मालूम हो कि कासना, बिसरख, सेक्टर-58 और एंटी एक्टॉर्शन सेल की संयुक्त टीम ने एटीएस गोलचक्कर के पास मंगलवार को पुलिस और बदमाशों के बीच में मुठभेड़ हुई थी। इस दौरान बागपत के चिरचिटा गांव निवासी सुमित गुर्जर को मार गिराया था। जबकि तीन बदमाश अंधेरे का फायदा उठाकर पुलिस पर हीं फायर करते हुए फरार हो गए थे। वहीं इस दौरान सब इंस्पेक्टर सतीश कुमार गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गए थे। बुधवार को मृतक सुमित गुर्जर के परिजनों ने पोस्टमार्टम हाउस पर जमकर बवाल किया था और पुलिस वालों पर फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप लगाया था।
आरोप है कि पुलिस ने सुमित को 30 सितंबर को घर से गिरफ्तार किया था। इस मामले की शिकायत पर परिजनों ने मुख्यमंत्री, मानवाधिकार आयोग और डीजीपी उत्तर प्रदेश से की थी। परिवार वालों का दावा है कि सुमित के खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं है बल्कि रातोंरात प्लानिंग के तहत सुमित को मारने के लिए उस पर 50000 का इनाम घोषित किया गया। वहीं उन्होंने डेडबॉडी को लेने से इंकार कर दिया था। इस दौरान एसएसपी, कोतवाली प्रभारियोंं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की थी। बाद में सीनियर अफसरों के आश्वासन के बाद में शव को लेकर गए थे।
इस बीच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने हरकत में आकर नोेटिस जारी कर दिए हैं। आयोग ने यूपी के मुख्य सचिव, डीजीपी को नोटिस जारी करते हुए चार हफ्ते में सुमित के एनकाउंटर पर पूरी रिपोर्ट मांगी है। सुमित पर पुलिस ने 20 सिंतबर को चौगानपुर के पास में शराब कैश कलेक्शन वैन से लूट और दो कर्मचारियों की हत्या का आरोप लगाया था। इस मामले में एफआईआर दर्ज कर सुमित पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था। जिसके बाद सुमित के परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए एनकाउंटर को फर्जी करार दिया था। परिजनों ने बताया था कि 30 सिंतबर से पहले उसके खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं था।