जीडीए सूत्रों की मानें तो 7,993 अवैध निर्माण प्राधिकरण के निशाने पर हैं। जल्द ही इन्हें तोडने की कार्रवाई शुरू होगी। बता दें कि जिन भवनों का निर्माण जीडीए की स्वीकृति के बिना हुआ है, उन्हें ही अवैध घोषित किया जा रहा है। इन्हें जीडीए से अधिकृत प्राइवेट एजेंसी तोड़ेगी। इस कार्रवाई के दौरान जीडीए अधिकारी-कर्मचारी भी साथ होंगे। इसके अलावा मौके पर हंगामा करने वालों से निपटने के लिए स्थानीय पुलिस की मदद भी ली जाएगी। इन सबका खर्च अवैध निर्माण करने वाले संबंधित व्यक्ति से ही वसूला जाएगा।
दो मंजिल के बाद रेट और बढ़ जाएंगे जीडीए अधिकारी एससी चौबे के अनुसार, अवैध निर्माण तोडने के लिए जीडीए ने जो शुल्क तय किए हैं, उसके तहत भू-तल (ग्राउंड फ्लोर), पहली मंजिल और दूसरी मंजिल तक अगर तोडऩे में मशीन का इस्तेमाल हो रहा है, तो शुल्क 1,750 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से वसूला जाएगा। इसके बाद की मंजिलों के लिए 2400 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से शुल्क वसूला जाएगा। वहीं, अगर बिना मशीन भवन को तोड़ा जाता है, तो जीडीए 3800 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से शुल्क वसूलेगी। इसके अलावा, प्रशासनिक चार्ज भी शुल्क में अतिरिक्त रूप से शामिल किया जाएगा।
आकाश नगर की घटना से लिया सबक जुलाई 2018 में गाजियाबाद के आकाश नगर में एक अवैध निर्माण गिरने से दो लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना में 8 लोग घायल भी हुए थे। इसकेे बाद से जीडीए ने अवैध निर्माण और इसके प्रति सख्त कार्रवाई को लेकर तैयारी शुरू कर दी थी। जीडीए ने वित्त वर्ष 2019-20 में 954 अवैध निर्माण चिन्हित किए, जिनमें 310 अवैध निर्माण पर कार्रवाई भी की। हालांकि, इन अवैध निर्माण के मालिकों से तोडऩे का शुल्क नहीं वसूला गया। जीडीए अधिकारियों को इन कार्रवाइयों के दौरान पर्याप्त संख्या में पुलिस बल भी नहीं मिला, जिससे कार्रवाई में दिक्कत हुई।
प्राइवेट एजेंसी से कराएंगे तोड़-फोड़ जीडीए अधिकारियों के मुताबिक, अवैध निर्माण गिराने के लिए तैयार हुई नई प्रक्रिया के तहत इसके लिए प्राइवेट एजेंसी को शामिल किया गया है। इस एजेंसी के पास अवैध निर्माण गिराने के लिए जरूरी सभी अत्याधुनिक संसाधन उपलब्ध हैं। सूत्रों की मानें तो जिस अवैध निर्माण को जीडीए ने कार्रवाई के लिए चिन्हित किया है, उसे गिराने के लिए एजेंसी अपने जरूरी संसाधनों के साथ मौके पर पहुंचेगी। यही नहीं, एजेंसी के कर्मचारी मौके पर पहुंचे और उस दिन किसी वजह से निर्माण ध्वस्त करने की कार्रवाई नहीं होती है, तो जीडीए संबंधित एजेंसी को 40 हजार रुपये बतौर हर्जाना भुगतान करेगी। जीडीए अधिकारियों के अनुसार, सबसे अधिक अवैध भवन निर्माण हिंडन नदी के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में हुए हैं। इनमें इंदिरापुरम, विजय नगर, राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-9 से सटे निर्माण क्षेत्र, आकाश नगर, लोनी, वैशाली, मसूरी और दिल्ली-मेरठ रोड किनारे बने निर्माण शामिल हैं।