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ग्वालियर

3 राज्यों के 100 गांवों से ली जाएगी जमीन, अभी टेंडर की प्रक्रिया अधूरी !

Gwalior-Agra Six Lane: अफसरों को उम्मीद है कि इस बार 90 प्रतिशत भू-अर्जन पूरा हो जाएगा और उसके बाद टेंडर खोले जा सकेगा।

ग्वालियरNov 29, 2024 / 05:05 pm

Astha Awasthi

Gwalior-Agra Six Lane

Gwalior-Agra Six Lane

Gwalior-Agra Six Lane: ग्वालियर से आगरा तक प्रस्तावित ग्वालियर-आगरा सिक्स लेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे की टेंडर की प्रक्रिया लगभग 11 महीने बाद भी पूरी नहीं हो पाई है। टेंडर प्रक्रिया में तकनीकी खामियों को दूर करने व संशोधन करने सहित अन्य मामलों को लेकर अब तक लगभग 18 बार टेंडर की डेट को बढ़ाया जा चुका है। ऐसे में अब एनएचएआई ने तीन दिसंबर की तारीख टेंडर खोलने के लिए तय की है, लेकिन जब तक 90 प्रतिशत भू-अर्जन पूरा नहीं होता तब तक टेंडर को नहीं खोला जा सकेगा।
हालांकि अफसरों को उम्मीद है कि इस बार 90 प्रतिशत भू-अर्जन पूरा हो जाएगा और उसके बाद टेंडर खोले जा सकेगा। वर्तमान स्थिति को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे की बनने की शुरुआत अगले साल यानी 2025 में ही हो पाएगी।

3841 करोड़ रुपए की लागत

बता दें कि नेशनल हाइवे अथारिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने 5 जनवरी 2024 को 3841 करोड़ रुपए की लागत से 88.400 किमी लंबे सिक्स लेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे के निर्माण व वर्तमान 121 किमी लंबे फोरलेन हाइवे की मरमत का टेंडर जारी किया था। कंपनी को 30 महीनों में ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे का निर्माण कार्य करना होगा और वर्तमान हाइवे की मरम्मत भी करनी होगी।
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इन राज्यों में होना है भूमि अधिग्रहण

एनएचएआई के अफसरों के अनुसार ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे के लिए मप्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के 100 से अधिक गांवों में भूमि अधिग्रहण किया जाना है। इसमें मप्र के मुरैना व ग्वालियर का सुसेरा गांव की भूमि, राजस्थान के धौलपुर और उत्तरप्रदेश के आगरा की भूमि शामिल हैं।
अभी भू-अर्जन के लिए मुआवजा राशि का निर्धारण का कार्य चल रहा है। यह कार्य पूरा होते ही टेंडर को खोला जाएगा। इस प्रक्रिया में समय लग रहा है इसलिए टेंडर की डेट बढ़ाना पड़ रही है। अब तीन दिसंबर को टेंडर खोले जाएंगे।- उमाकांत मीणा, प्रोजेक्ट डायरेक्टर एनएचएआई

ऐसे उलझा मामला

पूर्व में केंद्रीय कैबिनेट की स्वीकृति में टेंडर की लगातार डेट बढ़ाई जाती रही। इसके बाद जब मामला भू-अर्जन में पहुंचा तो वहां पर उलझ गया, जिसका अब तक निराकरण नहीं हो सका है। यही वजह रही कि लगभग एक साल के अंदर लगभग 18 बार टेंडर खोलने की डेट में संशोधन किए जा चुके हैं। जबकि तकनीकी खामियों को दूर करने के लिए भी कई बार संशोधन किए जा चुके हैं।

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