाना जाने वाला ग्वालियर मध्य प्रदेश की सियासत का भी एक अहम हिस्सा है। ग्वालियर हमेशा से सिंधिया का गढ़ रहा है। पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में थे तो यहां पर कांग्रेस का हाथ काफी मजबूत था। लेकिन अब वक्त बदल गया है कभी कांग्रेस के महाराज रहे सिंधिया अब भाजपा में केंद्रीय मंत्री हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इस बार ग्वालियर का सियासी किला कांग्रेस फतह कर पाती है या फिर उसपर कमल खिलता है।
ग्वालियर जिले में कुल 16 लाख 9 हजार 237 मतदाता
ग्वालियर संभाग के अंतर्गत आने वाले ग्वालियर जिले में मतदाताओं की कुल संख्या 16 लाख 09 हजार 237 है। इनमें जिले भर के पुरुष मतदाताओं की संख्या 8 लाख 53 हजार 269 है। जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 7 लाख 55 हजार 902 है। ये भी बता दें कि जिले के सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में 66 थर्ड जेंडर मतदाता भी शामिल हैं। आइये अब जानते हैं जिले की सभी छह विधानसभाओं के जमीनी हालात।
ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा सीट मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है। इस सीट से 2018 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। 2018 में ग्वालियर देहात में कुल 33 प्रतिशत वोट पड़े। 2018 में भाजपा से भारत सिंह कुशवाह ने बहुजन समाज पार्टी के को 1517 वोटों के मार्जिन से हराया था। इस बार ग्वालियर देहात विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, ये जनता को तय करना है।
ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा के मतदाताओं का विवरण
ग्वालियर ग्रामीण का विधानसभा क्रमांक 14 है। विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 51 हजार 940 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 35 हजार 244 है। जबकि महिला मतदाता 1 लाख 16 हजार 693 हैं।
ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा की आवाज
– विधानसभा क्षेत्र में आने वाले सौसा गांव के लोगों का कहना है कि सड़कें तो बेहतर बन गई हैं, लेकिन नालियां नहीं हैं। गंदा पानी सड़क पर फैलता रहता है। ट्कांसफार्मर पर बड़े क्षेत्र का भार होने की वजह से वो आए दिन फुंक जाता है।
– सौसा हाई स्कूल की बाउंड्री तो बना दी गई है, लेकिन स्कूल की हालात खराब है। स्कूल में पीने के पानी व्यवस्था नहीं है। शिक्षक कभी पूरे नहीं आते। स्कूल भवन की हालत भी काफी खराब है। छात्रों के खेलने के लिए भी कोई जगह नहीं है।
– सौसा से पांच किलोमीटर स्थित ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा के ही उटीला गांव में रहने वाले पूरन और इंद्रजीत का कहना है कि मजदूरी करके परिवार का पेट पाल रहे हैं पिर भी राशन कार्ड नहीं बन सका। सचिव और सरपंच सुनते नहीं है। नल-जल योजना के तहत हर घर में नल लग गए हैं, लेकिन उनमें अबतक पानी नहीं आया। प्राइवेट बोर से पांच सौ रुपए महीना देकर पानी लेना पड़ रहा है।
2- ग्वालियर विधानसभा का मिजाज
2018 में ग्वालियर विधानसभा का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर प्रद्युम्न सिंह तोमर ने जीता, लेकिन 2020 में पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद भाजपा के टिकट से चुनाव जीता। कांग्रेस के सुनील शर्मा को चुनाव हराया। इस विधानसभा में भाजपा की पकड़ मजबूत दिख रही है। इस बार भी भाजपा ने प्रद्युम्न सिंह तोमर को ही यहां से उम्मीदवार बनाया है। वहीं कांग्रेस की ओर से अबतक कोई उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया है। हालांकि, संभावित दावेदार लगातार अपनी पकड़ बनाने में जुटे हुए हैं। 2023 के चुनाव के दौरान दोनों पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। फिलहाल, इस सीट पर क्षत्रिय, ब्राह्मण, मुस्लिम और राय, कोरी समाज के मतदाताओं की
अहम भूमिका रहेगी।
ग्वालियर विधानसभा के मतदाताओं का विवरण
ग्वालियर का विधानसभा क्रमांक 15 है। विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख 285 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 58 हजार 640 है। जबकि महिला मतदाता 1 लाख 41 हजार 623 है।
ग्वालियर विधानसभा की जनता की आवाज
– साल 1990 तक आर्थिक रूप से सबसे समृद्ध क्षेत्र और जेसी मिल, ग्रेसिम, स्टील फाउंड्री, सिमको जैसे बड़े उद्योगों और इनकी बदौलत 30 हजार कर्मचारियों को रोजी रोटी देने वाले ग्वालियर में विकास किस गति से दौड़ रहा है ? इस सवाल का जवाब देने में क्षेत्र के लोगों का दर्द छलक उठा। किले पर पर्यटक आसानी से जा सकें, इसलिए हमारे घर तोड़ दिए गए। कई लोगों के मकान आदे से ज्यादा तोड़े गए जिनकी हदबंदी करा पाना हर घर से जुड़े जिम्मेदार के बस का नहीं है। लोगों का कहना है कि सरकार ने कोई मुआवजा भी नहीं दिया। मकानों के तोड़े जाने पर सड़कें तो चोड़ी हो गईं पर दोनों छोर पर गाड़ियां और हाथ ठेले खड़े हो जाते हैं, जिससे जाम के हालात वैसे के वैसे ही हैं। लोगों का कहना है कि घर तो गंवा दिए लेकिन रास्ता चौड़ा नहीं हुआ।
– इलाके में बीते 30 वर्षों से पानी की समस्या यथावत बनी हुई है। एक दिन छोड़कर पानी दिया जा रहा है, पर वो भी गंदा है, जिसे पिया नहीं जा सकता।
– लोगों का कहना है कि सड़कें तो बनी हैं, लेकिन इन्हें चमकाने से क्या होगा ? महंगाई से व्यापारी और रोजगार न मिलने से युवा परेशान हैं। उनकी परेशानी दूर हो तो कोई बात बने।
– सरकारी योजनाओं में मुफ्त में दी जा रही सुविधाओं से खिन्न क्षेत्रवासियों का कहना है कि मुफ्त अनाज और लाड़ली बहना के नाम पर पैसे बांटे जा रहे हैं। एलिवेटेड रोड के नाम करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं। लेकिन, क्या इससे रोजगार और महंगाई की समस्याएं हल होगी क् ? विकास का हाल ये है कि क्षेत्र में 30 साल में एक उद्योग भी नहीं है।
3- ग्वालियर पूर्व विधानसभा का मिजाज
ग्वालियर पूर्व विधानसभा पहले भाजपा की मजबीत सीट रही है, लेकिन विधानसभा चुनाव 2018 में मुन्नालाल गोयल ने भाजपा के सतीश सिकरवार को चुनाव हराकर कब्जा जमाया था। मुन्नालाल गोयल ने 2020 में कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन कर ली। उसके बाद इस सीट पर उप-चुनाव हुआ। मुन्नालाल गोयल भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े। इधर, सतीश सिकरवार ने भी भाजपा छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन की और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा। उप-चुनाव में मुन्नालाल गोयल को चुनाव हराकर सतीश सिकरवार विधायक बने। मौजूदा समय में भी कांग्रेस के सतीश सिकरवार के सामने भाजपा के पास मजबूत उम्मीदवार नजर नहीं आ रहा है। जातिगत समीकरण की बात करें तो इस बार चुनाव में ब्राह्मण और जाटव समाज के मतदाताओं की यहां निर्णायक भूमिका देखने को मिलेगी।
ग्वालियर पूर्व विधानसभा के मतदाताओं का विवरण
ग्वालियर पूर्व का विधानसभा क्रमांक 16 है। विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख 30 हजार 404 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 75 हजार 133 है, जबकि महिला मतदाता 1 लाख 55 हजार 261 हैं।
ग्वालियर पूर्व विधानसभा की जनता की आवाज
– ग्वालियर पूर्व विधानसभा के अंतर्गत आने वाले हॉस्पिटल रोड के रहवासियों का कहना है कि क्षेत्र की जमीन और मकानों की कीमतें आसमान छू रही हैं। लेकिन, यहां नाले को पाटकर सड़क बना दी गई है। पार्किंग के भी कोई इंतजाम नहीं है।
– सड़क किनारे वाहन और हाथ ठेले खड़े रहने की वजह से यहां आमतौर पर सुबह से शाम तक जाम लगा रहता है। वन-वे रोड होने की वजह से वैसे ही वाहनों का भार अधिक रहता है। वहीं दोनों तरफ वाहन पार्क होने पर लंबा जाम लगा रहता है। लेकिन, जिम्मेदारों का इसपर कोई ध्यान नहीं है।
– क्षेत्रवासियों का कहना है कि यहां लोगों के सामने बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है। कई लोग काफी पड़े लिखे हैं पर उनके लिए कोई काम नहीं है।
– कुछ लोगों की खेतीबाड़ी है तो उनको छोड़ दिया जाए तो रोजगार न होने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों का यहां गुजारा चला पाना मुश्किल हो रहा है।
– झांसी रोड थाने से विक्की फैक्ट्री, कैंसर पहाड़ी, मुड़िया पहाड़ समेत सरकारी जमीनों को घेरकर अवैध कालोनियों का निर्माण करा दिया गया है। वहीं, कई अवैध बस्तियां भी बस गई हैं।
– खस्ताहाल सड़कों से ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र के लोग खासा परेशान हैं। कुल मिलाकर देखें तो इस समस्या से लगभग पूरा शहर जूझ रहा है। चुनाव के बाद चुनी जाने वाली सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
– इलाके के लोगों का कहना है कि यहां स्वास्थ व्यवस्थाएं भी बेहद चरमराई हुई हैं। क्षेत्रीय चिकित्सालय बनने से लोगों को राहत मिलेगी।
– इस क्षेत्र में भी अधिकतर सड़कों पर अतिक्रमण के हालात हैं, जिससे लोगों को खासा परेशानी का सामना करना पड़ता है।
4- ग्वालियर दक्षिण विधानसभा का मिजाज
ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है। इस सीट पर ब्राह्रण, कुशवाह, मुस्लिम, सिंधी और वैश्य समाज की अहम भूमिका रहती है। साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान इस सीट से कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। 2018 में हुए मतदान में ग्वालियर दक्षिण में कुल 37 फीसदी वोट पड़े थे। उस दौरान कांग्रेस के प्रवीण पांडे ने भाजपा के नारायण सिंह कुशवाह को 121 वोटों के बेहद कम मार्जिन से हराया था।
वैसे तो अबतक कांग्रेस की सूची जारी नहीं हुई है, लेकिन ग्वालियर दक्षिण से इस बार भी कांग्रेस के प्रवीण पाठक ही प्रबल दावेदार हैं, लेकिन भाजपा में दावेदावों की संख्या अधिक है। ग्वालियर दक्षिण सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर रहेगी। तीसरी पार्टी का उम्मीदवार हार जीत के समीकरण प्रभावित कर सकता है। नारायण सिंह कुशवाह भी पहले भाजपा के टिकट से यहां चुनाव जीत चुके हैं। 2018 से पहले तक इसे भाजपा की सुरक्षित सीट माना जाता था, लेकिन 2018 में ये सीट कांग्रेस के खाते में चली गई थी। इस बार ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, ये तो जनता ही तय करेगी।
ग्वालियर दक्षिण विधानसभा के मतदाताओं का विवरण
ग्वालियर दक्षिण का विधानसभा क्रमांक 17 है। यहां कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 58 हजार 203 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 33 हजार 867 है, जबकि महिला मतदाता 1 लाख 24 हजार 324 है।
ग्वालियर दक्षिण विधानसभा की जनता की आवाज
– ग्वालियर की शान और दुनियाभर में विख्यात महाराजबाड़ा ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र का प्रमुख केंद्र है। इसी विधानसभा में आने वाले कुंअर बाबा बस्ती ( संजय नगर ) के रहवासी बिजली गुल की समस्या से परेशान हैं। लोगों का कहना है कि यहां सुबह से शाम तक कई बार लाइट जाती है।
– इसी क्षेत्र में रहने वाली अनीता कुशवाह का कहना है रसोई का बजट रुला रहा है। सिलेंडर के दामों में कुछ कमी तो की गई है, अब भी 900 रुपए से अधिक का गैस सिलेंडर ले पाना गरीब परिवार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। सरकार ने सब्सिडी भी बंद कर दी है। ऐसे में घर का खर्च चला पाना काफी मुश्किल है।
– निबांजी की खोह के रहवासियों का कहना है कि घर तक पानी पहुंचाने का वादा किया गया था। लेकिन, बस्ती में अबतक पूरी तरह अमृत योजना के तहत पानी की लाइन नहीं डाली गई है। ऐसे में अलग से रुपए देकर निजी लोगों से पानी खरीदकर गुजारा करना पड़ रहा है।
– बाड़े को सुंदर बनाया जा रहा है, इमारतें रोशनी से नहा रही हैं। लेकिन, इसी इलाके के पीछे बाजार में गंदगी के ढेर लगे हैं। पार्किंग के भी यहां कोई इंतजाम नहीं हैं। बाड़े के कपड़ा व्यापारियों का कहना है कि इन्हीं अव्यवस्थाओं के कारण यहां का कारोबार ठप हो रहा है। सुभाष मार्केट में आने वाले रास्ते बंद हो रहे हैं।
– शहरवासी इलाके की अधिकतर खस्ताहाल सड़कों से परेशान हैं। आने वाली सरकार को सड़कों की समस्या का निराकरण कराना चाहिए।
– विधानसभा क्षेत्र में आने वाले महाराज बाड़े हर समय ट्रेफिक जाम के हालात बने रहते हैं। इससे राहगीरों को खासा परेशानी का सामना करना पड़ता है।
– इसी क्षेत्र में दुकानदारों द्वारा अपनी दुकानों का सामान अतिक्रमण क्षेत्र में रखा जाता है, जिससे सड़कें अपने मूल स्वरूप से काफी सकरी हो जाती हैं। इससे राहगीरों कों गुजरने में खासा परेशानी का सामना करना पड़ता है।
भितरवार और डबरा विधानसभा का एक जैसा मिजाज
पिछले विधानसभा चुनावों में प्रदेश में कांग्रेस के डंके में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने और दो साल में ही उसके पतन का कारण भी बनने वाले ग्वालियर अंचल में जनता के मिजाज को टटोलने का काम डबरा और भितरवार विधानसभा क्षेत्र से शुरू किया। ग्वालियर जिले में इस क्षेत्र को कृषि के लिए पहचाना जाता है, लेकिन इसी क्षेत्र पर अवैध रेत उत्खनन का दाग भी लगा है।
5- भितरवार विधानसभा का मिजाज
भीतरवाड़ विधानसभा सीट मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है, जहां 2018 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। 2018 में भीतरवाड़ में कुल 43 प्रतिशत वोट पड़े। 2018 में कांग्रेस से लखन सिंह यादव ने भारतीय जनता पार्टी के अनूप मिश्रा को 12,130 वोटों के मार्जिन से हराया था। इस बार भीतरवार विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह जनता को तय करना है।
भितरवार विधानसभा के मतदाताओं का विवरण
भितरवार का विधानसभा क्रमांक 18 है। विधानसभा में मतदाताओं की कुल संख्या 2 लाख 43 हजार 154 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 29 हजार 233 है, जबकि महिला मतदाता 1 लाख 13 हजार 916 है।
भितरवार विधानसभा की जनता की आवाज
– भितरवार विधानसभा क्षेत्र में सूबे की सबसे खराब सड़कों में से एक कराहिया मार्ग वैसे तो लगभग बन गया है। चीनोर तक इसका निर्माण पूरा होते ही अच्छी सड़क की उम्मीद भी पूरी हो जाएगी। पर ग्रामीणों के उस सवाल का जवाब शायद ही इस रास्ते से आ सके जो वे बुनियादी सुविधाओं को लेकर चाहते हैं।
– शिवनगर गांव में पानी का संकट घर से खेतों तक दिखाई देता है। लोगों का कहना है कि नहर गांव तक लाने की बात हुई थी। लेकिन अबतक कुछ नहीं हुआ है।
– स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क तो बन गई है पर बिजली, पानी और शिक्षा का रास्ता अबतक नहीं खुला है। समय के साथ कुछ भी नहीं बदला। आज भी यहां के लोगों को पांच – छह घंटे ही बिजली मिल पा रही है।
– नौकरी या काम के भी कोई खास विकल्प नहीं हैं। ऐसे में इस क्षेत्र से बढ़ी संख्या में लोगों का पलायन हो रहा है। लोगों का कहना है कि अगर इस पलायन को रोकना है तो सरकार को अपनी मुफ्त योजनाओं की घोषणाओं पर ब्रेक लगाकर इलाके में कोई फैक्ट्री या मिल खुलवाना चाहिए, ताकि लोग अपना बोझ खुद उठाने में सक्षम हों।
– फसल खराब होती है तो मुआवजे के नाम पर जो मिलता है, उससे लागत भी नहीं निकलती।
– गांव में स्कूल का पूछने पर खेतों के बीच एक मकान की तरफ इशारा करते हुए लोगों ने बताया कि, उस घर के एक कमरे में सरकारी स्कूल है। स्कूल का शेक्षणिक स्तर इसी से आंका जा सकता है कि यहां रहने वाले राजेंद्र यादव ने अपने बेटे का जिक्र करते हुए बताया कि उनका बेटा दसवीं कक्षा में पढ़ रहा है, लेकिन अब भी वो अपना नाम नहीं लिख पाता। उन्होंने बताया कि आसपास के 10 गांवों में भी कोई सरकारी नौकरी में नहीं है। जो थोड़ा बहुत पढ़ा है तो वो भी चपरासी बनने लायक नहीं हैं। अमरौल से चीनोर तक यही हाल हैं।
– इलाके में कॉलेज तो बन गया है, लेकिन उनमें पढ़ने के काबिल छात्र तो स्कूलों में तैयार हो ही नहीं रहे। गांव के बच्चे पांच किलोमीटर पैदल चलकर जाते हैं। सरकारी योजना में साइकल मिली थी, लेकिन हफ्तेभर बाद वापस लेकर मास्टर ने बोला, एक ही पंचायत में प्रावधान नहीं। अगर नियम नहीं था तो साइकल दी क्यों ? एक ही पंचायत में पांच किलोमीटर पैदल जा रहे बच्चे किसी को दिखाई नहीं देते।
6- डबरा (अ.जा.) विधानसभा का मिजाज
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित डबरा मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है। इस सीट पर साल 2020 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। 2020 के चुनाव में इस सीट पर कुल 49.48 फीसदी मतदान हुआ था। साल 2018 में इमरती देवी कांग्रेस से चुनाव जीती थी। लेकिन 2020 में उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन कर ली थी। इसके बाद वो इसी सीट से 2020 के उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर लड़ीं, लेकिन कांग्रेस के सुरेश राजे ने उन्हें 7,633 वोटों से हराकर डबरा सीट पर कब्जा कर लिया। अब भाजपा ने एक बार फिर इमरती देवी को ही इस सीट से टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस से सुरेश राजे की
उम्मीदवारी प्रबल मानी जा रही है। इस बार परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, ये तो जनता ही तय करेगी।
डबरा विधानसभा के मतदाताओं का विवरण
डबरा का विधानसभा क्रमांक 19 है। विधानसभा में कुल मतदाता 2 लाख 41 हजार 782 हैं। इनमें पुरुष मतदाता 1 लाख 27 हजार 329 हैं। जबकि महिला मतदाता 1 लाख 14 हजार 446 हैं।
डबरा विधानसभा की जनता की आवाज
– अमरौल पंचायत से छीमक तक डबरा विधानसभा लग जाती है। यहां गोवरा पंचायत में रहने वाले लोगों का कहना है कि पंचायत सचिव कभी फंड न होने का हवाला देता है तो कभी कहता है योजना ही बंद हो चुकी है।
– यहां कई लोगों को आवास योजना की किस्त का भी दो साल से इंतजार है। लोगों का कहना है कि योजना के तहत आवास लेना है तो सबसे पहले आवेदन के साथ लिखा पढ़ी के 1500 रुपए, आवास मंजूर होने पर 1.35 लाख में से 15000 कमीशन, फिर फोटो खिंचवाकर निर्माण की किस्त के लिए 5 हजार रुपए देने पड़ रहे हैं। सवाल पूछने पर कहा जाता है कि सीमेंट-रेत और मजदूरी महंगी हो गई, योजना की रकम तो उतनी की उतनी ही है। अब सवाल ये है कि, एक निश्चित अमाउंट में से ही इतना पैसा बांटा जाएगा तो मकान निर्माण की गुणवत्ता क्या होगी ?
– इसी गांव में रहने वाले संतोष कुशवाह का कहना है कि उनके पास खेती बहुत कम थी, इसलिए ट्रैक्टर लेकर उसे आजीविका का साधन बनाया। लेकिन इसकी वजह से कई योजनाओं से बाहर कर दिया। महंगाई बढ़ती जा रही है। इसपर खाद महंगी, सिलेंडर महंगा, डीजल महंगा। सोचिए पहले 400 रुपए डीजल में जितनी जुताई हो जाती थी, उतने के लिए अब 1800 रुपए का डीजल फूंकना पड़ रहा है।
– सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ को लेकर सवाल करने पर गांव में ही रहने वाले संतोष का कहना है कि सरकार न जाने क्या सोचकर योजनाएं बनाती है। हमारे 70 घर के गांव में नल-जल योजना पर जितना खर्च किया और पानी नहीं दे पाए, उससे आधे से कम खर्च में घर-घर बोरिंग हो जाती और सबको पानी भी मिलना शुरु हो जाता।
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शिवपुरी जिले के पोहरी और करैरा में जातिगत फैक्टर हावी, शिवपुरी में सिंधिया परिवार का दबदबा, कोलारस और पिछोर में चेहरा
शिवपुरी जिले में पांच विधानसभा सीटें हैं। लेकिन इन 5 में से 4 विधानसभाओं पर सिंधिया परिवार का हस्तक्षेप रहता है। पोहरी और करैरा विधानसभा में जातिगत फैक्टर चुनाव में हावी रहता है तो वहीं शिवपुरी विधानसभा अभी तक सिंधिया परिवार या उनके सिपहसलारों के पास रही है। कोलारस और पिछोर विधानसभा में चेहरा मायने रखता है। जिले की दो विधानसभा में भाजपा ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं, जबकि तीन सीटें अभी होल्ड पर हैं। वहीं कांग्रेस ने अभी दो विधानसभा के संभावित प्रत्याशियों की सूची दिल्ली भेजी है।
विधानसभा चुनाव में इस बार प्रत्याशी के नाम महत्वपूर्ण है, क्योंकि जनता को भी पार्टी की घोषणाओं का इंतजार है। शिवपुरी विधानसभा में सिंधिया परिवार की बेटी यशोधरा राजे सिंधिया या तो स्वयं विधायक रहीं या फिर उनके नजदीकी विधायक चुने गए। एक बार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ढाई साल के विधायक बनाने में सहयोग किया था। करैरा, पोहरी और कोलारस में चुने गए कई विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के कृपापात्र रहे। पिछोर विधानसभा में सिंधिया परिवार की कोई दखलंदाजी नहीं है, बल्कि वहां 6 बार से चुने जा रहे विधायक अपनी दमखम पर ही तैनात हैं।
1- शिवपुरी विधानसभा का मिजाज
इस सीट पर यशोधरा राजे सिंधिया दो बार लगातार और इससे पहले दो बार विधायक रही हैं। यहां से माखलाल राठौर, देवेंद्र जैन, सुशील बहादुर अष्ठाना, गणेश गौतम, महावीर प्रसाद जैन और ढाई साल के लिए वीरेंद्र रघुवंशी विधायक बने। यहां वैश्य समाज का वोटर चुनाव में डिसाइडर होता है, क्योंकि एक सेठ या दुकानदार के पास कई कर्मचारी काम करते हैं।
शिवपुरी विधानसभा के मतदाताओं का विवरण
शिवपुरी का विधानसभा क्रमांक: 25 है। विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 58 हजार 75 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 34 हजार 818 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 23 हजार 248 है। वहीं विधानसभा में 9 थर्ड जेंडर हैं।
2- पोहरी विधानसभा का मिजाज
पोहरी विधानसभा में अब चुनाव जातिगत आधार पर अधिक हो गया। यहां सबसे अधिक आदिवासी वोटर होने के बावजूद इस वर्ग का व्यक्ति कभी विधायक नहीं बना। दूसरे नंबर पर सबसे अधिक धाकड़ वोटर हैं। हालांकि यहां से ब्राह्मण, धानुक और धाकड़ जातिवर्ग से विधायक बन चुके हैं। यहां जातिगत फैक्टर चुनाव में हावी रहता है।
पोहरी विधानसभा के मतदाताओं का विवरण
पोहरी का विधानसभा क्रमांक: 23 है। विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 43 हजार 698 है। इनमें पुरुष मतदाता 1 लाख 29 हजार 726 हैं। जबकि महिला मतदाता 1 लाख 13 हजार 915 हैं। वहीं, विधानसभा में 7 थर्ड जेंडर हैं।
3- करैरा विधानसभा का मिजाज
यह विधानसभा साल 2008 से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, जिसमें खटीक और जाटव समाज से विधायक चुने जा रहे हैं। आगामी 10 साल तक सामान्य या ओबीसी वर्ग के प्रत्याशी चुनाव से दूरी बनाए हुए हैं। यहां जाटव वोटर अधिक हैं, लेकिन स्थानीय जनता भी चेहरा देखकर ही परिणाम देती है। इस बार चुनाव यहां भी दिलचस्प होने वाले हैं।
करैरा विधानसभा के मतदाताओं का विवरण
करैरा का विधानसभा क्रमांक: 24 है। विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 65 हजार 207 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 40 हजार 762 है। जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 24 हजार 441 है। इनमें 4 थर्ड जेंडर हैं।
4- कोलारस विधानसभा का मिजाज
यादव बाहुल्य इस विधानसभा में चुनाव हर बार सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं और हर बार चौंकाने वाले परिणाम भी यहां से आते रहे हैं। ये विधानसभा भी 30 साल तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही और जबसे सामान्य वर्ग की हुई है, तबसे दूसरे वर्ग के प्रत्याशियों ने अपना दमखम दिखाया। इस बार यहां का चुनाव भी रोचक होगा।
कोलारस विधानसभा के मतदाताओं का विवरण
कोलारस का विधानसभा क्रमांक: 27 है। विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 52 हजार 496 है। इनमें पुरुष मतदाता 1 लाख 32 हजार 788 हैं, जबकि महिला मतदाता 1 लाख 19 हजार 698 हैं। यहां 10 थर्ड जेंडर हैं।
5- पिछोर विधानसभा का मिजाज
लोधी बाहुल्य पिछोर विधानसभा क्षेत्र से लगातार 6 बार से कांग्रेस के बाहुबलि विधायक केपी सिंह चुने जा रहे हैं। भाजपा को जब कोई स्थानीय बाहुबलि प्रत्याशी नहीं मिला तो तीसरी बार बाहरी व्यक्ति को प्रत्याशी बना रही है। पिछले चुनाव में हार-जीत का अंतर कम रहा था इसलिए इस बार पिछोर विधानसभा में भी चुनाव रोचक होने वाला है।
पिछोर विधानसभा के मतदाताओं का विवरण
पिछोर का विधानसभा क्रमांक: 26 है। यहां कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 68 हजार 482 है। इनमें पुरुष मतदाता 1 लाख 40 हजार 982 हैं। जबकि महिला मतदाता 1 लाख 27 हजार 497 हैं। वहीं, विधानसभा में 3 थर्ड जेडर हैं।
– शिवपुरी शहर समेत पोहरी और करैरा में पीने के पानी की समस्या अधिक है। इस बार जनता उस प्रत्याशी को चुनने का मन बनाए हुए है जो इन समस्याओं का निदान कराने की गारंटी दे।
– शिवपुरी शहर में बदहाल सड़कों ने आमजन की परेशानी बढ़ा दी है। ऐसे में चुने जाने वाले जम प्रतिनिधि को सड़कों के सुधार की गारंटी देनी होगी।
– जिले में उद्योग धंधे न होने की वजह से बेरोजगारी की समस्या है, तथा लोगों को रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ता है।
– शिवपुरी को पर्यटन नगरी कहा जाता है, लेकिन पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए किसी ने कोई पहल नहीं की।
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गुना जिले में राजघरानों के वर्चस्व की लड़ाई
मध्य प्रदेश का गुना एक ऐसा जिला है जहां इस बार के विधानसभा चुनाव में दो राजघरानों का वर्चस्व देखने को मिलेगा। ये दोनों राजघराने हैं सिंधिया और दिग्विजय पहले इस जिले को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। लेकिन, 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद उनके समर्थन वाले नेता और कार्यकर्ता भी जिले में दो फाड़ हो गए। इसी समीकरण को देखते हुए राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि, जिले के अंतर्गत आने वाली चारों विधानसभा सीटों पर राजनीतिक पार्टियों की हार जीत से ज्यादा दो राजघरानों के बीच वर्चस्व की हार जीत का मुकाबला ज्यादा रोचक होगा।
गुना जिले के मतदाताओं का विवरण
गुना ग्वालियर संभाग में स्थित है। जिले में गुना, आरोन, राघौगढ, मधुसूदनगढ़ , बमोरी, चाचोड़ा एवं कुंभराज सात तहसीलें तथा गुना, आरोन, राघौगढ, चाचोड़ा , बमोरी पांच विकासखण्ड है। जिले में आबाद ग्रामों की संख्या 1264 तथा कुल ग्राम पंचायतों की संख्या 425 है। साथ ही जिले में 5 जनपद पंचायतें तथा 2 नगरपालिका एवं 3 नगर पंचायतें हैं | गुना में विधानसभा सीटो की कुल संख्या 4 है। इनमें गुना, बमोरी, राघौगढ़ और चाचौड़ा विधानसभा है। फिलहाल, जिले के कुल मतदाताओं की बात करें तो हालही में जारी हुई सूची के अनुसार, जिले भर में 9 लाख 34 हजार 157 मतदाता आगामी विधानसभा में मत का इस्तेमाल करेंगे।
गुना विधानसभा सीट मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है, जहां 2018 में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। 2018 में हुए चुनाव के दौरान गुना विधानसभा में कुल 57 फीसदी वोटिंग हुई थी। 2018 में भारतीय जनता पार्टी से गोपीलाल जाटव ने कांग्रेस के चंद्र प्रकाश अहिरवार को 33, 667 वोटों से हराया था। फिलहाल, इस बार गुना विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, ये तो जनता ही तय करेगी।
गुना विधानसभा के मतदाताओं का विवरण
गुना का विधानसभा क्रमांक 29 है। विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 35 हजार 296 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 21 हजार 245 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 14 हजार 41 है।
गुना विधानसभा की जनता की आवाज
– गुना विधानसभा के लोग शहरी क्षेत्र की गुना नगर पालिका को नगर निगम बनाए जाने का इंतजार कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि गुना नगर पालिका को नगर निगम में बदल दिया जाए तो यहां का विकास की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।
– शहर की ज्वलंत समस्या यातायात व्यवस्था की है। चौराहों पर भी सिग्नल का अभाव है। शहरभर में सिर्फ हनुमान चौराहे पर सिग्नल है, लेकिन वो भी महीने में बीस दिन बंद रहता है।
– सड़कों पर अतिक्रमण और आवारा मवेशियों के सड़क पर घूमने और बैठे रहने की समस्या भी बहुत बड़ी है। ये रोजाना के हादसों का कारण बन रहे हैं।
– हाट रोड पर चल रहे सीवर प्रोजेक्ट के कारण सड़कें जर्जर हो गई हैं। जरा सी बारिश होने पर गड्डे नुमा सड़कें पानी से लबालब हो जाती हैं।
– गुना में सबसे बड़ी जरूरत मेडिकल कॉलेज और रिंग रोड की है। मेडिकल कॉलेज के अभाव में लोगों को अच्छा इलाज कराने के लिए इंदौर, भोपाल और ग्वालियर जाना पड़ता है।
– बजरंगगढ़ में बीस भुजी माता मंदिर है, जहां कॉरिडोर बनाए जाने की कवायद चल रही है। बजरंगगढ़ किले को पर्यटन के हिसाब से विकसित किए जाने की दरकार है।
– हिलगना में बिजली की केबल जैसी पाइप लाइन से पानी सप्लाई होता है। इसका गांव वालों से दबंग पैसा वसूलते हैं।
– यहां एक बड़ी समस्या रेलवे अंडर ब्रिज भी है। बारिश के समय खेजरा, बांसखेड़ी जैसे अंडर ब्रिज पानी से भर जाते हैं जहां से निकलना मुश्किल हो जाता है।
– लाड़ली बहना योजना को लेकर महिलाओं में खुशी है। लेकिन महिलाओं को अब किस्त के तीन हजार रुपए मिलने का इंतजार है। महिलाओं का ये भी कहना है कि वैसे सरकार को बिजली बिल और सिलेंडर के दाम घटाने चाहिए।
– गुना शहर में बिजली आती जाती रहती है। सरकार को इस समस्या का निराकरण करना चाहिए।
2- बमोरी विधानसभा का मिजाज
बमोरी विधानसभा सीट मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण विधानसभा है। यहां साल 2020 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। पिछले चुनाव में इस सीट पर कुल 62 फीसदी मत पड़े थे। उस दौरान भाजपा के महेंद्र सिंह सिसोदिया ने कांग्रेस के कन्हैयालाल रामेश्वर अग्रवाल को 53,153 वोटों से हराया था। इस बार बमोरी विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, ये जनता तय करेगी।
बमोरी विधानसभा के मतदाताओं का विवरण
बमोरी का विधानसभा क्रमांक 28 है। विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 25 हजार 174 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 15 हजार 958 है। जबकि महिला मतदाता 1 लाख 9 हजार 216 हैं।
बमोरी विधानसभा की जनता की आवाज
– बमौरी विधानसभा क्षेत्र के लोगोंको अच्छी सड़कों और पुल-पुलिया का इंतजार है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि ऐसा हो जाएगा, तो बारिश के दिनों में आसपास के इलाकों से संपर्क कट जाने का दंश जो हर साल भोगना पड़ता है, उससे मुक्ति मिल जाएगी।
– राजस्थान जाने वाला स्टेट हाईवे जर्जर है और बारिश के समय कट जाता है। इससे राजस्थान और मध्यप्रदेश के लोगों का आने-जाने का और 200 से अधिक गांवों का आपस में सम्पर्क कट जाता है।
– महुगढ़ा फाटक भी बड़ी समस्या है। अच्छी बात ये कि जनता को इस समस्या से मुक्ति मिलने वाली है, क्योंकि यहां अंडर ब्रिज का काम शुरू हो गया है। कुछ समय बाद फाटक खुलने का वाहन चालकों को इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
– बमौरी तहसील में भवन होने के बावजूद एसडीएम और एसडीओपी नहीं बैठ रहे हैं।
– ‘यहां औद्योगिक इकाइयां न होने से बेरोजगारी चरम पर है। लोग रोजगार की तलाश में राजस्थान और गुजरात चले जाते हैं।
– म्याना को तेजी से विकास के लिए नगर पंचायत बनाने की घोषणा जल्द पूरी होनी चाहिए।
– झागर के अंतर्गत आने वाले भौंरा, बरसाती और मगरोड़ा की पुलिया का निर्माण न होने से आमजन को खासा परेशानी का सामना करना पड़ता है।
– ग्वाल टोरिया, छतरपुरा और रबड़ी पन्हेटी तालाबों का निर्माण 40 साल बाद भी नहीं हो पाया है।
– झुमका गांव में के लोगों का कहना है कि गांव में कोई विकास नहीं हुआ। यहां की ज्वलंत समस्या पेयजल है। नल-जल योजना कई गांवों में बंद पड़ी है।
3- राघोगढ़ विधानसभा का मिजाज
राघोगढ़ विधानसभा सीट मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण विधानसभा है। इस सीट पर 2018 के चुनाव में कांग्रेस की जीत दर्ज हुई थी। इस सीट को पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह परिवार का अभेद किला माना जाता है। फिलहाल, इस सीट पर दिग्विजय सिंह के बेटे और पूर्व मंत्री जयवर्धन विधायक हैं। 2018 में राधवगढ़ में कुल 62 फीसदी वोटिंग हुई थी। 2018 के चुनाव में कांग्रेस से जयवर्धन सिंह ने भाजपा के भूपेंद्र रघुवंशी को 46,697 वोटों से हराया था। इस बार राधोगढ़ विधानसभा के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, ये जनता को तय करना है।
राघोगढ़ विधानसभा के मतदाताओं का विवरण
राघोगढ़ का विधानसभा क्रमांक 31 है। विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 36 हजार 580 है। इनमें पुरुष मतदाता 1 लाख 23 हजार 228 है। जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 13 हजार 347 है।
राघोगढ़ विधानसभा की जनता की आवाज
– राघौगढ़ विधानसभा क्षेत्र की जनता रोजगार को लेकर संतुष्ट नजर आई। सूकेट गांव में एनएफएल और गेल जैसे बड़े औद्योगिक संस्थान हैं, जिससे क्षेत्र को लोगों को रोजगार मिला है, लेकिन विकास कुछ नहीं है।
– सूकेट गांव में न तो बिजली है और न पानी है। ग्राम के लोगों को चौपेट नदी से पीने का पानी लाना पड़ता है।
– गांव के अधिकतर लोगों को राशन भी नहीं मिल रहा है। कुटीर न बनने से भी लोग चिढ़े हुए हैं।
– रूठियाई क्षेत्र के नारोनी मोहल्ले में नल-जल योजना के बुरे हाल हैं।
– सारसवेह गांव में पक्की सड़कें नहीं हैं। यहां लोगों को कीचड़ भरे रास्तों से गुजरना पड़ता है। नालियां भी न होने से अकसर घरों से निकलने वाले पानी से रास्तों पर कीचड़ बनी रहती है।
4- चाचौड़ा विधानसभा का मिजाज
चचौरा विधानसभा सीट मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है। राघोगढ़ की ततरह इस सीट को भी दिग्विजय राजपरिवार के गढ़ वाली विधानसभा सीट माना जाता है। इस सीट पर साल 2018 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। 2018 में हुए मतदान के दौरान यहां कुल 50 फीसदी वोटिंग हुई थी। फिलहाल, इस सीट पर दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्षमण सिंह कांग्रेस से विधायक हैं। कांग्रेस के लक्ष्मण सिंह ने भाजपा की ममता मीना को 9,797 वोटों से हराया था। इस बार चचौरा विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, ये जनता तय करेगी।
चाचौड़ा विधानसभा के मतदाताओं का विवरण
चांचौड़ा का विधानसभा क्रमांक 30 है। विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 37 हजार 107 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 23 हजार 820 है। वहीं, महिला मतदाता 1 लाख 13 हजार 284 हैं।
– रीवा का मऊगंज, छिंदवाड़ा का पाढूर्णा सतना के मैहर नया जिला बनाया जा चुका है। वहीं, उज्जैन के नागदा को भी नया जिला बनाने की घोषमा हो गई है। वहीं, दूसरी तरफ पिछले कई वर्षों से गुना जिले का चाचौड़ा को भी नया जिला बनाने की मांग की जा रही है।
– विधानसभा का ज्यादातर हिस्सा कुंभराज, मधुसूदनगढ़, बीनागंज और चांचौड़ा के आसपास गांवों में ही बसता है। यहां विकास में तेजी न आने की वजह लोग चांचौड़ा के जिला न बनने को मानते हैं।
– चांचौड़ा वासियों का आरोप है कि क्षेत्र का सबसे बड़ा मुद्दा बताते हुए कहा कि, कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा राजस्थान से नशीली सामग्री लाकर यहां खपाई जाती है। इससे युवा पीढ़ी बर्बादी की कगार पर आती जा रही है। क्षेत्र के जिम्मेदार को इसपर एक्शन लेना चाहिए।
– खटकिया के लोगों ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि ‘चौमासा है, हमारे गांव में श्मशान घाट तक नहीं है। खुले में शव जलाना पड़ता है।
– गांव में पीने के पानी तक के लिए नल-जल योजना तक नहीं हैं। कुएं और हेंडपम्प से पानी भरकर गुजारा करने को मजबूर हैं।
– कुटीर न मिलने से भी लोग काफी परेशान हैं।
– चाचौड़ा क्षेत्र में एक बड़ा मुद्दा जल संकट भी है। बीनागंज इलाके की पेयजल संकट के निजात के लिए बिछाई जाने वाली मुख्यमंत्री पेयजल योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गईं।
– चांचौड़ा का बायपास अभी तक नहीं बना है। मधुसूदनगढ़ की बड़ी समस्या बस स्टैंड न होना है।
– कुंभराज में रोजगार की सबसे बड़ी समस्या है। विधानसभा में रोजगार का अभाव होने के कारण लोगों को अहमदाबाद, सूरत और दिल्ली जाना पड़ता है।
– बेरोजगारी दूर हो, इसके लिए बड़ा प्रोजेक्ट सरकार को यहां शुरू करना चाहिए।
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2020 में हुए राजनीतिक उलटफेर से अशोकनगर जिले का खास नाता
साल 2020 में मध्य प्रदेश में हुए राजनीतिक उलटफेर में अशोकनगर जिले की अहम भूमिका रही थी। तब ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ जिले के तीन में से दो विधानसभाओं के सदस्य कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए थे। इनमें अशोकनगर और मुंगावली शामिल है और इन्हीं दोनों सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को झटका देते हुए भाजपा ने कब्जा जमाया था। अब इस जिले की तीनों विधानसभाओं में लोगों की अलग अलग प्रतिक्रियाएं हैं। कोई मौजूदा जन प्रतिनिधि से खुश है तो कोई नाखुश। आइये जानते हैं क्या विधानसभावार हालात ?
अशोकनगर विधानसभा को मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट माना जाता है। 2020 के उपचुनाव में इस सीट पर कुल 52.52 फीसद वोटिंग हुई थी। इस सीट पर 2020 में हुए उपचुनाव के दौरान भाजपा ने जीत दर्ज की थी। भाजपा से जयपाल सिंह ने कांग्रेस की आशा दोहारे को 14,630 वोटों से हराया था। इस बार इस सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, ये तो जनता ही तय करेगी। फिलहाल, इस सीट के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में पहुंचकर जब पत्रिका.कॉम ने लोगों की नब्ज टटोली तो कुछ इस तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आईं।
अशोकनगर विधानसभा के मतदाताओं का विवरण
अशोकनगर जिले की अशोकनगर का विधानसभा क्रमांक 32 है। विधानसभा में कुल 2 लाख 18 हजार 802 मतदाता हैं। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 13 हजार 534 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 5 हजार 257 है। इनमें 11 थर्ड जेंडर मतदाता भी हैं।
अशोकनगर विधानसभा की जनता की आवाज
– अशोकनगर विधानसभा क्षेत्र के सिकंदरा गांव के लोग विकास को लेकर असंतुष्ट नजर आए। लोगों का कहना है कि गांव में कोई काम नहीं हुआ है। इस बात की पुष्टि इसी से कर सकते हैं कि यहां सड़कें तक नहीं हैं।
– गिने-चुने लोगों को राशन मिल रहा है और कुछ लोगों को ही आवास मिले हैं।
– अमाही गांव में लोगों को योजनाओं का लाभ तो मिल रहा है लेकिन लोगों ने उन योजनाओं को लेकर बीच में बेठे लोगों को बड़ा हिस्सा काने का आरोप लगाया। लोगों का आरोप है कि डेढ़ लाख रुपए के आवास के 1.20 लाख रुपए ही मिले हैं।
– सरकार ने किसानों की ब्याज माफी का ऐलान किया। खुशी-खुशी दौड़ते हुए बैंक पहुंचे तो बैंक वालों ने कहा, कोई ब्याज माफ नहीं हो रहा, कर्जा चुकाओ।
2- मुंगावली विधानसभा का चुनावी गणित
मुंगावली विधानसभा सीट मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है। इस सीट पर 2020 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। 2020 के चुनाव में इस सीट पर कुल 55.20 प्रतिशत वोट पड़े थे, जिसमें भाजपा से ब्रजेन्द्र सिंह ने कांग्रेस के हेमंत सिंह को 21469 वोटों से हराया था। इस बार इस सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में आएंगे, ये तो जनता ही तय करेगी। फिलहाल, इस सीट के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में पहुंचकर जब पत्रिका.कॉम ने लोगों की नब्ज टटोली तो कुछ इस तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आईं।
मुंगावली विधानसभा के मतदाताओं का विवरण
अशोकनगर जिले की मुंगावली का विधानसभा क्रमांक 34 हैं। यहां कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 14 हजार 743 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 12 हजार 287 है। जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 2 हजार 251 है।
मुंगावली विधानसभा की जनता की आवाज
– मुंगावली विधानसभा के बिल्हेरू गांव के लोगों में प्रशासनिक तंत्र को लेकर नाराजगी देखने को मिली। ग्रामीणों का कहना है 20 हजार रुपए देकर तहसील से जमीन का नामांतरण करा पाए और एक साल में भी नक्शा दुरुस्त फाइल पर अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं हो सके।
– मौकम आदिवासी नाम के ग्रामीण का कहना है कि यहां के कूपन पर इंदौर में राशन मिल जाता है, लेकिन तहसील के एक गांव का कूपन दूसरे गांव में नहीं चलता। इस व्यवस्था के कारण बड़ी आबादी राशन से वंचित है।
– गर्भवतियों को पोषण आहार की राशि और प्रसव के बाद की रकम न मिलने पर लोगों में नाराजगी है।
– हर साल बाढ़ से प्रभावित होने वाले ढि़चरी गांव के लोगों में भी नुकसान का सही मुआवजा न मिलने पर नाराजगी नजर आई।
3- चंदेरी विधानसभा का चुनावी गणित
चंदेरी विधानसभा सीट मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है, जहां 2018 में आईएनसी ने जीत दर्ज की थी। 2018 में चंदेरी में कुल 34 प्रतिशत वोट पड़े। 2018 में कांग्रेस के गोपाल सिंह चौहान ने भाजपा के भूपेंद्र द्विवेदी को 4179 वोटों से हराया था। इस बार चंदेरी विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, ये जनता को तय करना है। फिलहाल, इस सीट के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में पहुंचकर जब पत्रिका.कॉम ने लोगों की नब्ज टटोली तो कुछ इस तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आईं।
चंदेरी विधानसभा के मतदाताओं का विवरण
अशोकनगर जिले की चंदेरी का विधानसभा क्रमांक 33 है। विधानसभा में कुल 1 लाख 98 हजार 469 मतदाता हैं। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 3 हजार 409 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 95 हजार 55 है। इनमें 5 थर्ड जेंडर भी हैं।
चंदेरी विधानसभा की जनता की आवाज
– चंदेरी विधानसभा क्षेत्र के रुसल्ला बुजुर्ग गांव में पहले और अब की सुविधाओं में गांव में कोई बदलाव नहीं हुआ है। शिक्षा का स्तर गांव में बदतर अवस्था में है। यहां के लोगों को मजबूरन अपने बच्चों को बाहर पढ़ने भेजना पड़ता है।
– बीसोर गांव में सड़के कच्ची हैं। कहीं कही मुरम डालकर रास्ते बनाए गए हैं। लोगों का कहना है कि पहले कीचड़ में से निकलते थे, लेकिन अब गांव में अदिकतर जगहों पर खरंजा हो गया है।
– शौचालय और आवास मिल गए, इससे ग्रामीण जीवन में काफी सुधार और बदलाव आया है लेकिन शिक्षा से उनका पूरा गांव वंचित है।
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दतिया जिले में ब्राह्मण और कुशवाहा वोटों का का खास प्रभाव
मध्य प्रदेश के मौजूदा गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का गृहनगर माने जाने वाले दतिया जिले में सबसे ज्यादा प्रभाव कुशवाहा और ब्राह्मण मतदाताओं का प्रभाव सबसे ज्यादा है। तीसरे नंबर पर वैश्य मतदाता आते हैं। वहीं, चुनाव में पड़ने वाले क्षत्रिय वोट भी समीकरण बदलने में अहम भूमिका निभाते हैं। इस जिले में कुल तीन विधानसभाएं हैं। इनमें दतिया, सेवढ़ा और भांडेर विधानसभा शामिल है। आइये… विधानसभावार जमीनी हालात के बारे में जानते हैं।
जिले के कुल मतदाताओं का विवरण
मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, दतिया जिले में कुल मतदाताओं की संख्या 9 लाख 79 हजार 580 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 5 लाख 18 हजार 837 है। जबकि महिला मतदाता 4 लाख 60 हजार 743 हैं। आइये जानते हैं विधानसभावार जिले का चुनावी मिजाज।
1- दतिया विधानसभा का मिजाज
सबसे पहले दतिया विधानसभा की बात करें तो पिछली तीन बार से इस सीट पर भाजपा काबिज है। मौजूदा समय में मध्य प्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा यहां से विधायक हैं। वो पिछली तीन बार से यानी 2008, 2013 और 2018 में इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं। 2018 में दतिया में कुल 49 प्रतिशत वोट पड़े। भाजपा से नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस के राजेंद्र भारती को 2,656 वोटों से हराया था। इस बार भी भाजपा ने अपनी चौथी लिस्ट में उन्हें स्थान देते हुए दतिया विधानसभ सीट से प्रत्याशी घोषित कर दिया है। देखना रोचक होगा कि इस बार इस सीट के मतदाता किस पार्टी के उम्मीदवार को क्षेत्र की सत्ता में बैठाते हैं।
दतिया विधानसभा के मतदाताओं का विवरण
मतदाताओं की बात करें तो मौजूदा समय में दतिया विधानसभा में कुल 2 लाख 20 हजार 505 मतदाता हैं। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 16 हजार 230 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 14 हजार 260 है। इसके अलावा इस विधानसभा में कुल 15 ट्रांसजेंडर हैं।
2- सेवड़ा विधानसभा का मिजाज
दतिया जिले की सेवड़ा विधानसभा सीट की बात करें तो इस पर पिछली बार 2018 में हुए विधानसभा के दौरान कांग्रेस का कब्जा हुआ था। कांग्रेस की ओर से चुने गए घनश्याम सिंह सेवड़ा से विधानसभा सदस्य चुने गए थे। भाजपा ने यहां से प्रत्याशी के तौर पर राधेलाल बघेल को उतारा था, लकिन उनकी हार हुई थी। 2018 के चुनाव में सेवड़ा सीट पर कुल 53 फीसदी वोटिंग हुई थी। उस दौरान कांग्रेस के घनश्याम सिंह ने भाजपा के राधे लाल बघेल को 33,268 वोटों से हराया था। हालांकि, अबतक कांग्रेस ने पत्ते नहीं खेले हैं। लेकिन कांग्रेस की ओर से घनश्याम सिंह की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। फिर भी देखना रोचक होगा कि इस बार सेवड़ा के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में रहेंगे।
सेवड़ा विधानसभा के मतदाताओं का विवरण
मतदाताओं की बात करें तो मौजूदा समय में सेवढ़ा विधानसभा में कुल 3 लाख 8 हजार 794 मतदता हैं। इनमें 1 लाख 63 हजार 519 पुरुष मतदाता हैं। जबकि 1 लाख 45 हजार 275 महिला मतदाता हैं। इनमें 4 ट्रांसजेंडर भी हैं।
3- भांडेर विधानसभा का चुनावी माहौल
भांडेर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। 2013 में यहां से भाजपा के घनश्याम पिरोनियां विधायक चुने गए थे। हालांकि, 2018 के चुनाव में ये सीट कांग्रेस के खाते में चली गई और कांग्रेस की रक्षा सरोनिया यहां से विधायक बनकर सदन में पहुंचीं और भाजपा की ओर से खड़ी हुई रजनी प्रजापति हार हुई। लेकिन, सिंधिया समर्तक मानी जाने वाली रक्षा सरोनिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गईं। इसके बाद उपचुनाव में उन्हीं को उम्मीदवार बनाया गया और 2020 के उपचुनाव में इस सीट पर भाजपा का कब्जा हो गया। अनुसूचित जाति के मतदाता ज्यादा होने से इस सीट को आरक्षित किया गया है। वहीं ब्राह्मण, क्षत्रिय और यादव
मतदाता परिणामों को प्रभावित करते हैं।
भांडेर विधानसभा के मतदाताओं का विवरण
मतदाताओं की बात करें तो भांडेर विधानसभा में कुल 3 लाख 14 हजार 135 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 66 हजार 359 है। जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 47 हजार 776 है।
– दतिया विधानसभा में जहां औद्योगिक इकाइयों की कमी होने के कारण क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। इसपर ध्यान देना चाहिए।
– यही कारण है कि जिले की बड़ी आबादी को रोजगार की तलाश में जिले, प्रदेश और देश ही नहीं, बल्कि विदेशों तक जाना पड़ता है।
– जिले के अंतर्गत आने वाले अकसर ग्रामीण क्षेत्रों सड़कें नहीं हैं या कमी है। इसके चलते जिले की बड़ी आबादी को मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर किसी इमरजेंसी के दौरान स्थानीय ग्रामीणों के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाती है।
– जो गांव शिवपुरी से दतिया में शामिल हुए हैं उनकी विधानसभा करेरा है इस विधानसभा में पेयजल एक बड़ी समस्या है।
– अच्छे तकनीकी कॉलेजों की कमी होने के कारण जिले के बच्चों को बाहर पढ़ने जाना पड़ता है।
– भांडेर में सड़क और पानी की समस्या है। यहां बेरोजगारी भी युवाओं के लिए बड़ी चुनौती है।
– सेंवढ़ा विधानसभा में किसानों को सिंचाई की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।