New Parliament House cyber security: नई संसद में दुश्मन देश के हैकर-इंटरनेट अंडरवर्ल्ड सेंधमारी नहीं कर पाएंगे। साइबर हमले, फिशिंग और रैनसमवेयर भी नई संसद में सेंधमारी नहीं कर सकेंगे।
जिन विशेषज्ञों ने ये सिस्टम तैयार किया है। उन्होंने इसे ‘स्टेट ऑफ आर्ट’ साइबर सिक्योरिटी नाम दिया है। यानी साइबर सिक्योरिटी के मामले में अत्याधुनिक का सुरक्षा घेरा। इस सिस्टम को ‘प्रो एक्टिव साइबर सिक्योरिटी’ कहा जाता है।
नए संसद भवन में दुश्मन देश जैसे पाकिस्तान और चीन सहित अन्य किसी देश के हैकर्स सेंधमारी नहीं कर पाएंगे। नए संसद भवन का साइबर सिक्योरिटी सिस्टम ऐसा मजबूत बनाया है कि वह साइबर अपराध की काली दुनिया जिसे ‘डार्क वेब’, ‘इंटरनेट का अंडरवर्ल्ड’ कहा जाता है। इस नई संसद भवन परिसर के आईटी सिस्टम के पास भी नहीं फटकने देगा।
डबल सिक्योरिटी ऑपरेटिंग सिस्टम नया संसद भवन परिसर को फूलप्रूफ साइबर सिस्टम बनाने वाली टीम का दावा है कि कोई हैकर, उपकरणों में सेंधमारी नहीं कर सकता है। यही कारण है कि इसे ‘स्टेट ऑफ आर्ट’ नाम दिया गया है। संसद भवन के कोने—कोने में ‘डिजिटल सर्विलांस’ घेरा बनाया है। इसमें आर्टिफिशिएल इंटेलिजेंस की मदद ली है। किसी आपातकालीन स्थिति का मुकाबला करने के लिए डबल सिक्योरिटी ऑपरेटिंग सिस्टम है।
संसद भवन में इंटरनेट एकीकृत नेटवर्क के अलावा एयर-गैप्ड कंप्यूटर तकनीक उपयोग में लाई गई है। एयर-गैप्ड कंप्यूटर, किसी नेटवर्क से जुड़े उपकरणों के साथ वायरलेस से कनेक्ट नहीं हो सकता। एयर गैप कंप्यूटर सिस्टम के माध्यम से डेटा को मैलवेयर और रैनसमवेयर से सुरक्षा मिलेगी। इसे इंट्रानेट यानी बाकी नेटवर्क से अलग सिस्टम कहा जा सकता है।
सुरक्षा संचालन केंद्र में वाईफाई पर 2500 इंटरनेट नोड्स नए संसद परिसर में सुरक्षा संचालन केंद्र ने वाईफाई पर 2,500 इंटरनेट नोड्स के devices पर नजर रहेगी। 1,500 एयरगैप्ड नोड्स और 2,000 devices का नेटवर्क, इन सबकी कार्यप्रणाली पर केंद्रीयकृत तरीके से सर्विलांस होगी।
पीएमओ और केंद्रीय मंत्रालयों से एम्स पर हुए साइबर हमले देश में साइबर अटैक को रोकने के लिए केंद्र सरकार, हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन इसके बावजूद डेटा में सेंध लग रही है। भाजपा की वेबसाइट हैक हो चुकी है।
संघ लोक सेवा आयोग की वेबसाइट को भी हैक कर लिया गया था। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) भी साइबर अटैक से नहीं बच सका। रक्षा, विदेश मंत्रालय और केंद्रीय जांच एजेंसियों के कंप्यूटरों पर भी साइबर हमला हुआ है।
पिछले साल विदेशी हैकरों द्वारा दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के ई-हॉस्पिटल सर्वर पर बड़ा साइबर हमला किया गया था। कई दिनों तक एम्स का डिजिटल सिस्टम पटरी पर नहीं आ सका। रक्षा मंत्रालय पर भी हमले का प्रयास हुआ। यहां पर अधिकारियों के पास एनआईसी के नाम से ईमेल भेजी गई। एक लिंक भी अटैच था।
पता चला कि एनआईसी द्वारा ऐसी कोई मेल नहीं भेजी गई है। जल शक्ति मंत्रालय और ‘स्वच्छ भारत’ के ट्विटर भी साइबर हमले से नहीं बच सके। नई दिल्ली में आयोजित तीसरे अंतरराष्ट्रीय ‘नो मनी फॉर टेरर’ मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (काउंटर-टेररिज्म फाइनेंसिंग) के लिए तैयार एमएचए की वेबसाइट में भी सेंध लगाने का प्रयास हुआ था। मजबूत साइबर सिक्योरिटी प्लेटफार्म ने हैकरों को कामयाब नहीं होने दिया।
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