स्वाधार गृह योजना का मुख्य उद्देश्य आश्रयहीन महिलाओं को आश्रय, भोजन, वस्त्र आदि उपलब्ध कराना है। साथ ही उन्हें भावनात्मक रूप से सुदृढ़ बनाने, महिलाओं को उनके परिवार में लौटने के लिए कानूनी मदद उपलब्ध कराने, उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण प्रदान करने और उनका आत्मसम्मान लौटाकर उन्हें समाज में रहने के लिए सक्षम बनाना है। जिससे महिलाएं भी दूसरे लोगों की तरह अपना सिर उठाकर जी सके।
इस योजना के तहत ऐसी महिलाएं जो सामाजिक रूप से बहिष्कृत और आर्थिक रूप से कमजोर हैं, जिन्हें परिवार ने खुद से अलग कर दिया गया हो, आपदा से पीड़ित हो, किसी अपराध के लिए जेल से सजा पूरी कर लौटी हो, लेकिन उनके पास रहने या कुछ करने के लिए न हो, वेश्यावृति और मानव तस्करी की शिकार, एचआईवी से पीड़ित एवं घरेलू हिंसा आदि से पीड़ित हो, ऐसी महिलाओं को स्वाधार गृह योजना का लाभ मिल सकता है।
स्वाधार गृह योजना के तहत कई लाभ होते है जैसे- अगर कोई महिला घरेलू हिंसा से पीड़ित है तो उसे एक साल तक हॉस्टल में रहने की अनुमति दी जाती है। जिससे वह खुद को संभाल सके। अगर उनकी समस्या ज्यादा है तो इसे तीन श्रेणियों में बांटा गया है। इसके आधर पर वह तीन साल तक भी यहां रह सकती हैं। 55 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं 60 वर्ष तक स्वाधार गृह में रह सकती हैं, उसके बाद उन्हें वृद्धा आश्रम भेज दिया जाता है। यदि महिला की संतानों में पुत्रियां भी हैं, तो पुत्री 18 वर्ष की उम्र पूरी करने तक मां के साथ रह सकती है। यदि पुत्र है तो वह 12 वर्ष की उम्र पूरी करने तक मां के साथ रह सकता है। इसके अलावा उनके रहने के लिए अस्थायी निवास, खाने—पीने की व्यवस्था एवं मेडिकल सुविधा भी मुहैया कराई जाती है। महिलाएं खुद का रोजगार चला सकें इसके लिए उन्हें जरूरी प्रशिक्षण भी दिया जाता है।