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खर्च निकालने के लिए सरकार को चाहिए रुपया
इन चारों बैंकों में सरकार की डायरेक्ट और इनडायरेक्ट होल्डिंग्स के तहत काफी बड़ी हिस्सेदारी है। ऐसे में सरकार अब इन बैंकों से अपनी हिस्सेदारी को कम करने पर काम कर रही है। बैंकिंग सिस्टम में बदलाव के तहत सरकार का मानना है कि देश में सिर्फ 5 बैंक ही होने चाहिए। ऐसे में सरकार की ओर से बाकी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन करने में जुटी हुई है। जिससे मिले रुपए से वो अपने बजटीय खर्चों को पूरा कर सके। वास्तव में कोरोना वायरस की वजह से सरकार को रेवेन्यू को काफी नुकसान हुआ है। राजकोषीय घाटा लगातार बढ़ रहा है। सरकार के लिए अब रोजमर्रा के खर्चों की पूर्ति करना भी मुश्किल हो गया है।
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बैंकों के प्राइवेटाइजेशन का प्रोसेस शुरू
जानकारी के अनुसार सरकारी बैंकों को प्राइवेटाइजेशन की प्रक्रिया को शुरू किया जा चुका है। वैसे इस बारे में पीएमओ कार्यालस से लेकर फाइनेंस मिनिस्ट्री तक कोई बयान नहीं दे रहा है, लेकिन बीते कुछ दिनों में इस बारे में काफी बातचीत हो चुकी है। सूत्रों की मानें तो सरकार जितनी जल्दी इस प्रक्रिया को पूरा कराना चाहती है वो मौजूदा समय को देखते हुए काफी मुश्किल लग रहा है। आपको बता दें कि मौजूदा समय मे आईडीबीआई के अलावा देश में एक दर्जन बैंक हैं। आईडीबीआई में सरकार की 47.11 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि एलआईसी की हिस्सेदारी 51 फीसदी है।