सोनागिर में प्रतिवर्ष देश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में जैन श्रद्धालु पहुंचते हैं और धार्मिक आयोजनों में शामिल होते हैं। सोनागिर पर्वत पर जैन मुनि साधना में लीन रहते हैं। सोनागिर पर्वत पर भगवान चंद्रप्रभू की आदमकद प्रतिमा के अलावा ८० छोटे बढ़े मंदिर स्थित हैं। जबकि पूरे सोनागिर में करीब १०८ मंदिर स्थित हैं। युद्ध की विभीषिका के बाद राजकुमार नंग एवं अनंग कुमार ने यहां तपस्या कर सत्य का ज्ञान प्राप्त किया था। रात के समय पर्वत पर स्थित मंदिरों में की जाने बाली लाईटिंग दूर से ही अपनी चमक बिखेरती दिखती है।
सोनागिर पहुंचने के लिए पर्यटक ट्रेन एवं सड़क मार्ग दोनों ही चुन सकते हैं। ग्वालियर-झांसी हाईवे से सोनागिर करीब दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सोनागिर में रेलवे स्टेशन भी बना हुआ है। इसके अलावा होली के अवसर पर लगने वाले पांच दिवसीय मेले के दौरान यहां अतिरिक्त ट्रेनें भी रुकती हैं। सोनागिर रेलवे स्टेशन से सोनागिर तक टैक्सी व ट्रस्ट के वाहनों से पहुंचा जा सकता है। जबकि दतिया से आसानी से सोनागिर तक टैक्सी उपलब्ध हो जाती है।