बात 2014 की है। गोरखपुर में नंदानगर रेलवे क्रासिंग के पास बड़ा रेल हादसा हो गया था। बरौनी एक्सप्रेस व कृषक एक्सप्रेस आपस में टकरा गई थी। इस हादसे में 14 लोगों की मौत हो गई थी जबकि पचास से अधिक लोग घायल हुए थे। कई बोगियां पलट गई थी। चारों तरफ चीख पुकार मच गई थी। गंभीर रूप से घायलों को जिला अस्पताल, मेडिकल काॅलेज लाया जा रहा था।
उस वक्त शारदीय नवरात्रि चल रही थी। गोरक्षपीठ के योगी आदित्यनाथ पूरे विधि-विधान से नवरात्रि की पूजा में लगे थे, मंदिर में दशहरा की तैयारियां जोरों पर थी। परंपरा के अनुसार योगी आदित्यनाथ नौ दिन व्रत तो रहते ही थे, पूजा के दौरान नौ दिनों तक मंदिर से बाहर नहीं निकलते। दशमी के दिन भव्य शोभा यात्रा के लिए वह निकलते थे। इस दौरान अपने भवन से नीचे भी बहुत कम बार आते और किसी विशेष स्थिति में ही लोगों से मिलते। लेकिन ट्रेन हादसे ने योगी को विचलित कर दिया। हादसे में घायल लोगों व शोक संतप्त परिवारीजनों से मिलने के लिए उन्होंने मंदिर से बाहर निकलने की उस परंपरा को पहली बार तोड़ दी। वह व्रत के दौरान ही घायलों से मिलने बीआरडी मेडिकल काॅलेज पहुंचे। उनका हालचाल लिया। आवश्यक निर्देश दिए। काफी वक़्त उन्होंने मेडिकल कॉलेज में बिताया।
मंदिर व्यवस्थापकों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार गोरक्षपीठाधीश्वर इस बार व्रत तो नौ दिन रहेंगे लेकिन मंदिर में केवल पहले दिन व आखिरी के दो दिन रह पाएंगे। पहले दिन योगी आदित्यनाथ शक्ति मंदिर में कलश स्थापित कराएंगे। कलश स्थापना के पश्चात अगले दिन वह मंदिर से रवाना हो जाएंगे। फिर 29 सितंबर को उनका आगमन होगा। उस दिन कन्यापूजन व अन्य पूजा संपन्न कराई जाएगी। 30 सितंबर को मंदिर में पारंपरिक पूजा के बाद शोभा यात्रा निकलेगी जो मानसरोवर मंदिर पर पहुंचेगी। वहां पूजा के बाद वह परंपरानुसार अंधियारीबाग के रामलीला को शुरू कराएंगे। फिर वापस मंदिर अन्य विधियों को संपन्न कराने पहुंचेगे।