राजनगर एक्सटेंशन चौराहे के चौड़ीकरण में केबल शिफ्टिंग का काम पहले बिजली विभाग को दिया जाना था। करीब 900 मीटर तक बिजली के तारों को भूमिगत करने में बिजली विभाग ने 18 करोड़ का खर्चा बताया। प्राधिकरण ने जब लाइन शिफ्टिंग के खर्चे का अनुमान लगाया तो वह करीब 13 करोड़ ही बैठा। सीधा 5 करोड़ के अन्तर की वजह से प्राधिकरण अब इस काम को खुद कर रहा है। इसके अलावा वार्टिकल गार्डनिंग के लिए भी पहले बाहर की किसी एजेंसी को ठेका देना चाहता था। यहां भी धन का अंतर सामने आ रहा था। बाहर की कंपनी को ठेका देने पर जीडीए को एक पिलर पर करीब 2 लाख 50 हजार का खर्चा आ रहा था जो खुद उसके करने पर 1 लाख 50 हजार तक पहुंच गया। 22 पिलर्स पर वर्टिकल गार्डनिंग होनी है इस लिहाज से यहां भी प्राधिकरण को 22 लाख रूपए का फायदा हो चुका है।
सूत्रों की माने तो मधुबन बापूधाम में बनने जा रहे आरओबी के निर्माण का जिम्मा भी जीडीए खुद लेने जा रहा है। इस आरओबी के निर्माण पर 20 करोड का खर्चा है। फिलहाल जीडीए ने आरओबी के निर्माण की स्वीकृति के लिए रेलवे मंत्रालय के पास प्रस्ताव भेजा है।
दरअसल जीडीए द्वारा खुद कुछ परियोजनाओं को हाथ लेने का कारण सिर्फ पैसा बचाना ही नही है। इसके जरिए जीडीए अपनी साख भी बनाना चाहता है। इसके जरिए छोटे कामों में होने वाली देरी और गुणवत्ता संकट जैसे सवालों से जीडीए बचना चाहता है। राजनगर एक्सटेंशन चौराहे पर लाइन शिफ्टिंग की वजह से काम धीमी गति से चल रहा है। इस तरह प्राधिकरण एक तीर से दो शिकार करना चाहता है।