महंगे इलाज के कारण हर साल जा रही है हजारों की जान
सांसद ने बताया कि विशेषज्ञों के अनुसार, गोरखपुर और आस-पास के जिलों में हर साल 4 हजार से अधिक नए कैंसर मरीज सामने आते हैं। इसके अलावा, लगभग 35 हजार पुराने मरीज कीमोथेरपी, फॉलोअप और अन्य जांच प्रक्रियाओं के लिए बड़े शहरों में जाने को मजबूर हैं। कैंसर के इलाज में देरी और महंगे इलाज के कारण हर साल हजारों मरीजों की जान चली जाती है।
गोरखपुर पूर्वांचल का सबसे बड़ा शहर
गोरखपुर पूर्वांचल का सबसे बड़ा शहर है, जिसकी स्वास्थ्य सुविधाओं पर आस-पास के बीस जिलों के अलावा बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों के लोग भी निर्भर हैं। यहाँ AIIMS जैसी उच्चस्तरीय स्वास्थ्य संस्था मौजूद है, लेकिन कैंसर के इलाज के लिए कोई विशेष सरकारी अस्पताल नहीं है। गोरखपुर में सरकारी कैंसर अस्पताल न होने के कारण गरीब और जरूरतमंद मरीजों को बहुत कठिनाई होती है।
पीएम मोदी और सीएम योगी की योजनाएँ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कैंसर मरीजों के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं, जिनसे लोगों को राहत मिल रही है। जैसे कि प्रधानमंत्री राहत कोष, आयुष्मान भारत योजना, और मुख्यमंत्री राहत योजना लेकिन स्थानीय स्तर पर समर्पित कैंसर अस्पताल की अनुपस्थिति इन योजनाओं के प्रभाव को सीमित कर देती है। यदि गोरखपुर में कैंसर अस्पताल बनता है, तो इन योजनाओं का प्रभाव और अधिक बढ़ सकता है।