इसकी शुरुआत के बाद में बताया जाता है कि अंग्रेजी हुकूमत से विजय हासिल करने के बाद 1816 से यह परम्परा चली आ रही है। सन 1816 में ब्रिटिश हुकूमत के फ्रांसीसी कर्नल सेनापति जान ब्रिटेश माइकल फ्लिोज से राधौगढ़ रियासत के हिन्दुपत नरेश राजा जयसिंह ने लड़ाई के दौरान विजय हासिल की थी। रियासत में सब कुछ बदल गया, लेकिन अभी भी परम्पराओं का निर्वाह दिग्विजय सिंह का परिवार कर रहा है। राघौगढ़ ही नहीं, आसपास के गांवों के लोग भी सुबह से राजपरिवार के निवास किले पर पहुंचने लगे थे। गांव की गलियों से जुलूस निकल रहे थे। विधायक जयवर्धन सिंह ने पत्नी श्रीजम्या शाही और पुत्र सहस्त्रजय सिंह के साथ किले से बाहर आकर हजारों लोगों के बीच खुशी का इजहार करते हुए सिर झुकाकर सभी से रंग-गुलाल लगवाया। इस दौरान किला परिसर हुरियारों की होली और नृत्यांगनाओं के ठुमकों से गूंज उठा।
परम्परा के निर्वहन के दौरान राज परिवार के सदस्य वट वृक्ष के नीचे खडे़ होकर सेना के ***** के रूप मे पहुंचने वाले ग्रामीणों का अभिवादन करते है। ऐसा ही इस ’हल्ले’ के पर्व पर सामने आया, जब दिग्विजय सिंह के बेटे विधायक जयवर्धन सिंह और नाती सहस्त्रजय सिंह ने वट वृक्ष के नीचे खड़े होकर सेना सूचकों का अभिवादन करते हुए होली खेली।