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यूं आया विचार…
जी हां, झारखंड की राजधानी रांची में अपर ‘चुटिया’ निवासी कमल कुमार अग्रवाल ने यह संभव कर दिखाया है। फल और सब्जियों का इस्तेमाल करके उनके द्वारा इसे बनाया गया है। कमल का दावा है कि यह रसगुल्ला जीभ को संतुष्ट करने के साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी करेगा। कमल ने बताया कि यह रसगुल्ला बनाने के लिए हर तरह के फल या सब्जी के फ्लेवर का उपयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में जब सब बंद पड़ा था और कोरोना की दस्तक के साथ ही इम्यूनिटी बढ़ाने वाली चीजें खाने पर जोर दिया जाने लगा उस समय उन्होंने यह रसगुल्ला बनाने की सोची।
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यूं भरते है पोषक रस…
उन्होंने यह भी बताया कि रसगुल्ले बनाने के लिए फल या सब्जी का पल्प निकालकर उसे छेने में मिला दिया जाता है। इसके सामान्य रसगुल्ले की तरह यह तैयार होता है। फल और सब्जी की मात्रा इस हिसाब से रखी जाती है कि केवल फ्लेवर आए। कमल का कहना है कि इन रसगुल्लों में फलों और सब्जियों के जितना ही पोषण है। इसके साथ ही शुद्ध दूध से बना छेना इसमें इस्तेमाल किया जाता है वह भी ताकत देता है। यह सभी तत्व इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक है।
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फलों के साथ ही सब्ज्यिों के साथ ही उन्होंने च्यवणप्राश वाले रसगुल्ले भी तैयार किए है। करेले और हरी मिर्च के फ्लेवर का रसगुल्ला भी यहां उपलब्ध है। कमल का कहना है कि इन दिनों में च्यवणप्राश के रसगुल्लों की डिमांड ज्यादा है। इसे बनाने के लिए कई प्रकार के मसालों को खजूर के पल्प में मिलाकर रसगुल्ले के अंदर भरा जाता है। इसके बाद एक खास तापमान पर गर्म चीनी की चाशनी में इसे डूबा कर रखा जाता है। रांची के बाजार में फल और सब्जियों के गुण से भरे रसगुल्ले को काफी पसंद किया जा रहा है।