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ग्वालियर

ग्वालियर-चंबल संभाग के पहले सोलर प्लांट में बनेगी 30 मेगावाट बिजली बनना, टाटा एनर्जी कंपनी का है प्लांट

first solar plant for power generation of gwalior chambal region: शहर से 20 किलोमीटर दूर ग्राम चिटोरा के पास ग्वालियर-चंबल संभाग के पहले सोलर प्लांट का काम तेजी से चल रहा है, जिसमें हर घंटे 180 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। पहले चरण में 30 मेगावाट बिजली बनने का काम अक्टूबर माह से शुरू हो जाएगा।

ग्वालियरSep 21, 2019 / 12:47 pm

Gaurav Sen

first solar plant for power generation of gwalior chambal region

first solar plant for power generation of gwalior chambal region

सेमुअल दास @ शिवपुरी

शहर से 20 किलोमीटर दूर ग्राम चिटोरा के पास ग्वालियर-चंबल संभाग (Gwalior Chambal Sambhag) के पहले सोलर प्लांट का काम तेजी से चल रहा है, जिसमें हर घंटे 180 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। पहले चरण में 30 मेगावाट बिजली बनने का काम अक्टूबर माह से शुरू हो जाएगा। बनने वाली बिजली को चंदनपुरा 220 केवी विद्युत सब स्टेशन तक पहुंचाने के लिए हाईटेंशन लाइन के टॉवर भी बनकर तैयार हो गए। 700 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे सोलर प्लांट का काम ग्रीनको एनर्जी कंपनी, टाटा एनर्जी (TATA ENERGY) कंपनी से करवाया रही है। यहां बनने वाली बिजली सरकार खरीदेगी और इसके बाद वो शिवपुरी सहित अन्य जिलों में सप्लाई की जाएगी।
शिवपुरी के ग्राम चिटोरा के नजदीक सोलर प्लांट का काम जनवरी 2019 में शुरू किया गया। 150 एकड़ में बनाए जा रहे इस प्लांट में सोलर प्लेट लगाने के स्टैंड बनकर तैयार हो गए हैं, साथ ही बनने वाली बिजली को चंदनपुरा स्थित 220 केवी विद्युत सब स्टेशन तक पहुंचाने के लिए केबल आदि खींचने के लिए भी टॉवर तैयार हो गए। चिटोरा गांव के पास ही 30-30 मेगावाट विद्युत उत्पादन वाले 6 प्लांट बनाए जा रहे हैं, जिसका पहला प्लांट अक्टूबर से बिजली बनाना शुरू कर देगा। 180 मेगावाट उत्पादन करने वाले सोलर प्लांट कुल 900 एकड़ भूमि पर बनेगा। इस प्लांट से गांव व आसपास के लगभग 300 लोगों को रोजगार भी मिला है।
मड़ीखेड़ा से तीन गुना अधिक बनेगी बिजली
शिवपुरी में सोलर प्लांट लगने के बाद यह दूसरी बिजली उत्पादन की इकाई होगी। अभी तक शिवपुरी के मड़ीखेड़ा डैम पर स्थित पावर जनरेशन प्लांट में पानी से बिजली बनती है, जिसमें मौजूद तीन टरबाइन 20-20 मेगावाट यानि कुल 60 मेगावाट बिजली बनाती हैं। जबकि सोलर प्लांट में एक साथ 180 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा, जो मड़ीखेड़ा से तीन गुना अधिक होगा।
प्लांट पूरा होने के बाद भी मिलेगा रोजगार
बिजली उत्पादन होना शुरू हो जाएगा, तो इंजीनियर व तकनीकी स्टाफ तो रहेंगे ही, साथ ही स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिलेगा। सोलर प्लेटों के बीच मौजूद छोड़ी गई खाली जगह में खरपतवार उगेगी, जिसे लगातार काटने का क्रम स्थानीय लेवर करेगी। सोलर प्लेटों तक सूर्य की रोशनी सीधी आने में व्यवधान नहीं होना चाहिए।

गर्मी में फुल व बरसात में कम होगा उत्पादन
सोलर प्लांट में सूर्य की रोशनी से बिजली का उत्पादन किया जाएगा। इस प्लांट में गर्मी के दिनों में जहां भरपूर बिजली बनेगी, वहीं बरसात के मौसम में उत्पादन कम हो जाएगा, क्योंकि इस दौरान धूप कम और आसमान में बादल अधिक होते हैं। सूत्रों को कहना है, अब यहां गर्मी अधिक पड़ती है, इसलिए बिजली उत्पादन भी पूरा होगा।

जनवरी 2019 में प्लांट का काम शुरू किया था, जो अक्टूबर में कंपलीट होकर बिजली बनने लगेगी। अक्टूबर से 30 मेगावाट बिजली बनना शुरू हो जाएगी, जबकि पूरा प्लांट 900 एकड़ में होगा, जिसमें प्रति घंटे 180 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। बनने वाली बिजली चंदनपुरा फीडर पर भेजी जाएगी, जिसके लिए टॉवर भी लग गए हैं।
ओमकुमार शर्मा प्रोजेक्ट मैनेजर ग्रीनको कंपनी

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