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गाज़ियाबाद

रेलवे स्टेशन पर बिकने वाला खाना कभी भी अाप को पहुंचा सकता है अस्पताल, ये है बड़ी वजह

पत्रिका की पड़ताल में हुआ बड़ा खुलासा

गाज़ियाबादMay 06, 2018 / 03:30 pm

Iftekhar

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तेजस चौहान
गाजियाबाद. ट्रेन के डब्बे में टॉयलेट के पानी से चाय बनाने की खबर के बाद जहां रेलवे ने दोषी वेनडर पर एक लाख का जुर्माना लगाया,वहीं आम आदमी ट्रेम में मिलने वाले खाने की गुणवत्ता को लेकर चिंतित हैं। लोगों की इसी चिंता को देखते हुए जब पत्रिका ने हिल्ली से सटे गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर बिकने वाले भोजन का जायजा लिया तो कई चौंकाने वाला खुलासा हुआ। इस दौरान पत्रिका की टीम ने पाया कि रेलवे स्टेशन पर बिकने वाले खाने में साफ-सफाई से लेकर उसकी गुणवत्ता तक का बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है। यानी भोजन के नाम पर यहां सीधे-सीधे लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है ।

दरअसल, हाल में ही एक हैदराबाद से एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें ट्रेनों में चाय बेचने वाले लोगों को ट्रेन के टॉयलेट से पानी भरते दिखाया गया था। इस मामले के सामने आने के बाद काफी बवाल, मचा जिसके बाद उन बैंडर्स की तलाश की जाने लगी। बहरहाल इस वीडियो को देख कर यह साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि रेलगाड़ियों में यात्रियों को परोसे जाने वाले खाद्य पदार्थ को लेकर खाद्य पदार्थ बेचने वाले बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। इसके अलावा रेलवे अधिकारियों को भी इसकी कोई परवाह नहीं है । यही वजह है कि जब हमारी टीम ने इसकी गहन पड़ताल के लिए गाजियाबाद के रेलवे स्टेशन पर खाद्य पदार्थों को बेचे जाने के मामले में एक रियलिटी चेक किया तो साफ तौर पर दिखाई दिया कि जो खाना यात्रियों के लिए बनाया जाता है। वह मानकों के अनुसार बिल्कुल सही नहीं है। इसके अलावा साफ सफाई का भी कोई विशेष ध्यान नहीं रपखा जाता है । यहां खाद्य पदार्थ बेचने वाले लोगों का मकसद सिर्फ पैसा कमाना ही दिखाई देता है। क्योंकि जिस तरह से यहां खुलेआम खाद्य पदार्थ बनाए जा रहे हैं । आप इन तस्वीरों में साफ तौर पर देख सकते हैं कि यह किस तरह से इन खाद्य पदार्थों को तैयार किया जा रहा है और इन पर किस कदर मक्खियां भनक रही है। इतना ही नहीं खुले में ही सभी खाद्य पदार्थ रखे हुए हैं । इसकी वजह से इन खाद्य पदार्थों पर ऊपर फाइन डस्ट भी जमा हो जाती है, जिसे देख कर चिकित्सक तो क्या आम आदमी भी यह अंदाजा लगा सकता है कि जो खाना यहां यात्रियों को परोसने के लिए बनाया जा रहा है। इसकी क्वालिटी काफी निम्न स्तर का है। इस खाने को खाने के बाद लोगों का पेट भले ही भर जाता हो लेकिन यह खाना अपने साथ में बीमारी भी मुफ्त में बांटती है।
यहां बेचे जाने वाले खाने के बारे में हमने कुछ यात्रियों से भी जानकारी ली तो एक यात्री ने तो अपना पेट भरने के लिए खाना ले भी लिया था। लेकिन जैसे ही वह उस खाने के बारे में बताने लगा तो उसने गुस्से में आकर अपना खाना ही फेंक दिया और कहा कि जिस तरह से यहां खाना मिल रहा है । निश्चित तौर पर यह खाना खाने योग्य नही है। लोगों को बीमारी बांटी रही है,लेकिन उन्हें मजबूरी में यही खाना खरीदना पड़ता है । इसके अलावा भी हमने यहां मौजूद अन्य यात्रियों से भी उनकी राय ली तो उन्होंने भी साफ तौर पर रेलवे स्टेशन पर खाना बनाकर यात्रियों को परोसे जाने वाले खाने पर तमाम सवाल खड़े करते हुए कहा कि यह खाना किसी भी कीमत पर यात्रियों के खाने योग्य नहीं है।

लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि जब इस खाने को आम लोग भी देख कर यह अंदाजा लगा सकते हैं, लेकिन रेलवे प्रशासन या स्वास्थ्य विभाग कि नींद नहीं खुलती है। यह एक बड़ा सवाल है। शायद यही वजह है कि रेलगाड़ियों और स्टेशन पर बिकने वाले खाद्य पदार्थ यात्रियों को सही गुणवत्ता वाले और साफ-सफाई से नहीं मिल पाते है। हमारी टीम ने जब यहां पूरी तरह अव्यवस्था को देखा तो उसके बारे में जानकारी करने के लिए रेलवे स्टेशन पर बनाए गए स्वास्थ्य विभाग के इंस्पेक्टर से जानकारी करने के लिए पहुंची। लेकिन इंस्पेक्टर साहब के कार्यालय पर लगे ताले ने ही जवाब दिया कि यहां आने का आपका कोई लाभ नहीं है।

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