यह भी पढ़ें: सीएए के खिलाफ एक मंच पर आए शिया-सुन्नी, मौलाना ने कर दिया बड़ा ऐलान
माना जा रहा है कि सरकार की इस नीति के अमल में आजाने के बाद गाजियाबाद की साढ़े तीन लाख से ज्यादा आबादी को इसका सीधा लाभ मिलेगा। गौरतलब है कि पिछले साल कराए गए सर्वे के मुताबिक अवैध कॉलोनियों के मामले में गाजियाबाद, मेरठ और प्रदेश की राजधानी लखनऊ जैसे शहर सबसे आगे हैं। इससे प्रदेश की तकरीबन दो करोड़ की आबादी को राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। आवास विभाग के सूत्रों के मुताबिक, पहले की अपेक्षा यह नीति काफी सरल बनाई जा रही है। नीयम बन जाने के बाद कम शुल्क पर अवैध कालियों के मकानों को वैध किया जाएगा।
यह भी पढ़ें: टोलकर्मियों के साथ भाजपा विधायक के गुर्गों की गुंडागर्दी का वीडियो हुआ वायरल
हालांकि, इस नियम के दायरे में मामूली अवैध निर्माण करने वाले ही आएंगे। यानी पार्किंग का स्थान न छोड़ने, सेटबैक वाले स्थान पर निर्माण करने या फिर एक-आध मंजिला अतिरिक्त निर्माण कराने वालों को इसके दायरे में लाने की योजना है। इसी तरह शहरों में बसी अवैध कालोनियों को नोटिस देकर वैध कराने का भी मौका दिया जाएगा।
यह भी पड़ें: मौसम विभाग ने जारी की बड़ी चेतवानी, इन इलाकों में भारी बारिश और ओले गिरने से बढ़ेगी ठंड
दी जाएगी बेहतर सुविधा
बनाए जा रहे नए नियम के मुताबिक कॉलियों को वैध कराने पर कॉलोनियों में बेहतर सुविधाएं दी जाएंगी। यानी अवैध कॉलोनियों को वैध करने के बाद वहां सड़क, नाली और अन्य जनसुविधाएं विकसित की जाएंगी। यह भी संभावना जताई जा रही है कि अवैध कॉलोनियों को नियमित करने के बाद सामुदायिक केंद्र भी बनवाए जाएंगे। आवास विभाग का तर्क है कि इससे आम जनता को बड़ी राहत मिलेगी। दरअसल, शहरों में तेजी से आबादी बढ़ने की वजह से अवैध कालोनियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। खासकर उन बड़े महानगरों में प्रॉपर्टी डीलर के चंगुल में फंसकर लोग बिना लेआउट पास कराए सोसाइटी में जमीन लेकर फंस जाते हैं। इसके बाद प्रॉपर्टी डीलर इन कॉलोनियों में जमीन बेचने के बाद फरार हो जाते हैं और विकास का कोई भी काम नहीं कराते हैं।
यह भी पढ़ें: काली नदी के कचरे में धंसे शोऐब को चार दिन बाद किया गया बरामद, देखने वालों की लगी भीड़
कॉलोनियों को वैध करने से पहले होगा सर्वे
आवास विभाग जो अपनी ओर से नीति लाने जा रहे हैं उसससे पहले सभी शहरों में नए सिरे से सर्वे कराएगा। इस सर्वे के जरिए यह पता लगाया जाएगा कि शहरों में कितने अवैध निर्माण हैं और कितनी अवैध कॉलोनियां हैं। इसके बाद इसी के आधार परयह तय किया जाएगा कि कितनों को वैध किया जा सकता है। अवैध निर्माण के हिसाब से वैध करने का शुल्क तय होगा। एक बार कॉलोनी वैध होने के बाद लोगों को उत्पीड़न से मुक्ति मिलेगी। इसके साथ ही लोग निगम और प्राधिकरणों के अधिकारियों के शोषण से बच सकेंगे। इन्हीं बातों को मद्देनजर रखते हुए कॉलोनियों को नियमित करने की नीति नए सिरे से तैयार की जा रही है।
यह भी पढ़ें: विदेशों से प्याज आयात होते ही भाव हुआ धड़ाम, जानिए आज का भाव
गौरतलब है कि आवास विभाग ने पिछले साल अगस्त में गाजियाबाद समेत प्रदेश के सभी शहरों में सर्वे कराया था। इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेशभर में 2600 से अवैध कालोनियों की सूची तैयार की गई है। गाजियाबाद जिले में आरके पुरम, बालाजी एन्क्लेव, पसौंडा, अर्थला, भोपुरा, नंदग्राम और आकाश नगर में हजारों अवैध मकान बने हुए हैं। इन इलाकों में वक्त बेवक्त प्राधिकरण की ओर से ध्वस्तीकरण का अभियान चलाया जाता था, जिसे लेकर लोगों में हमेशा भय का माहौल बना रहता था।