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गाजीपुर

“अब्दुल हमीद, मैं एक दिन तुम्हारी कहानी सारी दुनिया को सुनाउंगी…”  कौन थे पाकिस्तान की धज्जियां उड़ाने वाले ये योद्धा?

20 साल की उम्र में सेना की वर्दी पहनने वाले अब्दुल हमीद का नाम स्वर्णिम अक्षरों में इतिहास के पन्ने पर लिखा गया है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आज बताते हैं 1965 की युद्ध में टैंक तबाह करने वाले अब्दुल हमीद के बारे में।

गाजीपुरAug 14, 2024 / 04:36 pm

Swati Tiwari

देश में जब भी हिंदुस्तान-पाकिस्तान युद्ध की बात की जाती है तो 1965 की युद्ध में टैंक तबाह करने वाले अब्दुल हमीद के नाम का जिक्र जरूर होता है। हमारे देश के जवानों ने एक बार नहीं बल्कि कई बार दुश्मनों को धूल चटाई है। 20 साल की उम्र में सेना की वर्दी पहनने वाले अब्दुल हमीद का नाम स्वर्णिम अक्षरों में इतिहास के पन्ने पर लिखा गया है। इन्होंने अकेले ही पाकिस्तान के आठ पैटन टैंकों को नष्ट कर के लड़ाई का पूरा रुख ही बदल दिया था।

1965 की युद्ध में दुश्मनों के छुड़ाए थे छक्के

8 सितंबर 1965 को हमीद अपने घर पहुंचे थें। गांव पहुंचकर हमीद अपने परिवार और गांव वालों के साथ वक्त बिता रहे थे तभी उन्हें छुट्टी से वापस बुला लिया गया। पाकिस्तान के तरफ से तनाव बढ़ने के कारण सारे सैनिकों की छुट्टियां कैंसल कर दी गईं। 1965 की लड़ाई के मैदान में तीन टैंकों को ध्वस्त करने के बाद अब्दुल एक और टैंक को निशाना बनाने जा रहे थे, तभी पाकिस्तानी सेना की नजर उन पर पड़ गई। इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने चारों ओर से फायरिंग शुरू कर दी। हालांकि, इसके बाद भी अब्दुल डटे रहे और पाकिस्तानी सेना की आठवीं टैंक को भी ध्वस्त कर दिया। चारों ओर से निशाना बनाए जाने के कारण वतन के वीर पुत्र ने अपनी जिंदगी की कुर्बानी दे दी। अब्दुल हमीद को अदम्य साहस और वीरता के लिए मरणोपरांत उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

इस महिला ने लिखी थी किताब

एक दिन एक महिला भारत-पाकिस्तान सीमा पर आखिरी सैन्य छावनी फिरोजपुर के मॉल पर टहल रही थी। तभी उनकी नजर हवलदार अब्दुल हमीद के पोस्टर पर पड़ी। अब्दुल हमीद को 1965 की भारत-पाकिस्तान लड़ाई में खेमकरन सेक्टर में पाकिस्तान के कई पैटन टैंक नष्ट करने के लिए परमवीर चक्र मिला था। हैरान कर देने वाली बात ये है कि उस वक्त उस महिला और देश के तमाम देशवासियों को उनके बारे में कुछ नहीं पता था।उस महिला का नाम रचना बिष्ट रावत था। जब उन्हें हमीद के बारे में पता चला तो उन्होंने मन ही मन कहा- ”अब्दुल हमीद, मैं एक दिन तुम्हारी कहानी सारी दुनिया को सुनाउंगी” और इस तरह एक किताब का जन्म हुआ ‘द ब्रेव परमवीर स्टोरीज़’।

उत्तर प्रदेश के साधारण परिवार में जन्मे थे हमीद

अब्दुल हमीद का जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धामूपुर गांव में में हुआ था। साधारण परिवार में जन्मे हमीद ने वीरता और साहस की असाधारण मिसाल कायम कर दी। उनके इस बलिदान को पूरा देश याद करता है और उन पर फक्र करता है।

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