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ऑनर किलिंग: भाईयों ने कराई थी बहन और उसके प्रेमी व भाई की हत्या, शवों के साथ की थी बर्बरता दरअसल, नोएडा अथॉरिटी के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम समेत कई धाराओं में सीबीआई ने केस दर्ज किया था। वहीं इसके पहले यादव सिंह की जमानत अर्जी विशेष न्यायाधीश सीबीआई गाजियाबाद ने खारिज कर दी थी। इसके बाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सीबीआई अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी। यादव सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्देश दिया था कि पूर्व इंजीनियर की याचिका पर 8 जुलाई को सुनवाई करते हुए फैसला दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति प्रीतंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति शेखर यादव ने यादव सिंह की जमानत पर सुनवाई की।
यादव सिंह के अधिवक्ताओं ने कहा कि याची 10 फरवरी 2020 से जेल में बंद है। वहीं, सीबीआई ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने में देर की है। इसलिए उसकी जेल में निरुद्धि अवैध है, क्योंकि नियमों के मुताबिक 60 दिन में चार्जशीट दाखिल होनी चाहिए। जबकि सीबीआई ने 119 दिन के बाद चार्जशीट दाखिल की। बता दें कि इससे पहले पूर्व विशेष न्यायाधीश सीबीआई ने जमानत यह कहते हुए नामंजूर की थी कि लॉकडाउन के कारण सीबीआई तय समय पर चार्जशीट दाखिल नहीं कर सकी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने भी 23 मार्च के आदेश में सभी प्रकार के मामलों में समय सीमा बढ़ा दी। इसलिए सीबीआई को चार्जशीट दाखिल करने में जो विलंब हुआ, उसकी गणना नहीं की जाएगी।
यादव सिंह के अधिवक्ताओं का कहना था कि विशेष न्यायाधीश सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को समझने में गलती की है। कोई भी ऐसा कारण नहीं है, जो सीबीआई को चार्जशीट दाखिल करने में बाधा होती। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा कि सीबीआई कोर्ट जज ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को समझने में गलती की है। लॉकडाउन में ऐसी परिस्थितियां नहीं थी कि चाजर्शीट दाखिल नहीं की जा सकती थी। चार्जशीट अनावश्यक विलंब से दाखिल हुई। कोर्ट ने यादव सिंह को रिहा करने का आदेश सुनाया, जिसके बाद गुरुवार देर शाम डासना जेल से यादव सिंह को रिहा कर दिया गया।