यह भी पढ़ेंं: बसपा के वेस्ट यूपी प्रभारी ने दिया 16 नवविवाहित जोड़ों को आर्शीवाद जानकारी के अनुसार बाउंसरों ने एक सरिया से भरे हुए ट्रक रोक लिया था। खुद को पुलिस वाला बताते हुए दोनों ने ट्रक के ड्राईवर से 15 लाख रुपये मांगे। ड्राईवर ने रुपये देने से इंकार कर दिया। आरोप है कि दोनों सरिया से भरे हुए ट्रक को लेकर ग्रेटर नोएडा कोतवाली पहुंच गए। यहां ग्रेटर नोएडा कोतवाली प्रभारी राजेश शर्मा मौजूद थे। बताया गया है कि ट्रक को छोड़ने के लिए 5 लाख रुपये में फाइनल हुआ। उसी दौरान 3 लाख नगद और 2 लाख रुपये का चेक दिया गया। आरोप है कि पुलिस की तरफ से और 10 लाख रुपये की डिमांड पीड़ित से की गई।
आंख मारने वाला प्रिया प्रकाश वारियर के वायरल वीडियो पर अभिभावकों ने जताई आपत्ति, कहा- स्कूलों में तुंरत बैन हो पीड़ित ने मामले की शिकायत मेरठ मंडल के कमिश्नर प्रभात से की। प्रभात कुमार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आइजी और एडीजी को जांच के निर्देश दिए। एसएसपी गौतम बुद्ध नगर को मामले की जांच करने के निर्देश दिए गए। बताया गया है कि कोतवाली की गुपचुप तरीके से जांच की गई। एसएसपी गौतम बुद्ध नगर लव कुमार ने बताया कि ग्रेटर नोेएडा कोतवाली प्रभारी राजेश शर्मा के खिलाफ सरिया गिरोह से मिलीभगत की शिकायत मिली थी। शिकायत मिलने पर कोतवाली प्रभारी को लाइन हाजिर कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि सरिया गिरोह को पूरी तरह से समाप्त किया जाएगा। उन्होंने बताया कि बुधवार को भी बिसरख स्थित 2 गौदामों पर छापेमारी कर करीब 150 कुंतल सरिया बरामद किया है। उन्होंने बताया कि गौदाम संचालक सरिया का कोई रेकॉर्ड नही दिखा सके।
फूलन देवी के हत्यारोपी राणा ने नहीं लिए दहेज के लिए 31 लाख रुपये, पूर्व बसपा विधायक की बेटी से की शादी जिले में फैला है सरिया का अवैध कारोबार पिछले कई साल से नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एरिया में सरिया का अवैध कारोबार फैला है। कभी दादूपुर का हरेंंद्र प्रधान इस गोरखधंधे से जुड़ा था। हरेंद्र प्रधान की हत्या कर दी गई थी। हरेंद्र प्रधान की हत्या में सुंदर भाटी गैंग का नाम सामने आया था। बाद में कुख्यात बदमाश अनिल दुजाना और सुंदर भाटी भी इस कारोबार से जुड़ गए। मिली जानकारी के अनुसार सरिया का हर माह करोड़ों रूपये का कारोबार होता है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एरिया में बिल्डर प्रोजेेक्ट होने की वजह से यह धंधा फल-फुल रहा है। सरिया माफिया कंपनी, धर्मकांटा मालिकों से साठगांठ कर लेते है। दरअसल में कंपनी से अधिक सरिया ट्रक में भरा जाता है और मिलीभगत उसे कम दिखाया जाता है। कंपनी से ट्रक निकलने के बाद में माफिया सरिया को ट्रक से उतार लेते है और मार्केट में बेच दिया जाता है। बिल्डर साइट होने की वजह से पिछले कुछ सालों में प्रतिदिन करीब 200 से अधिक ट्रक सरिया जिले में आता था। एक बंडल भी ट्रक से उतारा जाए तो उसकी कीमत 8 से 10 लाख रुपये बैठ जाती है। बड़े मुनाफे के खेल में बड़े बदमाश भी शामिल हो गए। सपा और बसपा सरकार में यह धंधा खुब चला, लेकिन बीजेपी सरकार में पुलिस ने माफियाओं पर शिकंजा भी कसा। फिलहाल यह गैंग एक-दूसरे की मुखबिरी भी कर रहे है।