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इस सीट पर सिर्फ राजा साहेब, छोटे राजा और बाबा साहेब का ही होता है कब्जा

राघौगढ़ राजघराने का इस सीट पर रहा है शुरूआत से कब्जा, राजा साहेब, छोटे राजा और बाबा साहेब ही बनते रहे विधायक…। 1977 से कांग्रेस आज तक कोई नहीं हरा पाया…।

गुनाOct 12, 2023 / 03:31 pm

Manish Gite

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गुना जिले की राघौगढ़ विधानसभा सीट 1977 से कांग्रेस के पास है। पिछले 46 साल में 10 चुनाव हुए और हर बार कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत का परचम फहराया। अलबत्ता इसके पहले 1972 में यहां से भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी। इसी सीट से जीते दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री भी बने। दो बार उनके भाई लक्ष्मण सिंह और दो बार से उनके पुत्र जयवर्धन सिंह यहां से विधायक बने। इस सीट से 1952 के चुनाव में दिग्विजय सिंह के पिता बलभद्र सिंह हिंदू महासभा के टिकट पर जीते थे। दिग्विजय सिंह को राजा साहेब, छोटे भाई लक्ष्मण सिंह को छोटे राजा और दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह को बाबा साहेब के नाम से संबोधित किया जाता है।

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मध्यप्रदेश की चर्चित विधानसभा सीटों में से एक राघौगढ़ पर 46 सालों से कांग्रेस का ही कब्जा है। सीट पर राजघराने के प्रभाव के चलते यहां से एक बार शिवराज सिंह चौहान भी चुनाव हार चुके हैं। यहां से 1977 में दिग्विजय सिंह ने पहली बार चुनाव जीता तब से यह सिलसिला कायम है। इस बार भाजपा ने हीरेन्द्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है। हीरेन्द्र सिंह के पिता मूलसिंह यहां से विधायक रह चुके हैं। मूलसिंह दिग्विजय सिंह के ही समर्थक थे। लेकिन उनके पुत्र ने अब भाजपा का दामन थाम लिया है। कांग्रेस में इस सीट के लिए जयवर्धन सिंह के नाम पर मुहर लगने में कोई शक नहीं है।

 

शिवराज सिंह भी लड़ चुके हैं इस सीट से चुनाव

दिलचस्प बात यह है कि राघौगढ़ विधानसभा सीट से वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सन् 2003 में यहां से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे। उनके सामने कांग्रेस से दिग्विजय सिंह थे। चुनाव में शिवराज सिंह पराजित हुए थे।

 

किसी एक वर्ग को साधकर चुनाव जीतना आसान नहीं

राघौगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कोई एक वर्ग निर्णायक नहीं हैं। यहां यादव समाज के लगभग 48 हजार वोट हैं। इसके अलावा गुर्जर समेत अन्य समाज बहुतायत संख्या में हैं। जातिगत समीकरण देखे जाएं तो यहां सामान्य वर्ग के 72000, पिछड़ा वर्ग के 80,000, अनुसूचित जाति के 34000 और अनुसूचित जनजाति के 18000 और अन्य 2722 मतदाता हैं। हिन्दू धर्म 93.76 प्रतिशत, इस्लाम 5.01 प्रतिशत, ईसाई 0.21, बौद्ध 0.04, जैन 0.84 और सिख 0.08 प्रतिशत हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में राघौगढ़ में कुल 2,06,722 वोटर थे। इस बार के चुनाव में मतदाताओं की संख्या 2 लाख 36 हजार 580 हो गई है। जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 23 हजार 228 और महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 13 हजार 347 है। थर्ड जेंडर मतदाता पांच हैं।


चुनावी मुद्दा कुटीर और शक्कर कारखाना

राघौगढ़ विधानसभा क्षेत्र में इस बार का चुनावी मुद्दा कुटीरों का मुख्य रूप से रहेगा। इसके अलावा शक्कर कारखाना भी मुद्दा है। इस कारखाने को चालू कराने के लिए कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने प्रयास किए, लेकिन यह चालू नहीं हो पाया। जिसकी लड़ाई किसानों द्वारा अभी भी लड़ी जा रही है।

 

एक नजर: कब, कौन जीते

1952 – बलभद्र सिंह- अभा हिन्दू महासभा
1962- दुलीचन्द्र-कांग्रेस
1967- पी. लालाराम- स्वतंत्र पार्टी
1972- हरलाल शाक्यवार- भारतीय जनसंघ
1977- दिग्विजय सिंह-कांग्रेस
1980- दिग्विजय सिंह-कांग्रेस
1985- मूल सिंह- कांग्रेस
1990- लक्ष्मण सिंह-कांग्रेस
1993- लक्ष्मण सिंह -कांग्रेस
1998- दिग्विजय सिंह-कांग्रेस
2003- दिग्विजय सिंह- कांग्रेस
2008- मूल सिंह -कांग्रेस
2013-जयवर्धन सिंह -कांग्रेस
2018-जयवर्धन सिंह- कांग्रेस

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