sawan shivratri 2021 सुबह चार बजे से शिवालयों में जलाभिषेक
सोशल डिस्टेंसिंग के लिए मंदिर समिति और पुलिस प्रशासन काफी प्रयास में जुटा हुआ है लेकिन भीड़ ज्यादा होने के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन देखने को नहीं मिला। भीड़ को देखते हुए बगैर मास्क मंदिर में प्रवेश बंद कर दिया गया। मंदिर गेट पर ही सैनिटाइजेशन की व्यवस्था की गई है और मंदिर परिसर में भी भक्तों को नहीं रुकने दिया जा रहा। भोलेनाथ पर जलाभिषेक कर उन्हें सीधे बाहर निकाला जा रहा है। स्वयंसेवी मंदिर की व्यवस्था संभाल रहे हैं। पुलिस के जवान भी तैनात हैं। सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ की आराधना करना हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। सावन शिवरात्रि पर्व का बड़ा महत्व है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में शिव भक्त मंदिर पहुंच कर भोलेनाथ पर जलाभिषेक कर रहे हैं।sawan shivratri 138 साल बाद बना त्रियोग, जानिए अभिषेक की सही विधि
गाजियाबाद के प्रसिद्ध भगवान दूधेश्वर नाथ मंदिर में इस दिन हर साल लाखों शिवभक्त जलाभिषेक करते हैं लेकिन इस बार कोविड-19 के कारण भीड़ पहले के मुकाबले बहुत कम नजर आ रही है लेकिन उसके बावजूद भी शिव भक्तों में भारी उत्साह दिखाई दे रहा है। इसका सहज अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मध्यरात्रि 12 बजे से ही भोलेनाथ पर जलाभिषेक शुरू हो गया था। करीब 3:30 बजे सुबह भगवान भोलेनाथ की आरती हुई और फिर 56 भोग का प्रसाद चढ़ाया गया। इसके बाद दोबारा से जलाभिषेक शुरू हुआ। लोग बारी-बारी से जलाभिषेक करने के लिए लाइन में खड़े हैं।मंदिर के महंत नारायण गिरी महाराज ने बताया कि सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ की आराधना सबसे महत्वपूर्ण मानी गई है क्योंकि सावन के महीने में सभी देवता सोए हुए होते हैं और केवल भगवान भोलेनाथ की चैतन्य रहते हैं। माना जाता है कि इन दिनों इंसान यदि भोलेनाथ की पूजा अर्चना आराधना करता है, तो भगवान भोलेनाथ उस पर अपनी असीम कृपा करते हैं । उन्होंने बताया कि हमारे शास्त्रों में वर्णन है कि जिस वक्त समुद्र मंथन हुआ था उसमें जो विष निकला उसे किसी ने स्वीकार नहीं किया तो केवल भोलेनाथ ने ही पूरा विष पीकर सभी देवता और इंसानों को बचाया और तभी से भगवान भोलेनाथ कि पृथ्वी पर पूजा और विशेष आराधना होती आ रही है।