scriptPatrika Explainer: नक्सलियों के बड़े लीडर्स बस्तर छोड़ गरियाबंद ही क्यों चुने? जवानों ने ऐसे दिया तगड़ा जवाब, जानें पूरी बात.. | Patrika Explainer: Why did the big leaders of Naxalites leave Bastar and choose Gariaband | Patrika News
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Patrika Explainer: नक्सलियों के बड़े लीडर्स बस्तर छोड़ गरियाबंद ही क्यों चुने? जवानों ने ऐसे दिया तगड़ा जवाब, जानें पूरी बात..

CG Naxal Encounter: नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी के बड़े नेता को मार गिराया। वहीँ 14 नक्सलियों का शव बरामद किए गए हैं, उनमें माओवादियों की केंद्रीय कमेटी से जयराम उर्फ चलपति उर्फ प्रताप भी शामिल है।

गरियाबंदJan 23, 2025 / 12:25 pm

Shradha Jaiswal

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Patrika Explainer: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के मैनपुर में फोर्स ने पहली बार नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी के बड़े नेता को मार गिराया है। कुल्हाड़ीघाट रेंज में मुठभेड़ के दौरान मारे गए जिन 14 नक्सलियों का शव बरामद किए गए हैं, उनमें माओवादियों की केंद्रीय कमेटी से जयराम उर्फ चलपति उर्फ प्रताप भी शामिल है। नक्सलियों में इतने बड़े लीडर थ्री लेयर सिक्यूरिटी में रहते हैं। फोर्स ने जब उन्हें यहां मारा, तो ऐसा कोई सुरक्षा घेरा नहीं था।

CG Naxal Encounter: लाल आतंक को लगा तगड़ा झटका!

ऐसे में माना जा रहा है कि बस्तर के साथ नक्सली अब पूरे प्रदेश में कमजोर पड़ रहे हैं। बस्तर छोड़कर नक्सलियों की गरियाबंद की ओर आने की बात करें, तो अबूझमाड़ से नारायणपुर होते हुए या कोंडागांव के मरदापाल, सिहावा, विश्रामपुरी के रास्ते ओडिशा तक नक्सलियों का पुराना कॉरिडोर है।
छत्तीसगढ़ में फोर्स के बढ़ते दबाव के बीच माना जा रहा है कि नक्सली वापस अपने पुराने ठिकानों की ओर लौट रहे हैं। अभी गरियाबंद जिले में कुल्हाड़ीघाट रेंज के करीब जहां मुठभेड़ हुई है, वह ओडिशा से सटा है। 10 किमी में नुआपाड़ा जिला लग जाता है। इस इलाके में कभी नक्स्लियों की आंध्र-ओडिशा स्पेशल जोनल कमेटी सक्रिय हुआ करती थी।
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बता दें कि नक्सलियों के बड़े लीडर छत्तीसगढ़ में बढ़ते दबाव के बीच ओडिशा में अपनी धमक दर्ज कराने के लिए इसी कमेटी को फिर से मजबूत करने के इरादे से जुटे थे। हालांकि, फोर्स ने 48 घंटे से जारी मुठभेड़ में 14 नक्सलियों को मारकर लाल आतंक को तगड़ा झटका दिया है। सूत्रों की मानें तो कुल्हाड़ीघाट रेंज के जंगलों में सर्चिंग अब भी जारी है। घटाना में ज्यादा नक्सलियों के मारे जाने की संभावना जताई जा रही है। चर्चा यह भी है कि कुछ लाशों को नक्सली अपने साथ ले गए। सर्चिंग में और लाशे निकलती हैं तो नक्सलियों की मौत का आंकड़ा बढ़ सकता है।

गरियाबंद ही क्यों? क्योंंकि मेंबर पहले से हैं, बस एक्टिव करना है

छत्तीसगढ़ में पहले नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी का कोई नेता नहीं मारा गया। गरियाबंद जिले में पहली बार एकसाथ तीन बड़े केंद्रीय नेताओंं के मारे जाने से इस मिशन की अहमियत का अंदाजा लगा सकते हैं। नक्सलियों ने ओडिशा में अपनी पैठ जमाने के लिए मैनपुर के ही जंगलों को क्यों चुना? इस पर जानकारों का मानना है कि आंध्र-ओडिशा स्पेशल जोनल कमेटी का बेस यहां पहले से ही तैयार था। मतलब मेंबर हैं। बस उन्हें एक्टिव करने की दरकार है। इसी इरादे से तीनों लीडर यहां इकडठे हुए थे।
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ये भी अनुकूल… बस्तर, ओडिशा में भौगोलिक, सामाजिक एकरूपता

नक्सलियों की इस ओर शिफ्टिंग इसलिए भी अनुकूल है क्योंकि बस्तर और ओडिशा के बीच बहुत हद तक भौगोलिक और सामाजिक एकरूपता है। बस्तर में सुरक्षा बलों का दबाव बढ़ा है। मलकानगिरी जैसे इलाकों में भी पैरामिलिट्री फोर्स लगाताार हमलावर है। ऐसे में दक्षिण बस्तर से लगा ओडिशा का बॉर्डर अब नक्सलियों के लिए रिस्की हो गया है। इसी वजह से वे अब धमतरी, गरियाबंद, महासमुंद से लगे बॉर्डर को अपना बेस बनाकर इस इलाके में अपना आधार मजबूत करना चाहते हैं। ऐसे में नक्स्ली इस इलाके को हर लिहाज से अनुकूल मानते हुए यहां इकट्ठे हुए थे।

पूरे ऑपरेशन में ऐसे इनवॉल्व है पीएमओ

पूरे ऑपरेशन में यूएवी (अनमैन्ड एरिया व्हीकल) की अहम भूमिका रही। इजराइल में बना यह ड्रोन 35 से 45 हजार फीट की ऊंचाई से लगातार 48 घंटे तक निगरानी करने में सक्षम है। इसे एनटीआरओ ऑपरेट करता है। एनटीआरओ भारत की तकनीकी खुफिया एजेंसी है, जो सीधे पीएमओ (प्रधानमंत्री दफ्तर) के अधीन काम करती है।
इस स्पेशल ड्रोन को ऑपरेट करने के लिए एनटीआरओ ने छत्तीसगढ़ में सिर्फ 2 जगह (जगदलपुर और भिलाई) में कैंप बनाया है। गरियाबंद के जंगलों में उड़ाया गया यूएवी भिलाई स्थित कैंप से ऑपरेट किया जा रहा था। ऑपरेशन में नक्सलियों की सही मूवमेंट का अंदाजा लगाने में फोर्स को इससे बहुत मदद मिल रही है। ऐसे में आगे भी इसकी मदद मिल सकती है।
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नक्सलियों के खूंखार नेता गणेश के भी यहीं छिपे होने का इनपुट

सूत्रों की मानें तो बस्तर में लगातार पुलिस की गोलियों का शिकार बनने के बाद नक्सली बैकफुट पर आ गए हैं। बस्तर में नक्सलियों की जड़ें मजबूत करने वालों मे से एक फाउंडर मेंबर गणेश उइके के भी ओडिशा बॉर्डर से सटे इलाके में छिपे होने की सूचना है। वह भी नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी का मेंंबर है। 2 दशक तक बीजापुर के जंगलों में आतंक रहा। फिर अबूझमाड़ के जंगलों में इसे सक्रिय देखा गया था। सूत्रों की मानें तो बस्तर में पुलिस की चौतरफा कार्रवाई के बाद वह भी सुरक्षित ठिकाने की तलाश में ओडिशा से लगे इन्हीं इलाकों में छिपा है।
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ऐसी जिंदगी… हाइटेक हथियार 37 साल छोटी लड़की से शादी

मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों के लीडर जयराम को चलपति, प्रताप रेड्डी, अप्पा राव, रवि जैसे कई नामों से जाना जाता था। वह आंध्रप्रदेश में मूलत: पाईपली गांव का रहने वाला था। उसकी उम्र अभी 61 साल के करीब बताई जा रही है। अरूण उसकी पत्नी का नाम है, जो उससे उम्र में 37 साल छोटी थी। अलग-अलग राज्यों ने उस पर इनाम रखे थे, जिसे मिलाकर इनाम की कुल राशि एक करोड़ से ज्यादा थी।
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वह हाइटेक हथियारों के साथ मोबाइल, टेबलेट, कंप्यूटर, रेडियो जैसे सभी संसाधनो से लैस रहता था। ओडिशा और छत्तीसगढ़ में उसकी मौजूदगी 2014 में दर्ज की गई। अभी उसकी मूवमेंट छत्तीसगढ़-ओडिशा बॉर्डर पर भालुडिग्गी, सोनाबेड़ा एरिया में थी। बताते हैं कि यह उसका पुराना ठिकाना था। वह तेलगु, उडिय़ा और हिंदी के साथ छत्तीसगढ़ी और गोंडी भाषा का भी जानकार था।

ऑटोमेटिक राइफल, गोला और बारूद बरामद, लाशें रायपुर भेजी

मंगलवार देर रात गरियाबंद में मामले का खुलासा करते हुए आईजी अमरेश मिश्रा, एसपी निखिल राखेचा ने बताया कि मुठभेड़ में मारे गए 14 नक्सलियों के शव बरामद CG Naxalites killed: 1 से 21 जनवरी तक 60 नक्सली ढेर, 2024 में मारे गए थे 247, देखें कब कब हुआ मुठभेड़किए गए हैं। मौके से 14 ऑटोमेटिक राइफल के साथ गोला-बारूद का जखीरा और कई नक्सल सामग्रियां भी मिली हैं।
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नक्सलियों की लाशों को पोस्टमार्टम के लिए देर रात रायपुर रवाना किया गया। उन्होंने बताया कि कुल्हाड़ीघाट रेंज में रविवार रात से ही रह-रहकर फायरिंग हो रही है। इलाके में और नक्सलियों की मौजूदगी को भांपते हुए सर्चिंग ऑपरेशन जारी रखा गया है।

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