आपको बता दें कि देश में बड़ रही लिंचिंग की घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले ही सख्ती दिखा चुका है। लिंचिंग के मामले में सुनवाई के बाद 17 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने विस्तार से एक खाका पेश किया था कि भीड़ की हिंसा को रोकने के लिए पहले और बाद में पुलिस क्या-क्या करे। हालांकि, पुलिस के पास पहले से ही पर्याप्त कानूनी अधिकार हैं, लेकिन पुलिस आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के बजाए, उन्हें बचाने में कोशिश करती ज्यादा नजर आती है। दरअसल, पुलिस की फाइल में उनकी भूमिका कुछ और है, मगर आरोपियों ने एनडीटीवी के खुफिया कैमरे पर अपनी भूमिका कुछ और कबूल की है। मुख्य आरोपी ने न सिर्फ मारने की बात स्वीकार की हैं, बल्कि उसके बयान में ज़हर और नफ़रत भी झलकती है, जो उनके दिमाग़ में भर दिया गया है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में हापुड़ जिले के बाजेधा खुर्द गांव में बकरी का कारोबार करने वाले कासिम कुरैशी को पीट-पीटकर मार डाला गया था। वहीं, उन्हें बचाने आए समीउद्दीन नामक बुजुर्ग को भी उपद्रिवयों की भीड़ ने लहूलुहान कर घायल कर दिया था। लेकिन पुलिस ने गाय के नाम पर हत्या को रोड-रेज का मामला बना दिया था। यहीं वजह है कि इस मामले में 9 आरोपियों में से मुख्य आरोपी राकेश सिसोदिया समेत 4 को कोर्ट से जमानत मिल गई। दर्ज FIR के मुताबिक राकेश और 8 दूसरे लोग दोनों को लाठी-डंडों से पीटने के मामले में आरोपी हैं। लेकिन कोर्ट में ज़मानत की मांग करते वक़्त राकेश ने कहा कि हमले में उसका कोई रोल नहीं है और वह मौके पर मौजूद ही नहीं था। इसके बाद कोर्ट ने आरोपी की भूमिका पर कोई विचार ज़ाहिर किए बिना ही ज़मानत दे दी। लेकिन इस मुख्य आरोपी एनडीटीवी के स्टिंग ऑपरेशन में यह कहता हुआ दिख रहा है कि जेल में 5 हफ्तों के दौरान उसने जेल अफसरों और कर्मचारियों को भी बड़ी शान से बताया कि उसने क्या किया। उसे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है। वह बहुत ही शान के साथ मुस्लिमों के प्रति अपनी नफ़रत को लेकर गर्व महसूस करता दिख रहा है। वह ठाठ से यह बताता दिख रहा है कि किस तरह उसने जेलर के सामने सब कुछ बताया।
जब मुस्लिमों ने कांवड़ियों के दबाए पैर, हिन्दू भी देखकर रह गए हैरान, देखें वीडियो
दरअसल, इस वर्ष 18 जून को उत्तर प्रदेश के हापुड़ में कथित गौकशी के आरोप में कासिम कुरैशी नामक एक शख्स को भीड़ ने हमलाकर मार दिया था। वहीं, उन्हें बचाने आए एक और बुजुर्ग समीउद्दीन को भीड़ ने बुरी तरह पीटकर घायल कर दिया था। घटना का वीडियो वायरल हो गया था। इस वीडियो में साफ देखा जा सकता ता कि भीड़ ने बकरी का कारोबार करने वाले 45 वर्षीय कासिम को बुरी तरह पीटा। इस दौरान घायल कासिम ने जब भीड़ से उन्होंने पानी की मांग की तो किसी ने उसे पानी तक नहीं दिया, जिससे बाद उसकी मौत हो गई। इस मामले में हद तो तब हो गई जब, घटना की सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस के सामरे अधमरे कासिम को घसीटकर पुलिस की गाड़ी में डाला गया था। पुलिस की इस कृत्य का वीडियो वायरल होने पर जब किरकिरी हुई तो यूपी पुलिस को माफी मांगने के लिए भी मजबूर होना पड़ा था। वहीं, इस घटना में भीड़ ने 65 साल के समीउद्दीन को भी बुरी तरह पीटा था। इस दौरान उपद्रवियों ने कई बार उनकी दाढ़ी खींची और गाय को मारने का आरोप लगाते हुए भद्दी-भद्दी गालियां भी दीं। इस मामले में पुलिस ने नौ लोगों को गिरफ़्तार किया। इन सभी आरोपियों के खिलाफ दंगा करने, हत्या की कोशिश और हत्या के आरोप लगाए गए। इतने गंभीर आरोपों के बावजूद इन नौ आरोपियों में से 4 ज़मानत पर बाहर आ गए हैं।
इस को पुलिस ने रोड रेज का केस बना दिया था। हालांकि, खुद पुलिस की केस डायरी में लिखा है कि गो हत्या को लेकर मामला भड़का था। यहीं वजह है कि बेल ऑर्डर में इस अंतर्विरोध का भी ज़िक्र है। पुलिस कहती है कि उसके पास इस घटना के दूसरे पीड़ित और एक मात्र जिंदा बचे समीउद्दीन का बयान है, जबकि समीउद्दीन का कहना है कि उसने कोई बयान ही नहीं दिया है। मृतक कासिम के परिवार वालों ने भी कहा कि कासिम बकरी का कारोबार करता था, गाय का नहीं। जबिक एनडीटीवी के इस स्टिंग में मुख्य आरोपी भी ये मान रहा है कि कासिम की हत्या गो हत्या की वजह से ही की गई थी। यानी इस मामले में पुलिस की जांच में खामियां साफ नज़र आ रही है। सबसे बड़ी बात ये है कि पुलिस FIR में इसे road rage का मामला बताया, जबकि पहले वायरल हुए वीडियो और स्टिंग के वीडियो सबूत कुछ और कह रहे हैं। यानी आरोपी और पीड़ित दोनों ही पक्षों का कहना है कि ये हमला गाय मारने को लेकर हुआ। मुख्य आरोपियों में से एक को तो इस मामले में अपनी भूमिका पर कोई पछतावा नहीं है।