बैंको को होगा 2 लाख करोड़ का नुकसान-
बैंकों का पक्ष रखते हुए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ( STATE BANK OF INDIA ) ने कहा कि सभी बैंक ये चाहते हैं कि 6 महीने तक की मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज ( INTEREST RATES ) की माफी नहीं हो। RBI ने पिछली सुनवाई में कहा था कि लोगों को 6 महीने का EMI बाद में देने की छूट दी गई है, लेकिन अगर इस टाइम पीरियड का ब्याज भी नहीं लिया गया तो बैंकों को लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा। जिससे उबरना बैंको के ले आसान नहीं होगा क्योंकि कोरोना की वजह से पहले से ही वित्तीय हालात बेहद खराब हैं।
सुप्रीम कोर्ट ( SUPREME COURT ) ने सुनवाई के दौरान कहा सुनवाई इस मसले पर नहीं हो रही है कि स्थगित की गई ईएमआई ( EMI ) में ब्याज का हिस्सा लिया ही न जाए। बल्कि सुनवाई इस मामले पर हो रही है कि कहां बैंक मोरेटोरियम पीरियड के दौरान भी ब्याज न लगा दें क्योंकि ऐसा करने से कस्टमर्स को किसी प्रकार की राहत नहीं मिलेगी।
दरअसल होना ये चाहिए कि अगर लोन 3 महीने के लिए टाल दिया गया है, तो बैंकों को देय राशि में ब्याज और ब्याज पर ब्याज नहीं जोड़ना चाहिए। अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से दोनो पक्षों के साथ मीटिंग का प्रबंध करने का आदेश दिया है।
क्या है पूरा मामला- कोरोनावायरस ( COVID-19 ) के चलते खराब हुए आर्थिक हालात के मद्देनजर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ( RBI ) ने 27 मार्च को सर्कुलर जारी कर बैंकों को 3 महीने तक किश्तों के भुगतान से छूट दी थी। इसके बाद 22 मई को एक बार फिर से RBI ने 31 अगस्त तक के लिए तीन महीने की मोहलत की अवधि बढ़ाने की घोषणा की, नतीजतन लोन पर ब्याज छह महीने के लिए ये मोहलत बन गई। लेकिन गजेन्द्र शर्मा द्वारा जनहित याचिका दायर कर मोरेटोरियम पीरियड ( MORATORIUM PERIOD ) के दौरान बैंकों द्वारा इसके लिए ब्याज वसूलने की बात कही गई है जिससे कि आम जनता पर बोझ पड़ेगा। याचिका में ईएमआई ( EMI ) से छूट के दौरान लोन पर ब्याज नहीं वसूलने की मांग की गई है।