समाधान की तर्ज पर पहुंचना होगा लोगों के घरों तक, तभी खत्म होगी परेशानियां
हर स्तर पर लंबित हैं आवेदन, सीएम हेल्पलाइन, राजस्व प्रकरण सहित जनसुनवाई के आवेदनों का भी नहीं हो सका है निराकरण छोटी-छोटी समस्याओं लेकर लोग हैं परेशान
समाधान की तर्ज पर पहुंचना होगा लोगों के घरों तक, तभी खत्म होगी परेशानियां
विधानसभा चुनाव के चलते जिले में अधिकारी ने जनता के कामों को तवज्जो नहीं दी, जिसके चलले हर स्तर पर मामले लंबित हैं। इन मामलों को खत्म करना करना प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती है। यदि समाधान योजना की तर्ज पर अधिकारी लोगों के लोगों के घरों तक नहीं पहुंचते हैं तो इनकी संख्या में कमी करना संभव है। क्योंकि निराकरण का आंकड़ा कम है और शिकायतें लगतार आ रही हैं। लोगों को छोटी समस्या हैं, उन्हें मौके पर शिविर लगाकर ही खत्म किया जा सकता है।
जिलें छोटी समस्या को लेकर सीएम हेल्पलाइन व जन सुनवाई में अपनी समस्या लेकर आते हैं। जन सुनवाई में आने वाले आवेदनों को उत्तरा पोर्टल पर दर्ज कर विभागों को भेज दिया जाता था, लेकिन विभागों आवेदनों पर ध्यान नहीं दिया। उसके बाद सीएम हेल्पलाइन का सहारा लिया। इस बीच आचार संहिता लग गई, जिसके चलते अधिकारियों की बैठक व कार्यों की समीक्षा बंद हो गई। इससे पेडेंसी और बढ़ गई। 59 दिन में लोग सीएम हेल्पलाइन के भरोसे रहे। इस वजह स पेडेंसी बढ़ी है। इसके अलावा चुनाव आचार संहिता समाप्त हो गई है। बावजूद इसके काम में रफ्तार नहीं दिख रही है।
क्या है समाझान योजना
दरअसल छोटे-छोटे केसों को लेकर लोग न्यायालय तक न आए, उसके लिए समाधान योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत दल बनाए गए थे। जो गांव में पहुंचे और दोनों पक्षों से बात करके केसों का निराकरण किया गया। इस व्यवस्था से बड़ी संख्या में केसों का निराकरण हुआ था।
– छोटे-छोटे विवाद, राजस्व प्रकरण जो लंबे समय से लंबित थे, उन्हें निराकृत किया गया। इससे बड़ी राहत मिली थी।
सीएम हेल्पलाइन- 19000
राजस्व प्रकरण- 14265
जनसुनवाई आवेदन- 4000
सीमांकन-1686
बटांकन-1367
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