scriptभाजपा और संघ की साम्प्रदायिक राजनीति के खिलाफ जनजागरण करेगी भीम आर्मी | Bhim Army start awareness program against BJP- RSS communal politics | Patrika News
गाज़ियाबाद

भाजपा और संघ की साम्प्रदायिक राजनीति के खिलाफ जनजागरण करेगी भीम आर्मी

कैराना-नूरपुर में हार के बाद भाजपा के लिए आई एक और बुरी खबर
 
 
 

गाज़ियाबादJun 13, 2018 / 05:02 pm

Iftekhar

bhim army worker

भाजपा और संघ की साम्प्रदायिक राजनीति के खिलाफ जनजागरण करेगी भीम आर्मी

गाजियाबाद. सहारनपुर समेत पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलितों के कथित उत्पीडऩ के खिलाफ मुखर रहने वाला संगठन ‘भीम आर्मी‘ ने एक बयान जारी कर भाजपा और आरएसएस की नींद उड़ा दी है। भीम आर्मी भले ही खुद को सामाजिक उत्थान के प्रति पूरी तरह सर्मिपत बताता हो, लेकिन वह देश के विभिन्न हिस्सों में तेजी अपना विस्तार कर रहा है। अब तो इस संगठन ने अपनी मंशा भी जाहिर कर दी है। उसकी मंशा आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को सबक सिखाना है। भीम आर्मी के राष्ट्रीय संयोजक विनय रतन सिंह का यूं तो कहना है कि हम कोई राजनीतिक दल नहीं हैं, लेकिन बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के अनुयायी जरूर हैं। हम भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ हैं, क्योंकि ये दोनों ही साम्प्रदायिक राजनीति करती है।

यह भी पढ़ेंः आसमान में धूल छाने के बाद अब कभी भी आ सकती है खतरनाक आंधी, ये है मौसम विभाग का अलर्ट

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और संघ ने जातिवाद और साम्प्रदायिकता को मजबूती दी है। संघ की करतूतों की वजह से समाज में वर्चस्व की लड़ाई तेज हो गई है। इसके साथ ही उन्होंने ऐलान किया कि आगामी लोकसभा चुनाव में भीम आर्मी इन दोनों साम्प्रदायिक शक्तियों के खिलाफ जनजागरण अभियान चलाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम इन सांप्रदायिक ताकतों को परास्त करने की क्षमता रखने वाले दलों के पक्ष में वोट की अपील भी करेंगे। हालांकि, उन्होंने साफ कर दिया कि ये अपील व्यक्तिगत स्तर पर की जाएंगी। इसे भीम आर्मी के सियासत में उतरने के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।

यह भी पढ़ेंः दिल्ली-एनसीआर में छाया धूल का गुबार, घर से निकलने से पहले कर लें ये इंतजाम, नहीं तो हो जाएंगे बीमार

भीम आर्मी के राष्ट्रीय संयोजक विनय रतन सिंह ने दावा किया कि चंद्रशेखर आजाद की गिरफ्तारी के बाद भीम आर्मी की लोकप्रियता में चैतरफा इजाफा हुआ है। इस वक्त देश के लगभग हर राज्य में हमारे संगठन की मौजूदगी कायम हो चुकी है। हम शिक्षा, स्वास्थ्य तथा समाज से जुड़े उन अन्य क्षेत्रों में काम कर रहे हैं, जिन पर राजनीतिक पार्टियां अक्सर ध्यान नहीं देतीं।

यह भी पढ़ेंः भाजपा की इस रणनीति से महागठबंधन की निकल जाएगी हवा, सपा-बसपा में फैली बेचैनी

कैराना और नूरपुर उपचुनाव में दलितों के कारण मिली हारः भाजपा
गौरतलब है कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को अपनी दोनों सीटें गंवानी पड़ी थी। इसके बाद भाजपा और संघ में हुई मंथन के बाद भाजपा और आरएएस के नेताओं ने माना ता कि उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनावों में हार के लिए भीम आर्मी और दूसरे दलित संगठन जिम्मेदार हैं। मीडिया से बात करते हुए संघ और भाजपा के नेताओं ने कहा था कि भीम आर्मी ने कैरान चुनाव में खास तौर पर काफी प्रभाव डाला। भीम आर्मी ने दलितों और मुस्लिमों को एकजुट करने का काम किया। इसिलए वोट भाजपा के विरोध में गए। एक और भाजपा नेता ने माना कि पिछले साल जातीय हिंसा के बाद भीम आर्मी लोगों की नजर में आई। जातीय हिंसा के बाद भीम आर्मी का प्रभाव इलाके में बढ़ा है। कैराना उपचुनाव में भीम आर्मी ने खास तौर पर दो क्षेत्रों नकुर और गंगोह में प्रभाव डाला, क्योंकि इन दोनों ही जगहों पर 2 लाख से अधिक वोट हैं। दलितों और मुस्लिमों को एकजुट कर भाजपा के खिलाफ खड़ा करने में भीम आर्मी सफल हो रही है। कैराना और नूरपुर उचचुनाव प्रचार से जुड़े एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने तो यहां तक कहा था कि भीम आर्मी ने रात में भी कैंप लगाकर लोगों को मतदान के लिए उत्साहित किया था। चुनाव वाले दिन भी भीम आर्मी के सदस्य दलित और मुस्लिम वोटरों को मतदान के लिए बूथ तक ले जाने में सफल रहे। नकुर और गंगोह दोनों ऐसे क्षेत्र हैं, जहां भाजपा के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने युद्ध स्तर पर चुनाव प्रचार किया था। इलेकिन, स क्षेत्र से ही रालोद के उम्मीदवार को 28 हजार से अधिक की लीड मिल गई।

यह भी पढ़ेंः भाजपा के फायर ब्रांड विधायक संगीत सोम पर 43 लाख की ठगी का आरोप लगाने वाले ने अब कही ये बात

2017 में हुई थी भीम आर्मी की स्थापना

बता दें कि कैराना उपचुनाव में 54.17% ही मतदान हुआ था, जो 2014 से 18 फीसदी कम है। 2014 में बीजेपी ने यहां से बड़ी जीत दर्ज की थी और पार्टी को अब भी उम्मीद है कि अगले साल लोकसभा चुनावों में ज्यादा संख्या में मतदाता घर से निकलेंगे और पार्टी फिर सीट जीतने में सफल रहेगी। पार्टी नेताओं का कहना है कि कैराना हमेशा से ही भाजपा के लिए एक मुश्किल सीट रही है। गौरतलब है कि 28 मई को उपचुनाव से पहले भाजपा और संघ के प्रचारकों ने एक सप्ताह तक घर-घर जाकर मतदाताओं से वोट देने की अपील की थी। क्षेत्र में भाजपा और संघ ने हिंदू पलायन के मुद्दे को भी जोर-शोर से उठाया था। इसके बाद भी भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा था। गौरतलब है कि 2017 में कैराना में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से ही तनाव की स्थिति बनी है। ठाकुर और दलितों के बीच गुरु रविदास के मंदिर को लेकर विवाद हो गया था।

Hindi News / Ghaziabad / भाजपा और संघ की साम्प्रदायिक राजनीति के खिलाफ जनजागरण करेगी भीम आर्मी

ट्रेंडिंग वीडियो