देखें वीडियो: खून से लथपथ पहुंचा थाने, पिट रहे शख्स को गया था बचाने! कैब चलाता है सरगना एसपी सिटी आकाश तोमर का कहना है कि यह गैंग काफी समय से दिल्ली-एनसीआर में सक्रिय था। अक्सर यह लोग अधिक पैसे वालों को अपना निशाना बनाया करते थे। उन्होंने बताया कि कई और पीड़ित भी हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। फिलहाल अभी इस मामले में 12 एफआईआर सामने आई हैं। पुलिस नेहरिकेश निवासी पलवल और निवेश सिरोही निवासी औरंगाबाद बुलंदशहर के साथ ही बदायूं व दिल्ली निवासी दो युवतियों को गिरफ्तार किया है। गैंग का मास्टर माइंड हरिकेश कैब चलाता है।
ऐसे फंसाते थे शिकार को पुलिस के मुताबिक, आरोपी बाजार में घूमा करते थे। वहां बड़ी दुकानों के बाहर लगे बोर्ड से ये नंबर लेकर युवतियों को देते थे। वे उस नंबर पर कॉल करके शिकार को अपने जाल में फंसाती थीं। युवतियों को शिकार को पूरी तरह से भरोसे में लेने के लिए वीडियो कॉल भी करती थीं। जब वे उनके जाल में फंस जाते थे तो युवतियां उन्हें मिलने के लिए बुलाती थीं। जब शिकार उनके बताए पते पर पहुंचता था तो युवती आपत्तिजनक हालत में उनकी वीडियो बना लेती थी। फिर शुरू होता था ब्लैकमेलिंग का खेल। दोनों युवक पीड़ितों को दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराकर जेल भिजवाने की धमकी देकर उनसे रुपये वसूलते थे। इतना ही नहीं इसके आरोपियों ने तो एक सप्ताह पहले इसका विज्ञापन भी दिया था।
ऐसे आए पकड़ में इन लोगों ने ग्रेटर नोएडा के एक कारोबारी को भी ऐसे ही फंसाया था। ये उससे बलात्कार की रिपोर्ट न दर्ज कराने के बदले में पांच लाख रुपये मांग रहे थे। इनसे परेशान होकर कारोबारी ने इंदिरापुरम पुलिस से शिकायत की थी। इसके बाद चारों आरोपियों को गुरुवार रात रुपये लेने के लिए अभयखंड में बुलाया गया था। जब चारों आई-10 कार में वहां पहुंचे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
रेप की फर्जी रिपोर्ट दर्ज करवाई एसएपी सिटी ने बताया कि एक आरोपी महिला ने नाम बदलकर मार्च में विजयनगर थाने में लोनी निवासी दो युवकों पर गैंगरेप की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। नोएडा और गाजियाबाद के अन्य कई थानों में ये महिलाएं दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज करा चुकी हैं। इसकी जांच की जा रही है।
फिल्म देखकर आया आइडिया हरिकेश एक निजी कंपनी में कैब चलाता है। उसकी एक आरोपी युवती से दोस्ती हुई थी। दोनों को एक फिल्म देखकर लव, सेक्स और धोखे का यह आइडिया आया था। पुलिस के अनुसार, रुपये न मिलने पर आरोपी नाम बदलकर रिपोर्ट भी दर्ज करा देते थे और बाद में रुपये लेकर समझौता कर लेते थे।