कानपुर में खून से लिखा खत लेकर पहुंचा कबूतर, उर्दू में लिखी हैं बातें
देवेंद्र सिंह ने बताया “उसकी पत्नी किडनी की बीमारी से परेशान थी। डॉक्टरों ने इलाज करने से मना कर दिया था। इसके बाद वह उसे लेकर लगातार पिछले 6 महीने से बागेश्वर धाम जा रहा था। 15 फरवरी की सुबह नीलम को दरबार में बिठाने के बाद वह संन्यासी बाबा की समाधि और हनुमान मंदिर की परिक्रमा करने लगा था।”देवेंद्र ने बताया, “वह जब लौटकर आया तो पता चला नीलम बेहोश हो गई थी और उसकी हालत भी बिगड़ गई थी। नीलम की पेशी को लेकर पर्ची बनवाई थी। धीरेंद्र शास्त्री के लगने वाले दरबार में बीमार नीलम को पहले ही बिठा दिया था, लेकिन इसी बीच अचानक तबियत बिगड़ने से उसकी मौत हो गई।”
2 घंटे तक खेतों में रुका रहा
देवेंद्र ने आगे बताय, “दरवार में तबियत बिगड़ने के बाद पुलिस ने वहां नीलम को वहां से हटा दिया। गाड़ी में उसको लेकर करीब 2 घंटे तक खेतों में रुका रहा। उसे लगा कि नीलम की तबियत सही हो जाएगी। इसके बाद सरकारी अस्पताल लेकर गया वहां नीलम को मृत घोषित कर दिया गया।”
एंबुलेंस वालों ने कहा शव को खुद ले जाओ
देवेंद्र ने बताया, “ शव घर ले जाने के लिए जब एंबुलेंस वालों को बताया कि फिरोजाबाद से हैं तो उन्होंने गाड़ी से उतार दिया। बोले अपने स्तर से शव को घर ले जाओ, गैर राज्यों में यह नहीं जा सकती। फिर शव को बुधवार की शाम चार बजे छतरपुर से लेकर चला और गांव में मध्य रात्रि बाद तक आ सके। नीलम के शव का गुरुवार को अंतिम संस्कार कर दिया।”
देवेंद्र ने कहा “वह रोते हुए एक ही बात कह रहा था कि वह ठीक हो रही थी, लेकिन पता नहीं क्या हुआ और मौत हो गई। उसका एम्स तक इलाज कराया था। डॉक्टर भी आश्चर्य करते थे कि वह कैसे चल फिर रही है। कभी तबीयत घर पर खराब हो जाती थी, तो संन्यासी बाबा का नाम लेते ही ठीक हो जाती थी।”