उसके बाद इस मामले में ग्वालियर कुटुंब न्यायलय ने डीएनए टेस्ट करवाने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि तीसरी संतान और पति दोनों का डीएनए टेस्ट करवाओ। अब डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आ गई है। इस रिपोर्ट में पत्नी जो दावा कर रही थी वह सही है। यह बच्चा उसके पति का ही है। उसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता के तलाक की अर्जी को खारिज कर दिया है।
महिला यूपी के इटावा में टीचर है। जॉब की वजह से वह वहीं रहती है। जबकि पति ग्वालियर में एक निजी स्कूल चलाता है। 2011 में जब वह गर्भवती हुई थी तब उसके पति ने यह आरोप लगाकर उसके खिलाफ तलाक की अर्जी दाखिल की थी। हालांकि परिवार को बचाने के लिए महिला सब कुछ सहती रही है। लेकिन पीड़िता के वकील का कहना है कि पति आज भी उसका हक नहीं दे रहा है।
महिला के मायके लोगों की कोशिश आज भी है कि परिवार किसी तरह से बच जाए। कोर्ट के फैसले के बाद भी पत्नी को पति उसका हक नहीं दे रहा है। वह आज भी बच्चों का भरण-पोषण खुद ही कर रही है। ऐसे में महिला मानसिक रूप से काफी परेशान हो गई है। महिला का यह भी मानना है कि अगर सब कुछ ठीक नहीं हुआ तो मैं पति के खिलाफ मानहानि का मुकदमा करूंगा।