1897 में हुई थी स्थापना
दी सिंधिया स्कूल की स्थापना 1897 में ग्वालियर फोर्ट के पास की गई थी। ग्वालियर राजघराने के महाराज माधवराव सिंधिया ने इस स्कूल की स्थापना की थी। यह लड़कों का बोर्डिंग स्कूल है और ग्वालियर के ऐतिहासिक ग्वालियर किले में स्थित है। 1897 में सिंधिया स्कूल की स्थापना सिंधिया स्टेट के तत्कालीन महाराजा माधवराव सिंधिया ने ‘सरदार स्कूल’ के नाम से की थी। कई दशकों तक राजाओं, सरदारों ओर जागीरदारों के बेटों को किशोरावस्था में ही अनुशासन और पाबंदी का जीवन व्यतीत करना इस स्कूल में सिखाया जाता रहा है। उसी समिति द्वारा ग्वालियर शहर में ‘सिंधिया कन्या विद्यालय’ नामक लड़कियों का भी एक आवासीय विद्यालय संचालित किया है।
साल 1933 में समिति ने यह निर्णय लिया कि विद्यालय को सार्वजनिक स्वरूप दिया जाए। तब इसका नाम सरदार स्कूल से बदलकर ‘सिंधिया स्कूल’ रखा गया। शहर में लगभग 300 फीट की ऊंचाई पर बसे ग्वालियर दुर्ग के ऐतिहासिक अवशेषों की देखरेख और मरम्मत के बाद उन्हें छात्रावास और विद्यालय परिसर का प्रारूप दिया गया।
ग्वालियर शहर के कोलाहल से दूर प्राकृतिक सौंदर्य के मध्य ग्वालियर के ऐतिहासिक दुर्ग पर यह स्कूल स्थिति है। स्कूल का भवन व होटल वास्तुकला के अनुपम उदाहरण हैं। कैंपस में छात्रों के खेलने के लिए 22 मैदान हैं। जिसमें क्रिकेट, लॉन टेनिस, स्वीमिंग पूल, हार्स राइडिंग, बॉक्सिंग से लेकर हर तरह के इंडोर गेम, ओपन थिएटर हैं।
शिक्षा और आवास की दृष्टि से इसे दो वर्गों में बांटा गया है। क्लास तीसरी से छठी तक जूनियर वर्ग और क्लास सातवीं से बाहरवीं को सीनियर वर्ग में रखा गया है। जूनियर वर्ग के छात्र जनकोजी, दत्ताजी व कनेरखेड़ छात्रावास एवं सीनियर वर्ग जयाजी, रणोजी, महादजी, जीवाजी, शिवाजी, माधव, जयप्पा छात्रावास में रहते है। सभी छात्रावास के नाम सिंधिया राजवंश से संबंधित व्यक्तियों के नाम पर रखे गए हैं।
सिंधिया स्कूल की फीस बहुत मंहगी है। दी सिंधिया स्कूल की आधिकारिक बेबसाइट के अनुसार इस स्कूल की फीस करीब 12 लाख रुपए सालना है। फिल्म अभिनेता सलमान खान ( Salman Khan ) इस स्कूल में अरबाज खान के साथ 1977 से 1979 तक पढ़े थे। इस दौरान वे दोनों रानोजी हाउस में रहते थे। इस स्कूल ने देश को कई बड़े नेता, सेना के लिए जनरल, उद्योगपति और फिल्म अभिनेता दिए हैं। सूरज बड़जात्या, नितिन मुकेश, अनुराग कश्यप, अली असगर, सुनील भारती मित्तल और मुकेश अंबानी भी यहां पढ़ाई कर चुके हैं।
माधवराव सिंधिया भी इस स्कूल के छात्र थे। यहां स्कूल में उन्हें कोई रॉयल ट्रीटमेंट नहीं मिलता था। अन्य छात्रों की तरह उन्हें भी सुविधाएं मिलतीं थीं। कहते हैं कि कि माधवराव ने स्कूल में अपनी किसी समस्या की शिकायत अपने पिता महाराज जीवाजी राव सिंधिया से की थी। उस समय जीवाजी राव ने माधवराव को नसीहत दे दी कि इस मामले में वे कुछ हस्तक्षेप नहीं करेंगे। यह उनकी समस्या है और खुद ही निपटना होगा।
दी सिंधिया स्कूल में छात्र आनुशासित जीवन जीते हैं। घंटी बजते ही बच्चे योग करने पहुंच जाते हैं। हॉस्टल में ही स्नान के बाद ड्रेस निरीक्षण और नाश्ता होता है। उसके बाद भजन और प्रार्थना के बाद पढ़ाई। पढ़ाई के बाद लंच और फिर स्टूडेंट्स स्कूल कैंपस में कुछ भी खेलते हैं।