खजूर में बरकत है
दरअसल, लंबे समय तक भूखा रहने के बाद अचानक ज्यादा भोजन करने से शरीर को नुकसान होता है। ऐसे में रोजा खोलते वक्त कुछ ऐसा खाना खाना चाहिए जो थाड़ा खाने से भी शरीर को भरपूर ताकत पहुंचा सके और खजूर बखूबी इस काम को करता है। ऐसे में इफ्तार के वक्त खजूर खाने से शरीर को काफी शक्ति मिल जाती है, जिससे भूख कम लगती है और कोई परेशानी भी नहीं होती। इसके अलावा खजूर खाने से पाचन तंत्र भी मजबूत रहता है, क्योंकि इसमें काफी मात्रा में फायबर पाया जाता है, जो शरीर के लिए बहुत जरूरी है। सारा दिन भूखे और प्यासे रहने की वजह से शरीर में कमजोरी आ जाती है, ऐसे में खजूर खाने से शरीर को इतनी ताकत आसानी से मिलती है, जितना कि बहुत ज्यादा भोजन करने प्राप्त किया जा सकता है। नोएडा सेक्टर 168 स्थित छपरौली की मस्जिद नूर के इमाम व खतीब मौलाना ज्याउद्दीन ने बताया कि पैगंबर मोहम्मद साहब ने फ़रमाया था कि जब कोई रोज़ा इफ्तार करें तो खजूर या छोहारा से इफ्तार करें, क्योंकि इस में बरकत है और अगर खजूर या छुहारा नहीं मिले तो पानी से इफ्तार करें, क्योंकि पानी पाक करने वाला है।
ये है खजूर में पाई जाने वाली खूबियां
खजूर में ग्लूकोज, सुक्रोज और फ्रुक्टोज पाए जाते हैं, जिसकी वजह से खजूर के सेवन से शरीर को तुरंत ताकत मिलती है। खजूर का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी कम होता है, जिससे दिल की बीमारियां होने का खतरा नहीं रहता। इसके अलावा खजूर में भारी मात्रा में पोटेशियम पाया जाता है। इसके अलावा इसमें सोडियम की मात्रा कम होती है,जोकि नर्वस सिस्टम के लिए काफी फायदेमंद होता है। खजूर में आयरन पाया जाता है, जो खून से संबंधित बीमारियों से छुटकारा दिलाता है। खजूर के बारे में मुहम्मद साहब ने भी कहा था कि इसमें बरकत है।
इस्लाम में यकीन नहीं रखने वालों की खजूर को लेकर ये थी राय
ताजा रिसर्च से सामने आए खजूर के फायदे ने साबित कर दिया है सुन्नत का तरीका पूरी तरह विज्ञान आधारित है। जबकि, इससे पहले रमजान में खजूर खाने के रिवाज पर इस्लाम में यकीन नहीं रखने वाले विद्वान ये तर्क देते थे कि इस्लाम अरब से शुरू हुआ था। वहां पर खजूर आसानी से उपलब्ध फल था। ऐसे में रोजे में खजूर का इस्तेमाल शुरु किया गया। अरब में खजूर की ज्यादा पैदावार होती थी। लिहाजा, यह हर एक के लिए आसानी से उपलब्ध हो जाता था। इसी लिए रोजे में खजूर के सेवन करने की परंपरा शुरू हुई।