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इस IPS ने ढूंढ लिया छिपे हुए कोरोना मरीजों तक पहुंचने का फॉर्मूला, अब हर संक्रमित को मिलेगा इलाज जानकारी देते हुए डॉक्टर केके अग्रवाल और प्रोफेसर डॉ. बीपी त्यागी ने बताया कि कोविड-19 संक्रमण से ग्रसित होने के बाद मरीज को बुखार, गला खराब, पेट खराब, उसके स्वाद में परिवर्तन आने के साथ-साथ उसकी सूंघने की शक्ति भी क्षीण हो जाती है। उन्होंने बताया कि जिस तरह से कोविड-19 संक्रमित लेवल 3 में पहुंच जाता है तो उसे वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है। लेकिन, यदि योग की जलनेति क्रिया की जाए तो वेंटिलेटर पर जाने से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि अभी तक इन्होंने कोरोना के 100 मरीजों पर इसका अध्ययन सफलतापूर्वक किया है। उन्होंने बताया कि इसकी स्टडी में पाया गया है कि यह मरीज नॉन प्लमनेरी श्रेणी में थे और 30 फीसदी मरीज का प्लमनेरी इंफेक्शन होने का डर था। इन सभी मरीजों को योग क्रिया की जल नीति के बारे में बताया गया और उनके द्वारा लगातार यह क्रिया की गई, जिसका परिणाम यह निकला कि वह ठीक हो गए।
उन्होंने बताया कि कोरोना का इन्फेक्शन नाक व नेजोफेरिक्स में रहता है और वहां से वह ट्यूब के सहारे कान में पहुंच जाता है। कान में यह वायरस कोरडा थिपेनि नरम में सूजन पैदा करता है और उससे स्वाद का भी बेअसर हो जाता है। क्योंकि उसको ग्लांसोफैरिंजियल नर्व सप्लाई करती है। वायरल लोड साइंस व कान में ज्यादा होने से मरीज को फायदा मिल जाता है। उन्होंने बताया कि खुशबू और स्वाद का जाना माइनर कैटेगरी में आता है। जलनेति से बॉडी का वायरल लोड कम करके मेजर संक्रमण को परिवर्तन किया जा सकता है, जिसके बाद कोविड-19 संक्रमित मरीज के ठीक होने के चांस बढ़ते रहते हैं और उससे वेंटिलेटर तक पहुंचने से पहले ही मरीज को पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है।