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गाज़ियाबाद

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बीच पंचतत्व में विलीन हुए जैन मुनि तरुण सागर महाराज

अंतिम यात्रा में भारी बारिश के बीच उमड़ा जनसैलाब।दिल्ली से मुरादनगर तक पैदल निकली अंतिम यात्रा।
 

गाज़ियाबादSep 01, 2018 / 08:12 pm

Rahul Chauhan

jain muni funeral

लाखों श्रद्धालुओं के बीच पंचतत्व में विलीन हुए जैन मुनि तरुण सागर महाराज

गाजियाबाद। जैन मुनि तरुण सागर महाराज मुरादनगर स्थित तरुण सागर धाम में समर्थकों की भारी भीड़ के समक्ष पंचतत्व में विलीन हो गए। तरुण सागर जी महाराज की अंतिम यात्रा दिल्ली से सुबह 7:30 बजे शुरू की गई थी जो कि पैदल ही गाजियाबाद होते हुए मुरादनगर स्थित तरुण सागर धाम पहुंची। जब तक सूरज चांद रहेगा तरुण सागर जी महाराज तुम्हारा नाम रहेगा, तरुण सागर जी महाराज अमर रहे के जयघोष के साथ शाम करीब 6:00 बजे उन्हें मुखाग्नि दी गई। बता दें कि जैन मुनि तरुण सागर का शनिवार की सुबह 3.18 बजे निधन हो गया था।
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बताया जा रहा है कि जैन मुनि पीलिया से पीड़ित थे। इसलिए उन्हें दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन जब उन्हें सुधार नजर नहीं आया तो उन्होंने इलाज कराना बंद कर दिया था। इसके बाद उन्होंने कृष्णानगर स्थित राधापुरी जैन मंदिर चातुर्मास स्थल पर जाने का निर्णय लिया था, जहां उन्होंने शनिवार को सुबह अंतिम सांस ली। जैन मुनि तरुण सागर के निधन के बाद से पूरे जैन समाज में शोक की लहर दौड़ गई।
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जैन मुनि की अंतिम यात्रा दिल्ली की राधेपुरी से निकाली गई, जो गाजियाबाद होते हुए मुरादनगर पहुंची। सुबह से हो रही बारिश के बीच जैन मुनि के अनुयायी अंतिम दर्शन करने के लिए सड़कों पर जगह-जगह खड़े नजर आए। जैन मुनि तरुण सागर की अंतिम यात्रा दिल्ली से मुरादनगर तक पैदल ही निकाली गई। महाराज का पार्थिव शरीर उनके सिंहासन पर रखा हुआ था, जिसे अनुयाईयों ने अपने कंधों पर ही दिल्ली से मुरादनगर तक ले जाकर अन्य अनुयाईयों को दर्शन कराए। इस दौरान भारी बारिश के बीच लोग छतरी लगाकर अंतिम दर्शन के लिए उमड़े।
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बता दें कि गत शुक्रवार की रात करीब एक बजे महाराज का स्वास्थ्य काफी बिगड़ गया था, वह डॉक्टरों की देखरेख में थे। लेकिन महाराज ने पहले ही कि वह किसी भी प्रकार औषधि नहीं लेंगे और अंत में 3 बजकर 18 मिनट पर उन्होंने देह त्याग दी। इससे पहले तरुण क्रांति मंच की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें यह तय किया गया कि महाराज का अंतिम संस्कार मुरादनगर के तरुण सागरम तीर्थस्थल पर किया जाएगा। महाराज ने अपने जीवन का अंतिम चातुर्मास राधेपुरी में जैन मंदिर के पास बने जैन समुदाय के घर में किया। जानकारी के अनुसार महाराज का गत 27 जुलाई से राधेपुरी में चातुर्मास चल रहा था। गत 13 अगस्त को उनके स्वास्थ्य का हाल चाल लेने के लिए योग गुरु बाबा रामदेव भी पहुंचे थे। गत वर्ष महाराज ने चातुर्मास राजस्थान के सीकर में किया था।
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जैन समाज के अरूण कुमार जैन ने बताया कि जैन मुनि तरूण सागर को पीलिया हो गया था। पुष्पदंत महाराज ने तरूण सागर महाराज को समाधि मरण की तैयारी के लिए कहा था। जिसकी तैयारी महाराज ने शुरू कर दी थी। अरूण कुमार जैन ने कहा कि मुनिश्री एक क्रांतिकारी संत थे। जिन्होंने महावीर को मन्दिर से निकालकर चौराहे पर लाने का नारा दिया। जिन्होंने जिनधर्म की शान का डंका बजाया। जो जिये तो शेर की तरह निडर जिनकी दहाड़ सीधे अन्तरआत्मा को कचोटती थी वो जब गये तो पूर्ण समाधि सल्लेखना के साथ। जब तक रहे जैन धर्म के ध्वजवाहक बनकर रहे और जब गये तो सम्पूर्ण त्याग कर सल्लेखनापूर्वक समाधि लेकर जाते-जाते भी जैनत्व को गौरवान्वित कर गए।
इन संतों के सानिध्य में किया देह त्याग
मुनि पुष्पदंत महाराज के आदेश पर ही जैन मुनि तरूण सागर की समाधि सल्लेखना पूर्वक एक सितंबर को प्रातः 3:18 को जैन मुनि अरूण सागर, सौभाग्य सागर, उपाध्याय गुप्तिसागर, अनुमान सागर , शिवानंद सागर के सानिध्य में संपन्न हुई। देह त्यागने से पहले तरूण सागर महाराज ने अपने भक्तों को हाथ हिलाकर आशिर्वाद भी दिया था।

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