बताते चलें कि बीते कुछ समय में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत और चीन पर करंसी एक्सचेंज रेट को मजबूत बनाये रखने के लिए सांठगांठ करने का आरोप लगाते रहे हैं। ट्रंप तो यहां तक भी कहते रहे हैं कि रिजर्व बैंक का बाजार से डॉलर की खरीदारी करना एक्सचेंज रेट को एक स्तर पर बनाए रखना जैसा तरीका है।
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इशारों में ही अमरीका पर उठाया सवाल
करंसी पॉलिसी के मुद्दे पर बोलते हुए दास ने कहा कि करंसी एक्सचेंज रेट्स और भुगतान को सही तरह से प्रबंधन के लिए सामूहिक तौर पर प्रयास करने और बहुपक्षीय सिद्धांत और रूपरेखा सुनिश्चित किया जाना जरूरी है। हालांकि, इस दौरान उन्होंने किसी विशेष देश का नाम नहीं लिया। उन्होने इशारों में ही अमरीका पर सवाल उठाते हुए कहा कि कुछ देश किसी अन्य देश को ‘करंसी में गड़बड़ी’ करने का आरोप लगा सकते हैं। उनहोंने कहा कि इस तरह के आरोप द्विपक्षीय नहीं होने चाहिये, क्योंकि इस संबंध में नीति तय करने के लिए आईएमएफ जैसे बहुपक्षीय संस्थाएं हैं।
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हाल ही में अमरीका के वित्त विभाग ने सबमिट की है ये रिपोर्ट
गौरतलब है कि आरबीआई गवर्नर की तरफ से यह बयान एक ऐसे समय पर आया है जब हाल ही में अमरीकी वित्त विभाग ने संसद में करंसी से जुड़ी एक रिपोर्ट सबमिट की है। हालांकि इस रिपोर्ट में भारत पर करंसी एक्सचेंज में साठगांठ के आरोप नहीं हैं जबकि पहले की रिपोर्ट में आरबीआई की ओर से डॉलर खरीदे जाने का जिक्र होता था। वास्तव में हालिया द्विवार्षिक रिपोर्ट में सभी उभरते हुए बाजारों को करंसी में गड़बड़ी करने वाला बताया गया है।