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SBI ने MCLR दरों पर लिया बड़ा फैसला, आप पर पड़ने वाला है यह असर

अपने MCLR में कोई भी बदलाव नहीं करेगा एसबीआई।
हाल ही में RBI ने रेपो रेट में किया था 0.25 फीसदी की कटौती।
MCLR घटने से लोन पर ईएमआई भी होती है कम।

Jun 10, 2019 / 05:41 pm

Ashutosh Verma

SBI

SBI ने MCLR दरों पर लिया बड़ा फैसला, आप पर पडऩे वाला है यह असर

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती के बाद भी देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक यानी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने MCLR में कोई भी कटौती नहीं करने का फैसला लिया है। इसका साफ मतलब है कि अगर आप पर्सनल, ऑटो या होमलोन पर कोई EMI दे रहे तो इसमें आपको कोई राहत नहीं मिलने वाली है। हालांकि, ये ईएमआई केवल भारतीय स्टेट बैंक द्वारा लिए लोन पर ही लागू होगा। हालांकि, एसबीआई ने आगामी एक जुलाई से रेपो रेट से जुड़े कर्ज की दरों को 0.25 फीसदी तक घटाने का फैसला लिया है। एक जुलाई से इसके जरिये लिंक सभी लोन 0.25 फीसदी तक सस्ते हो जाएंगे।

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क्या है एमसीएलआर रेट

बता दें कि बैंकों के लिए लेंडिंग इंटरेस्ट रेट तय करने के लिए एक फॉर्मूला बनाया गया है, जिसे मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड लेंडिंग रेट यानी एमसीएलआर कहा जाता है। आरबीआई ने बैंकों फॉर्मूला बनाया है जो कि उनके फंड के मार्जिनल कॉस्ट पर आधारित है। इस फॉर्मूले की वजह से ग्राहकों को कम ब्याज दरों का फायदा मिलता है। साथ ही, इससे बैंकों द्वारा ब्याज दरें तय करने में पारदर्शिता भी रहती है।

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एमसीएलआर से आपको क्या फायदा मिलता है

एमसीएलआर के लिए जो नियम बनाया गया है, उससे बैंकों के नए ग्राहकों के साथ-साथ पुराने ग्राहकों को भी एमसीएलआर रेट में कटौती का फायदा मिलता है। एक ग्राहक के तौर पर आपको यह फायदा होगा कि यदि आपने एमसीएलआर बदलने से पहले किसी प्रकार का लोन लिया और उसका लेंडिंग रेट फॉर्मूले से जुड़ा हुआ है, तो एमसीएलआर घटने के साथ ही आपकी ईएमआई गौरतलब है कि अप्रैल 2016 से ही यह लागू कर दिया गया था जिसके बाद से ही सभी बैंक नए फॉर्मूले के तहत मार्जिनल कॉस्ट से लेंडिंग रेट तय करते आ रहे हैं। नियमों के तहत सभी बैंक हर माह एमसीएलआर की जानकारी देते हैं। आरबीआई की इस नियम की वजह से बैंकों में प्रतिस्पर्धा तो बढ़ी ही है, साथ ही देश के आर्थिक ग्रोथ में भी इसका लाभ मिलता है।

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