पूरा देश इस वक्त भगवान राम के रंग में रंगा हुआ है. भगवान राम ने जब लंका पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र पर पुल बनाया था। उस दौरान राम नाम के पत्थर पानी में तैरने लगे थे और अब ग्वालियर के अंतरराष्ट्रीय मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा ने राम-लक्ष्मण और सीता की पत्थर से तराशकर ऐसी नाव बनाई है जो पानी पर तैर रही है। ये नाव बनाए जाने के बाद किए गए परीक्षण के बाद से ही चर्चा का विषय बनी हुई है। लोग दूर दूर से इसे देखने आ रहे हैं।
यह भी पढ़ें- 4 दिन बिगड़ने वाला है मौसम, जारी हुआ बारिश और ओले पड़ने का अलर्ट
त्रेता युग का केवट संवाद दृश्य दिखाया गया
इस अद्भुत कलाकृति को लेकर मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा ने बताया कि उन्होंने इस नाव के निर्माण में मिंट स्टोन का करीब 50 किलो वजनी पत्थर इस्तेमाल किया जिसे 40 दिन तराशने के बाद त्रेता युग के केवट संवाद दृश्य में तब्दील किया गया। तराशे जाने के बाद मूल बनी नाव का कुल वजन महज पांच किलो रह गया था, जिसमें भगवान राम, लक्ष्मण, सीता जी को बैठाया गया है, जबकि केवट नाव को चला रहे हैं। मानयता है कि भगवान राम को जब वनवास मिला था तब केवट ने उन्हें अपनी नाव में बिठाकर सरयू पार उतारा था। पानी में तैरती पत्थर की नाव इसी दृश्य को दर्शाने के उद्देश्य से बनाई गई है।
कलाकृति के साथ नाव बनाने में किया साइंस का इस्तेमाल
दीपक के अनुसार वो भगवान राम के एक बार फिर अयोध्या लौटकर भव्य मंदिर में विराजित होने से बेहद उत्साहित हैं। उनका कहनाहै कि वैसे तो 50 ग्राम का पत्थर भी पानी में डूब जाता है, लेकिन तैयार होने के बाद 5 किलो वजनी बची पत्थर की ये नाव पानी में तैर रही है। दीपक ने इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा कि नाव बनाने में उन्होंने कला के साथ साइंस का भी इस्तेमाल किया है।ओवल शेप की पत्थर कटिंग के बाद नाव का बैलेंस बनाए रखने के लिए ऊपर बनाई गई मूर्तियों से बैलेंस बनाया गया है। यही वजह है कि नाव पानी में नहीं डूब रही।
यह भी पढ़ें- राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए इस नेत्रहीन मुस्लिम शख्स को आया न्योता, जानें कौन हैं अकबर ताज
22 जनवरी को डिस्प्ले में रखी जाएगी नाव
वहीं दीपक द्वारा बनाई गई नाव को देकने आए लोगों का कहना है कि यह न सिर्फ ग्वालियर बल्कि देशभर के लिए सौभाग्य की सौगात है। उन्होंने कहा कि हम सभी ये चाहते हैं कि इस नाव को भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सरयू में चलाना चाहिए। हालांकि दीपक विश्वकर्मा का कहना है कि 22 जनवरी को जब अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होगी, उसी दौरान ग्वालियर में दीपक विश्वकर्मा अपनी बनाई इस अनोखी नाव को डिस्प्ले में रखकर सार्वजनिक करेंगे। उनका कहना है कि ये नाव आज की पीढ़ी को त्रेता युग के भगवान राम के जीवन के त्याग और तपस्या की कहानी बयां करेगी।