ईरान के रुख से सहमा अमरीका, सरकारी कर्मचारियों को इराक छोड़ने का आदेश अमरीका ने क्षेत्र में बमवर्षक विमान तैनात किए थे स्थिति का पूरा आकलन करें तो इस हमले का उद्देश्य गल्फ देशों के बीच तनाव को एक बार फिर बढ़ना है। दरअसल, एक दिन पहले ही अमरीका ने क्षेत्र में बमवर्षक विमान तैनात किए थे। रविवार को यूएई की ओर से कुछ टैंकरों को नुकसान पहुंचाए जाने की बात भी कही गई थी। अमरीका की ईरान को दी गई चेतावनी के बाद और ज्यादा तनाव पैदा हो गया है। इसे और भड़काने के लिए पाइपलाइन पर हमला किया गया ताकि आवेश में आकर अमरीका ईरान पर हमला कर दे।
फेक अकाउंट मामले में पूर्व राष्ट्रपति जरदारी को राहत, हाईकोर्ट ने दी अंतरिम जमानत पचास लाख बैरल तेल का उत्पादन ड्रोन हमले की शिकार पाइपलाइन से एक दिन में पचास लाख बैरल तेल का उत्पादन होता है। मंत्री फलीह के अनुसार यह एक आतंकी हमला है। यह केवल देश पर ही नहीं किया गया, बल्कि इसमें तेल वितरण की सुरक्षा को भी निशाना बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इस हमले से तेल का उत्पादन और निर्यात प्रभावित नहीं होगा। कंपनी जल्द पम्पिंग स्टेशन की स्थिति का जायजा लेगी, ताकि ऑपरेशन फिर से शुरू किए जा सकें। हौती बागियों ने सोशल मीडिया के जरिए इस हमले की जिम्मेदारी ली। 1,200 किमी लंबी इस पाइपलाइन को निशाना बनाने के मामले पर यमन के हौती बागियों के प्रवक्ता ने ट्विटर पर लिखा कि यह हमला यमन के लोगों के खिलाफ हो रहे नरसंहार की प्रतिक्रिया है।
अमरीका: अलबामा ने बनाया गर्भपात पर सबसे कड़ा कानून, रेप के मामलों में भी नहीं मिलेगी छूट कौन है हौती विद्रोही यमन दुनिया के सबसे सूखा, सबसे गरीब और कम विकसित देशों में से एक है। यहां पर 42 प्रतिशत लोग गरीब हैं। वहीं पांच में एक यमनी कुपोषित है। 1932 में अदन (जिसे अब यमन कहा जाता है) को अपने अधिकार में ब्रिटिश ने भारत का एक प्रांत बनाया गया था। 1937 में अदन को ब्रिटिश भारत से अलग कर दिया गया था। यमन में चार अरब से अधिक बैरल के कच्चे तेल के भंडार मौजूद है। हालांकि इन भंडारों को नौ साल से अधिक समय तक रहने की उम्मीद नहीं है, और देश के पुराने क्षेत्रों से उत्पादन गिरने से चिंता हमेशा रही है। यमन में हौती विद्रोही, जिसे सादाह युद्ध या सादाह संघर्ष भी कहा जाता है। यह एक सांप्रदायिक सैन्य विद्रोह था, जो सुन्नी सेना के खिलाफ शुरू हुआ था, फिर जैदी शिया हौती एक बड़े पैमाने पर गृहयुद्ध में तब्दील हो गई। सऊदी अरब यमन के साथ अपनी सीमा पर एक सैन्य निर्माण शुरू किया। इसके जवाब में एक हौती कमांडर ने दावा किया कि उनकी सेना किसी भी सऊदी आक्रामकता के खिलाफ मुकाबला करेगी।हौती के इस आक्रामक रुख से लगता है कि खाड़ी में आने वाले समय में शांति की गुंजाइश कम ही है। ईरान और अमरीका के बीच तनाव में हौती की कहीं आग में घी डालने का काम न करे।
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