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गाज़ियाबाद

‘ओ’ ब्लड ग्रुप की दीवानी ये फीमेल मच्छर, पश्चिमी यूपी और एनसीआर में पल रहा एडीज एजिप्टी का कुनबा

कीट वैज्ञानिकों के किया है। चौकाने वाला खुलासा करते हुए कीट वैज्ञानिक डॉ. पीएन त्रिपाठी ने बताया कि पश्चिमी यूपी और एनसीआर में इस समय एडीज एजिप्टी मच्छरों का कुनबा पल रहा है। इसी के कारण डेंगू और मलेरिया इस इलाके में फैल रहा है।

गाज़ियाबादNov 12, 2021 / 03:30 pm

Nitish Pandey

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गाजियाबाद. मच्छर एक हानिकारक कीट है। मेरठ जोन में यह अब और ताकतवर हो गया हैं। सिर्फ मादा मच्छर ही अंडा देने के ल‍िए इंसान या अन्य जंतुओं के रक्त चूसते हैं, जबकि नर मच्छर पेड़-पौधों का रस पीते हैं। मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा के अलावा एनसीआर और सहारनपुर मंडल में एडीज एजिप्टी नामक नर व मादा मच्छरों का कुनबा पल रहा है।
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यह बात कीट वैज्ञानिक डॉ. पीएन त्रिपाठी ने कही। उन्होंने बताया कि इन जिलों के व‍िभ‍िन्न‍ स्थाानों पर ल‍िए गए नमूने व उनकी जांच के बाद यह बात सामने आई है। उनका कहना है क‍ि इन जिलों में केवल मादा मच्छर खून से पोषण लेती है।
शाम होते ही शिकार की तलाश में निकलती है मादा मच्छर

मादा मच्छर एनोफ़िलीज रात को काटती है। शाम होते ही यह शिकार की तलाश मे निकल पड़ती है। तब तक घूमती है जब तक शिकार मिल नहीं जाता। यह खड़े पानी के अन्दर अंडे देती है। अंडों और उनसे निकलने वाले लार्वा, दोनों को पानी की अत्यन्त सख्त जरुरत होती है।
इसके अतिरिक्त लार्वा को सांस लेने के लिए पानी की सतह पर बार-बार आना पड़ता है। अंडे-लार्वा-प्यूपा और फिर वयस्क होने में मच्छर लगभग 10-14 दिन का समय लेते हैं। मादा मच्छर को अंडे देने के लिए रक्त की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया क‍ि मच्छर एक बार में अपने एक डंक से इंसान का 0.001 से 0.1 मिलीलीटर तक खून चूस लेते हैं।
घुटनों के नीचे काटता है डेंगू का मच्छर

डॉ. पीएन त्रिपाठी ने बताया क‍ि नवंबर डेंगू का पीक सीजन माना जाता है। दिलचस्प बात यह है कि डेंगू फैलाने वाली एडीज एजिप्टी नामक मादा मच्छर की उम्र एक महीना तक ही होती है लेकिन नवंबर वाली अवध‍ि अर्थात वह 500 से लेकर 1000 तक मच्छर पैदा कर देती है। यह मच्छर तीन फुट से ज्यादा ऊंचा नहीं उड़ सकता। इस कारण केवल लोअर लिंब्स पर ही इसका डंक चलता है।
मादा मच्छर कूलर, गमलों, फ्लावर पॉट, छत पर पड़े पुराने बर्तनों व टायर इत्यादि में भरे पानी और आबादी के आसपास गड्ढों में लंबे समय तक खड़े साफ पानी में अपने अंडे देती है। यह एक बार में 100 से लेकर 300 तक अंडे देती है। अंडों से लार्वा बनने में 2 से 7 दिन लगते हैं। लार्वा के बाद 4 दिन में यह मच्छर की शेप में आ जाता है और 2 दिन बाद उड़ने लायक मच्छर बन जाता है।
मच्छरों के सूंघने की होती है तीव्र क्षमता

मच्छरों की सूंघने की क्षमता इतनी तीव्र होती है कि वे 50 मीटर की दूरी से भी चीजों को सूंघ लेते हैं। जिन लोगों का ब्लड ग्रुप ए है उनकी तुलना में ओ ब्लड ग्रुप वाले लोगों के प्रति मच्छरों का आकर्षण दोगुना होता है। तो वहीं बी ब्लड ग्रुप वाले लोगों के प्रति मच्छरों का आकर्षण ए ब्लड ग्रुप वालों से ज्यादा और ओ ब्लड ग्रुप वालों से कम होता है।

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