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गाजीपुर

Mukhtar Ahmed Ansari: देश की आजादी में नाना ने दिया बलिदान, दादा थे गांधी जी के करीबी, फिर भी मुख्तार क्यों बन गया कुख्यात?

Mukhtar Ahmed Ansari: मुख्तार अंसारी के नाना सेना में ब्रिगेडियर थे। उनके पराक्रम के लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। साल 1947 में नैशेरा की लड़ाई उन्होंने लड़ी। इसी लड़ाई में उनकी शहादत हो गई थी।

गाजीपुरApr 29, 2023 / 03:26 pm

Adarsh Shivam

Why did Mukhtar Ansari become infamous

मऊ से विधायक और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी

Mukhtar Ahmed Ansari: मऊ से विधायक और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का नाम पूरे प्रदेश के लोग जानते हैं। लेकिन मुख्तार इस समय पंजाब की रोपड़ जेल में बंद है। पहले मुख्तार का खानदान काफी रसूखदार था। कहते हैं कि मुख्तार ने अपराध की दुनिया में कदम रखा लेकिन उसका खानदान ऐसा बिलकुल नहीं था।

पंजाब की रोपड़ जेल के अंदर मुख्तार को कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया है। वह जेल में भी शान से रह रहा है। माफिया मुख्तार और उसके परिवार पर कई FIR दर्ज हैं। मुख्तार के अलावा उसका बेटा और बहू भी जेल में बंद हैं। मुख्तार का छोटा बेटा उमस फरार है। मुख्तार के भाई अफजल पर भी कई मुकदमे दर्ज हैं।

मुख्तार अंसारी पर 60 से ज्यादा दर्ज हैं मुकदमे
मुख्तार की पत्नी भी यूपी पुलिस की लिस्ट में मोस्ट वॉन्टेड हैं। अंसारी की पत्नी अफशां पर 75 हजार का इनाम है। इसके अलावा मुख्तार अंसारी पर 60 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। साल 2019 में वह बांदा जेल में था लेकिन उसने मोहाली के एक कारोबारी को उगाही के लिए फोन किया था। इसके बाद उसे रोपड़ जेल में शिफ्टकर दिया गया। आइए जानते हैं मुख्तार अंसारी के परिवार के बारे में।
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गांधी जी के करीबी माने जाते थे मुख्तार के दादा
मुख्तार अंसारी का खानदान काफी रसूखदार रहा है। मुख्तार के दादा जिनका नाम मुख्तार ही था, आजादी से पहले कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। इसके अलावा वह गांधी जी के करीबी माने जाते थे। मऊ में उनके परिवार की अलग इज्जत थी। वहीं मुख्तार अंसारी के नाना की बात करें तो उनका नाम मोहम्मद उस्मान था।

मुख्तार अंसारी के नाना सेना में ब्रिगेडियर थे। उनके पराक्रम के लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। साल 1947 में नैशेरा की लड़ाई उन्होंने लड़ी। इसी लड़ाई में उनकी शहादत हो गई थी। वहीं मुख्तार अंसारी के पिता सुब्हानुल्लाह अंसारी भी साफ छवि के व्यक्ति थे।

अपने खानदान का अनुसरण नहीं किया मुख्तार
मुख्तार के पिता कम्युनिस्ट पार्टी में थे, वह साल 1971 में पालिका चुनाव में निर्विरोध जीते थे। मुख्तार अंसारी बचपन में क्रिकेट का शौकीन था। राजनीति में आने के बाद मुख्तार अंसारी ने अपने खानदान का अनुसरण नहीं किया बल्कि अपराध का रास्ता चुन लिया। मुख्तार अंसारी साल 1996 में पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचा था।
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कृष्णानंद राय की गाड़ी पर चलवाई 400 गोलियां
इसके बाद लगातार साल 2002, 2007, 2012, 2017 में भी जीत दर्ज की। पांच में से तीन चुनाव उसने जेल में ही रहकर जीत लिए। 1988 में मुख्तार पर पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की गाड़ी पर 400 गोलियां चलवाई। विधायक सहित सात लोग इस घटना में मारे गए थे।

इस मामले में मुख्तार को गिरफ्तार किया गया, लेकिन गवाहों के मुकरने की वजह से बरी कर दिया गया। सितंबर साल 2022 में पहली बार जेलर को धमकी देने के मामले में उसे सात साल की सजा सुनाई गई। मऊ में दंगा भड़काने के मामले में उसने पुलिस के सामने सरेंडर किया था और इसके बाद से जेल में ही है।

उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी मुख्तार रिश्ते में चाचा लगते हैं
उपराष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी मुख्तार अंसारी के रिश्ते में चाचा लगते हैं। मुखतार का बेटा अब्बास अंसारी शॉट गन शूटिंग का अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी था और राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल भी जीत चुका है। अब्बास ने भी 2022 में चुनाव जीता है लेकिन फिलहाल वह मनी लॉन्ड्रिंग के मा्मले में जेल में है

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