scriptDussehra 2019: यहां रावण का आज भी खौफ, रावण का पुतला फूंकने पर चुकानी पड़ती है बड़ी कीमत | bisarkh village do not burn ravana effigy in greater noida | Patrika News
ग्रेटर नोएडा

Dussehra 2019: यहां रावण का आज भी खौफ, रावण का पुतला फूंकने पर चुकानी पड़ती है बड़ी कीमत

Highlights
. शिवपुराण में भी बिसरख गांव का है जिक्र. विश्रवा ऋषि के घर हुआ था रावण का जन्म . बिसरख गांव के लोग रावण की वजह से खुद को रकते है गौरवान्वित महसूस

ग्रेटर नोएडाOct 08, 2019 / 11:56 am

virendra sharma

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ग्रेटर नोएडा. DELHI से सटे GREATER NOIDA का बिसरख गांव रावण की जन्मस्थली माना जाता है। यहां रावण के पिता विश्रवा ऋषि नेे अष्टभुजी शिवलिंग की स्थापना कर शिव की पूजा किया करते थे। यह शिवलिंग आज भी पूरे वैभव के साथ विराजमान है। रावण के गांव में सदियों से न रामलीला होती है और न ही रावण के पुतले का दहन।
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नहीं होता पुतला दहन

शिवपुराण में भी बिसरख गांव का जिक्र है। शिवपुराण के मुताबिक, त्रेता युग में बिसरख गांव में ऋषि विश्रवा का जन्म हुआ था। विश्रवा ऋषि के घर ही रावण का जन्म हुआ था। मान्यता के अनुसार, यहां जो भी कोई कुछ मांगता है, उसकी मन्नत पूरी होती है। बुजुर्ग रामशरण ने बताया कि 80 साल पहले एक बार रामलीला का आयोजन किया गया था। अनहोनी के चलते रामलीला पूरी नहीं हुई थी। उसके बाद दोबारा रामलीला का आयोजन किया गया। उस दौरान रामलीला के एक पात्र की मौत हो गई। दोबारा भी रामलीला पूरी नहीं हो सकी। तभी से आज तक बिसरख गांव में रामलीला का आयोजन नहीं किया जाता है। साथ ही पुतला दहन भी नहीं किया जाता है।
इस बार भी रामलीला पूरी नहीं हो सकी। तब से बिसरख में रामलीला का आयोजन नहीं किया जाता और न ही रावण का पुतला जलाया जाता है। विश्रवा ऋषि ने जिस शिवलिंग की स्थापना की थी। उसकी गहराई कोई नहीं जान सका है। खुदाई के दौरान उसका छोर नहीं मिला है। आज भी बिसरख गांव में खुदाई के दौरान शिवलिंग निकलती है। ग्रामीणों का कहना है कि रावण की पूजा से प्रसन्न होकर शिव भगवान ने रावण को बुद्धिमता और पराक्रमी होने का वरदान दिया था। ग्रामीणों का कहना है कि रावण ने राक्षस जाति का उद्धर करने के लिए सीता का हरण किया था।

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