CG achievement: 10वीं क्लास की बच्ची ने बनाया Li-Fi, विदेशों से आए नामी वैज्ञानिक हुए हैरान, मिला यंग साइंटिस्ट की उपाधि
CG Achievement: चेन्नई में हुए ’यंग इंडिया’ इवेंट में छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले की साक्षी को यंग साइंटिस्ट की उपाधि से नवाजा गया। इस दौरान उनके मॉडल ने सभी को चौंका दिया..
CG achievement: गौरव शर्मा. गरियाबंद जिले की बेटी ने महज 10वीं कक्षा में वाई-फाई से भी हाई-फाई स्पीड पर इंटरनेट प्रोवाइड कराने वाला लाई-फाई बनाकर सबको चौंका दिया है। शुक्रवार को चेन्नई में हुए ’यंग इंडिया’ इवेंट में इसका मॉडल पेश किया। इसकी कनेक्टिविटी इतनी तगड़ी है कि पानी के अंदर भी सिग्नल मिलेगा। छोटी सी उम्र में इतना बड़ा कमाल कर दिखाने के लिए इस इवेंट में उन्हें बतौर बाल वैज्ञानिक सम्मानित किया गया।
साक्षी गरियाबंद जिले के पांडुका की नवोदय स्कूल में 10वीं पढ़ती हैं। माता सुनीता जायसवाल, पिता पीएल जायसवाल पेशे से शिक्षक हैं। कोरोनाकाल के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई के लिए वाई-फाई से पाला पड़ा। धीरे-धीरे नेट स्पीड और कनेक्टिविटी प्रॉब्लम भी समझ आने लगी। साक्षी ने इतनी कम उम्र में ही इस मुसीबत का हल तलाशने की ठानी।
साक्षी बोली- यह आम लाइट की तरह ही है…
पत्रिका से बातचीत में लाई-फाई के बारे में बताते हुए साक्षी ने कहा, यह आम लाइट की तरह ही है। अंतर बस इतना है कि इसमें रोशनी के साथ इंटरनेट भी मिलेगा। यह आपके मोबाइल के हॉट-स्पॉट के जरिए इंटरनेट लगा और पूरे कमरे में जहां तक लाइट की रोशनी जाती है, वहां तक इंटरनेट प्रोवाइड कराएगा। रात के अंधेरे में भी ये काम करे, इसके लिए साक्षी ने कम तीव्रता वाले लाइट का इस्तेमाल किया है, जिसे खुली आंखों से नहीं देखा जा सकता। इस कार्यक्रम में साक्षी के अलावा महासमुंद से छत्तीसगढ़ की 2 और बेटियों को भी सम्मानित किया गया।
दुनिया पर मंडरा रहे कचरे को ठिकाने लगाने आइडिया दिया
साक्षी ने 2 साल पहले भी यंग साइंटिस्ट प्रोग्राम में हिस्सा लिया था। साक्षी ने अंतरिक्ष मिशन के चलते पृथ्वी के चारों ओर कचरे के विशाल ढेर को ठिकाने लगाने का आइडिया भी दिया। उन्होंने ऐसे मशीन का मॉडल पेश किया, जो अंतरिक्ष में फैले कचरे को इकट्ठा कर लेगा।
भाई भी कम नहीं, 12 की उम्र में आइंस्टीन का रेकॉर्ड तोड़ चुके
साक्षी के बड़े भाई पीयूष उनसे एक साल बड़े हैं। अभी ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ते हैं। दुनिया में सबसे कम उम्र में पीएचडी हासिल करने का रेकॉर्ड आइंस्टीन के नाम था। पीयूष ने महज 12 साल की उम्र में अमेरिका की यूनिवर्सिटी से पीएचडी हासिल कर आइंस्टीन का रेकॉर्ड तोड़ दिया था। इसके लिए उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में दर्ज किया गया है।
28 राज्यों से 1800 ने की शिरकत, ग्रैंड फिनाले में 103 ही सलेक्ट हुए
यंग साइंटिस्ट प्रोग्राम में 28 राज्यों से 1800 प्रतिभागियों ने भाग लिया था। इसमें से ग्रैंड फिनाले के लिए कुल 103 छात्र-छात्राएं चयनित हुए थे। यंग साइंटिस्ट इंडिया के तीनों चरणों मे साक्षी ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाकर ग्रांड फिनाले में जगह बनाई। उनकी इस उपलब्धि पर स्कूल के प्राचार्य महेंद्र राम समेत शिक्षक-शिक्षिकाओं ने खुशी जताई है।
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