विधानसभा चुनाव-2023 के लिए भारतीय जनता पार्टी ग्वालियर पूर्व व दक्षिण और कांग्रेस पार्टी ग्वालियर विधानसभा के लिए प्रत्याशी अभी तक घोषित नहीं कर पाई है। तीनों सीटों पर नाम का समीकरण उलझ गया है। दोनों ही पार्टियां प्रत्याशियों के लिए पुराने चेहरों में ही उम्मीदें तलाश रही हैं। जबकि अन्य पार्टियां उन बागियों की आस में हैं जो टिकट नहीं मिलने पर उनके सिंबल पर मैदान में उतर सकते हैं। इसलिए अभी तक आम आदमी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी और समाजवादी पार्टी ने कई सीटों पर प्रत्याशियों के नाम ही तय नहीं कर पाई हैं।
नारायण सिंह कुशवाहा ने ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से 2003 और 2013 में चुनाव जीता और शिवराज सरकार में मंत्री भी रहे, लेकिन 2018 में वे कांग्रेस के प्रवीण पाठक से महज 121 वोट के मामूली अंतर से चुनाव हार गए। समीक्षा ने 2018 में टिकट न मिलने पर पार्टी से बगावत कर दी थी और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतर गईं थी। वे जीत तो न सकीं, लेकिन उन्होंने भाजपा के वोटों में जमकर सेंध लगाई, और भाजपा अपने परंपरागत गढ़ में चुनाव हार गई। भाजपा ने बाद में समीक्षा गुप्ता का पार्टी से निष्कासन रद्द कर दिया और उन्हें फिर पार्टी में स्थान दे दिया था। नारायण अपनी हार का कारण वे समीक्षा गुप्ता को मानते है, क्योंकि समीक्षा पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ी थी।
और भाजपा के वोटों को काटा था। इसका फायदा कांग्रेस को मिला।
भाजपा के लिए सबसे बड़ी मुसीबत दक्षिण विधानसभा बन रही है। यहां पार्टी के अपने ही मुसीबत बन रहे हैं। इस सीट से अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा खुले तौर पर दावेदारी कर चुके हैं, लेकिन पार्टी उनको पूर्व विधानसभा से चुनाव प्रत्याशी बनाना चाहती है। लेकिन वे तैयार नहीं है। पिछली बार चुनाव हार चुके नारायण सिंह कुशवाह पर पार्टी दक्षिण से दांव खेलना नहीं चाहती है, क्योंकि पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता से खुलकर विरोध चल रहा है। पार्टी नारायण सिंह को नाराज नहीं करना चाहती है, यहां सबसे ज्यादा कुशवाह वोटर है। अनूप यदि पूर्व से चुनाव लड़ने पर सहमति दे देते हैं तो पार्टी दक्षिण से सांसद विवेक नारायण शेजवलकर को उतार सकती है।
कांग्रेस के डॉ. सतीश सिंह सिकरवार के खिलाफ भाजपा अभी तक प्रत्याशी तय नहीं कर पाई, जबकि चुनाव में एक महीने से कम का समय शेष है। यहां से केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व मंत्री माया सिंह, अनपू मिश्रा, मुन्नालाल गोयल के नाम चर्चा में हैं। सिंधिया को भाजपा स्टार प्रचारक बना रही है, इसलिए उनका चुनाव लड़ना मुश्किल है, जबकि अनूप मिश्रा पूर्व से किस्मत आजमाना नहीं चाहते हैं। मुन्नालाल गोयल पिछली बार सतीश से हार चुके हैं, इसलिए पार्टी उन पर दांव नहीं लगाना चाहती है। ऐसे में लाड़ली बहना के नाम पर महिला प्रत्याशी माया सिंह को भाजपा चुनाव में उतार सकती है। फिलहाल नाम को लेकर मंथन चल रही रहा है।
भाजपा का नए दावेदारों पर जोर, कांग्रेस पुरानों पर
ग्वालियर विधानसभा में नाम पर पेच फंसा हुआ है। कांग्रेस पार्टी पुराने चेहरे सुनील शर्मा को फिर से मैदान में उतराना चाह रही है, लेकिन नए चेहरे दावेदारी के लिए अड़े हुए हैं। मितेन्द्र दर्शन सिंह, सौरभ तोमर, योगेन्द्र तोमर, मंजुलता तोमर ने अपनी दावेदारी के लिए क्षेत्र में वर्चस्व भी दिखा दिया है, लेकिन प्रदेश समिति ने इन नामों को सिरे से नकार दिया। टिकट पाने की आस में दावेदारों ने दिल्ली में डेरा डाल दिया और वरिष्ठों के सामने अपनी बात रखी है। पार्टी ने फिर से नाम पर विचार करने के लिए कहा, इसलिए फिलहाल नाम की घोषणा नहीं हो सकी है।