इतने लोगों ने किया था आवेदन
एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हाजेला के हस्ताक्षरयुक्त एक बयान में कहा गया है कि कुल 3 करोड़ 30 लाख 27 हजार 661 लोगों ने इसके लिए आवेदन किया था। इसमें से 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार 4 लोग एनआरसी की सूची में शामिल हो गए हैं।
दोबारा कर सकते है आवेदन
एनआरसी की सूची में नाम न रहने वाले लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। सोमवार से विदेशी न्यायाधिकरणों में अपनी नागरिकता को लेकर अपील कर सकेंगे। उनके पास अपनी नागरिकता सिद्ध करने के लिए 120 दिन में विदेशी ट्राइब्यूनल में अपील करने का अधिकार होगा। उसके बाद भी उच्चतम न्यायलय तक के विकल्प खुले रहेंगे।
यहां देखें आगे के विकल्प
– 120 दिनों के भीतर विदेशी ट्रिब्यूनल ( Foreign Tribunal Assam ) में अपील कर सकते है।
– एनआरसी से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए वर्तमान में 100 ट्रिब्यूनल मौजूद है, बाकि के 100 सितंबर महीने के प्रथम सप्ताह में तैयार होंगे। इस तरह कुल 200 ट्रिब्यूनल सुनवाई करेंगे।
– ट्रिब्यूनल में यदि केस हार जाते है आवेदन करने वाला उच्च व उच्चतम न्यायालय की शरण में जा सकता है।
– सुनवाई के दौरान किसी को भी डिटेंशन कैंप में नहीं रखे जाने का आश्वासन सरकार की ओर से दिया गया है।
सरकार से मिलेगी मदद, जिनका नाम उन्हें आधार
राज्य सरकार ( Assam Government ) ऐसे लोगों को मुफ्त कानूनी मदद मुहैया कराएगी न्यायाधिकरण में अपील के बाद अपने वकीलों का खर्च उठाने में सक्षम नहीं हैं। 30 जुलाई 2018 को प्रकाशित मसौदे में जिन लोगों के नाम नहीं आए थे एनआरसी अधिकारियों ने उनका बायोमैट्रिक डेटा लिया है। यदि इन लोगों का नाम आज की सूची में आ गए होंगे तो बायोमीट्रिक डेटा की वजह से आधार कार्ड बनाना संभव हो जाएगा।
लंबी प्रक्रिया से गुजरा एनआरसी का अंतिम प्रकाशन
हाजेला ने बयान में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के दिशा-निर्देशानुसार 2013 से एनआरसी के अद्यतन का कार्य शुरु हुआ। तब से सुप्रीम कोर्ट लगातार इसकी सूक्ष्मता के साथ निगरानी कर रहा है।असम में एनआरसी के अद्यतन की प्रक्रिया देश के अन्य हिस्सों में लागू नियम से नहीं मिलती।मई 2015 के अंत से एनआरसी के लिए आवेदन पत्र लेने की प्रक्रिया शुरु हुई थी जो अगस्त में समाप्त हुई। कुल 68,37,660 आवेदन पत्रों के जरिए कुल 3,30,27,661 लोगों ने आवेदन किए थे। आवेदनकर्ताओं के कागजातों की जांच की गई। इस काम के लिए लंबे समय तक राज्य सरकार के 52 हजार अधिकारी-कर्मचारी लगे थे। अधिकारियों ने कानून और नियमों के अनुसार ही नामों को सूची में शामिल और खारिज किया।
कईं शिकायतें भी आईं सामने
हाजेला ने बयान में आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार योग्यता के आधार पर 2 करोड़ 89 लाख 83 हजार 677 सदस्यों को शामिल करते हुए 30 जुलाई 2018 को अंतिम प्रारुप प्रकाशित किया गया था। इसमें नाम शामिल न होने वाले लोगों में से 36 लाख 26 हजार 630 लोगों ने दावा करते हुए आवेदन किया। इसके अलावा अनेक का पुनःसत्यापन किया गया। एनआरसी के प्रारुप में शामिल नामों के खिलाफ 1 लाख 87 हजार 633 शिकायतें आईं। इसके अलावा प्रारुप में शामिल लोगों में से 1 लाख 2 हजार 462 लोगों के नाम काटते हुए 26 जून 2019 को एक सूची प्रकाशित की गई। इन सब दावों और शिकायतों के निपटान के बाद 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार चार लोगों के नाम अंतिम सूची में प्रकाशित हुए और 19 लाख 6 हजार 657 लोगों के नाम शामिल नहीं हो पाए। हाजेला ने कहा कि मांग और शिकायत से असंतुष्ट होने पर लोग विदेशी न्यायाधिकरण में अपील कर सकेंगे।