उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर शासन को निर्देश दिए थे कि वन भूमि पर किए गए अतिक्रमण को हटाया जाए। न्यायालय के इस आदेश के बाद यहां जिला प्रशासन अतिक्रमण हटाने पहुंचा था तो वहां विधायक मुन्नालाल गोयल ने धरना देकर उच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं होने दिया था। वहीं इस संबंध में एक पुनर्विचार याचिका प्रस्तुत की गई थी। बाद में उच्च न्यायालय के निर्देश पर शासन द्वारा यहां कब्जा कर रहने वालों की जांच की गई तो पाया गया कि यहां रहने वाले लोग पट्टा पाने के हकदार नहीं है। इन लोगों के पहले से ही अन्य स्थानों पर मकान है। इसी तरीके से कैंसर पहाडिया सहित कई पहाड़ों पर शहर में कब्जे किए जा रहे हैं।
हाईकोर्ट ने कहा प्लान न होने पर करे पौधरोपण न्यायमूर्ति शील नागु तथा न्यायमूर्ति राजीव कुमार श्रीवास्तव की युगलपीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान शासन से कहा कि वे अगली सुनवाई तक यहां फिर से अतिक्रमण न हो इसके लिए प्लान बनाकर दें। यदि कोई प्लान नहीं है तो यहां पौधे लगाएं। पूर्व में इस पहाड़ी पर किए गए कुछ अतिक्रमण प्रशासन ने हटाए थे लेकिन बाद में यहां फिर से निर्माण हो गए हैं। प्रशासन द्वारा जिन निर्माणों को तोड़ा गया था उसका मलवा वहीं पड़ा होने से वहां फिर से निर्माण कर लिए गए हैं। यहां की गई तार फेंसिंग को भी अतिक्रमणकारियों ने तोड़ दिया है। इसके बाद फिर से अतिक्रमण कर लिए गए हैं।