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सीएम आॅफिस से आयी काॅल तो यहां पकड़ा गया बूचड़खाना सीबीआर्इ का है कहना एफआर्इआर में सीबीआर्इ का कहना है कि आेरिएंटल बैंक आफ काॅमर्स ने सिंभावली शुगर मिल को किसानों को ईख की खेती करने के लिए कर्ज देने की मंजूरी दी थी। 8 नवंबर, 2011 को कंपनी ने बैंक को एक प्रस्ताव पेश किया। जिसमे कहा गया था कि शुगर मिल ने बैंक को बताया था कि इस लोन से हर किसान एक स्कीम के तहत शुगर मिल से ही अच्छी पैदावार के लिए बीज, उर्वरक व खाद खरीदेगा। इसके बाद शुगर मिल ने 5762 परिवारों की एक सूची बैंक में जमा की। इस लोन की सीमा प्रति किसान तीन लाख रुपये रखी गई। 25 जनवरी 2012 से 13 मार्च 2012 के दौरान 5762 किसानों को ऋण दिया गया। करीब 148.59 करोड़ रुपये लोन की राशि का भुगतान किया गया था। इसके लिए खाते खोले गए और लोन ट्रांसफर किया गया। कुछ दिन बाद ही पूरी राशि कुछ दिन बाद वापस कंपनी के एकाउंट में चली गर्इ और कंपनी ने इसे किसी दूसरे बैंक एकाउंट में ट्रांसफर कर दिया। सिंभावली ने इस बीच करीब 60करोड़ रुपये कंपनी ने किश्तों के जरिये बैंक को लौटा दिए थे, लेकिन बाकी 90 करोड़ वापस नही किया गया। जिसका ब्याज लगाकर कुल बकाया करीब 110 करोड़ रुपये का हो गया।
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आठ ठिकानों पर मारे थे छापेसीबीआर्इ ने रविवार को सिंभावली चीनी मिल के आठ ठिकानों पर छापे मारकर कई कंप्यूटर, सीडी और अन्य दस्तावेज जब्त किए थे। सीबीआर्इ के डिप्टी एसपी आकाश कुमार मीणा के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम ने छापा मारा था। टीम के सदस्यों ने कंप्यूटर, सीडी व कई रजिस्टर अपने कब्जे में लेकर पांच घंटे तक जांच करके टीम वापस लौट गर्इ थी।